जबलपुर। जबलपुर क्लब हाउस पर आबकारी विभाग की रेड चर्चा में है. कारण ये है कि इस कार्रवाई में विभाग के 50 लोगों की भारी भरकम टीम शामिल थी. लेकिन मिली सिर्फ सात बोतल शराब. आखिर ऐसा कैसे हुआ. आइए जानते हैं.
50 लोगों की टीम ने मारा जबलपुर क्लब पर छापा
आबकारी विभाग को सूचना मिली थी कि जबलपुर क्लब में अवैध रूप से शराब परोसी जा रही है. बिना इजाजत के शराब पार्टी हो रही है. इसमें कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ रही हैं. आबकारी विभाग की 50 लोगों की टीम ने जबलपुर क्लब पर छापा मार दिया.
अंदर क्या खेल हुआ, क्या सेटिंग हुई !
जानकारी के मुताबिक आबकारी विभाग के कुछ कर्मचारी सूचना की पुष्टि करने के लिए पहले क्लब पहुंचे . इसके कुछ देर बाद आबकारी विभाग का बाकी टीम क्लब के अंदर पहुंची. फिर जाने अंदर क्या खेल हुआ, क्या सेटिंग हुई . दो घंटे तक क्लब के सदस्यों और आबकारी विभाग की टीम में बात होती रही. क्लब के मेन गेट से दनदनाती हुई 5-6 कारें बाहर निकलीं और तेज रफ्तार से गायब हो गईं. जाहिर सी बात है कि इन महंगी कारों से रसूखदारों को बाहर निकालकर 'सेफ पैसेज' दिया गया होगा.
50 की टीम, 2 घंटे कार्रवाई, सिर्फ 7 बोतलें मिली
सूत्रों के मुताबिक कि आबकारी विभाग ने रसूखदारों के दबाव में छापे की कार्रवाई को जानबूझकर कमजोर कर दिया. ताकि जबलपुर क्लब पर कोई आंच ना आए. लोगों का आरोप है कि जबलपुर क्लब की कार्रवाई में लीपापोती की गई है. लोगों के आरोपों में दम इसलिए भी लग रहा है कि क्योंकि इतने बड़े क्लब पर कार्रवाई में शराब की सिर्फ सात बोलतें बरामद हुईं. ये बात किसी के भी गले नहीं उतरती.
नामी लोग और नेता हैं क्लब के सदस्य
बताया जाता है कि शहर के कई नामी लोग और राजनेता भी इस क्लब के सदस्य हैं. जबलपुर क्लब सामाजिक, सांस्कृतिक और खेल संस्था है.आबकारी विभाग को सूचना मिली थी कि क्लब के सदस्यों को क्लब की आड़ में शराब परोसी जाती थी.
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क्लब में मौजूद नेता कौन था ?
बताया जा रहा है कि कार्रवाई के क्लब में एक नामी नेता भी था. चर्चाएं ये भी हो रही हैं कि इसी नेता ने आबकारी विभाग और क्लब संचालकों में 'लेन-देन' करवाया. कुल मिलाकर हुआ ये कि जबलपुर क्लब पर इतनी बड़ी टीम का छापा मामूली कार्रवाई में बदल दिया गया.