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जबलपुर भूकंप त्रासदी के 26 साल, नहीं भूला दर्द और तबाही का मंजर, 41 लोगों की गई थी जान

जबलपुर में आज से 26 साल पहले ऐसा भूकंप आया था जिसे लोग आजतक भूल नहीं पा रहे हैं. 22 मई 1997 में आए इस भूकंप का डर आज भी लोगों के जहन में ताजा है.

26 years of earthquake tragedy in jabalpur
जबलपुर में भूकंप त्रासदी के 26 साल पूरे हुए
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Published : May 22, 2023, 10:54 PM IST

जबलपुर। ढाई दशक पहले जबलपुर में आए भूकंप की याद आज भी लोगों के जहन में ताजा है. 22 मई 1997 को आए विनाशकारी भूकंप ने पूरे जबलपुर को दहला दिया था. इस त्रासदी को झेले हुए 26 साल बीतने वाले हैं, लेकिन इसका दर्द और तबाही का वह मंजर लोगों के जहन में अब भी ताजा है. भूकंप के लिहाज से जबलपुर को संवेदनशील माना जाता है. बावजूद इसके भवन निर्माण के क्षेत्र में भूकंप रोधी तकनीकों को अपनाने में उदासीनता बरती जा रही है. सिविल इंजीनियरिंग के जानकार इसे चिंता का विषय मानते हैं और BIS यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मापदंडों का पालन किए जाने की वकालत कर रहे हैं.

26 years of earthquake tragedy in jabalpur
जबलपुर में भूकंप त्रासदी के 26 साल पूरे हुए

जबलपुर में आया था भयानक भूकंप: 22 मई 1997 का दिन आज भी जबलपुर के लोगों के दिलों में ताजा है. तड़के 4 बजकर 22 मिनट पर जबलपुर की धरती कुछ इस तरह से कांपी कि करीब 41 लोगों की यहां मौत हो गई, तो वहीं करीब 500 करोड़ का नुकसान भी हुआ था. जबलपुर को भूकंप संवेदी क्षेत्र माना जाता है. यानी इस क्षेत्र में भूकंप के आने की संभावना हमेशा बनी रहती है. 22 मई 1997 को आए विनाशकारी भूकंप के बाद लगातार इस बात पर चर्चा हो रही है कि भवन निर्माण में भूकंप रोधी तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में लगातार उदासीनता बरती जा रही है.

  1. एमपी के जबलपुर में भूकंप के झटके, 15 दिन में तीसरी बार हिली धरती, रिक्टर पैमाने पर 3.6 की तीव्रता
  2. ग्वालियर और मुरैना समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप के झटके, घरों से बाहर निकले लोग

भूकंप त्रासदी के वो 26 साल: जबलपुर में आए भूकंप के 26 साल पूरे होने जा रहे हैं, लिहाजा एक बार फिर भूकंप रोधी तकनीक को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मापदंडों को अपनाकर भवन निर्माण में रजिस्टेंस स्ट्रक्चर का पालन किया जाए. इसके साथ ही भवन निर्माण में फ्रेंड स्ट्रक्चर की तकनीक को अपनाकर भूकंप जैसी आपदाओं में जानमाल की हानि को कम किया जा सकता है.

जापान भूकंप रोधी तकनीक का इस्तेमाल करता: जानकारों का मानना है कि जापान में आए दिन भूकंप आते रहते हैं, लेकिन जापान ने ऐसी तकनीक विकसित कर ली है की भूकंप के बावजूद वहां अब ज्यादा नुकसान नहीं होता. भवन निर्माण से लेकर अन्य परियोजनाओं में भी जापान भूकंप रोधी तकनीकों को अपनाता है. यही वजह है कि भूकंप आने के पहले जापान में इसका अलर्ट मिलता है. जबलपुर में आए विनाशकारी भूकंप के बाद एक बार फिर इस बात को लेकर चर्चा छिड़ी है कि भूकंप रोधी तकनीकों को हर हाल में अपनाया जाना बेहद जरूरी है.

जबलपुर। ढाई दशक पहले जबलपुर में आए भूकंप की याद आज भी लोगों के जहन में ताजा है. 22 मई 1997 को आए विनाशकारी भूकंप ने पूरे जबलपुर को दहला दिया था. इस त्रासदी को झेले हुए 26 साल बीतने वाले हैं, लेकिन इसका दर्द और तबाही का वह मंजर लोगों के जहन में अब भी ताजा है. भूकंप के लिहाज से जबलपुर को संवेदनशील माना जाता है. बावजूद इसके भवन निर्माण के क्षेत्र में भूकंप रोधी तकनीकों को अपनाने में उदासीनता बरती जा रही है. सिविल इंजीनियरिंग के जानकार इसे चिंता का विषय मानते हैं और BIS यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मापदंडों का पालन किए जाने की वकालत कर रहे हैं.

26 years of earthquake tragedy in jabalpur
जबलपुर में भूकंप त्रासदी के 26 साल पूरे हुए

जबलपुर में आया था भयानक भूकंप: 22 मई 1997 का दिन आज भी जबलपुर के लोगों के दिलों में ताजा है. तड़के 4 बजकर 22 मिनट पर जबलपुर की धरती कुछ इस तरह से कांपी कि करीब 41 लोगों की यहां मौत हो गई, तो वहीं करीब 500 करोड़ का नुकसान भी हुआ था. जबलपुर को भूकंप संवेदी क्षेत्र माना जाता है. यानी इस क्षेत्र में भूकंप के आने की संभावना हमेशा बनी रहती है. 22 मई 1997 को आए विनाशकारी भूकंप के बाद लगातार इस बात पर चर्चा हो रही है कि भवन निर्माण में भूकंप रोधी तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में लगातार उदासीनता बरती जा रही है.

  1. एमपी के जबलपुर में भूकंप के झटके, 15 दिन में तीसरी बार हिली धरती, रिक्टर पैमाने पर 3.6 की तीव्रता
  2. ग्वालियर और मुरैना समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप के झटके, घरों से बाहर निकले लोग

भूकंप त्रासदी के वो 26 साल: जबलपुर में आए भूकंप के 26 साल पूरे होने जा रहे हैं, लिहाजा एक बार फिर भूकंप रोधी तकनीक को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मापदंडों को अपनाकर भवन निर्माण में रजिस्टेंस स्ट्रक्चर का पालन किया जाए. इसके साथ ही भवन निर्माण में फ्रेंड स्ट्रक्चर की तकनीक को अपनाकर भूकंप जैसी आपदाओं में जानमाल की हानि को कम किया जा सकता है.

जापान भूकंप रोधी तकनीक का इस्तेमाल करता: जानकारों का मानना है कि जापान में आए दिन भूकंप आते रहते हैं, लेकिन जापान ने ऐसी तकनीक विकसित कर ली है की भूकंप के बावजूद वहां अब ज्यादा नुकसान नहीं होता. भवन निर्माण से लेकर अन्य परियोजनाओं में भी जापान भूकंप रोधी तकनीकों को अपनाता है. यही वजह है कि भूकंप आने के पहले जापान में इसका अलर्ट मिलता है. जबलपुर में आए विनाशकारी भूकंप के बाद एक बार फिर इस बात को लेकर चर्चा छिड़ी है कि भूकंप रोधी तकनीकों को हर हाल में अपनाया जाना बेहद जरूरी है.

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