जबलपुर। कोरोना महामारी में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार हाई कोर्ट ने संज्ञान याचिका की सुनवाई करते हुए सजायाफ्ता और अंडर ट्रायल कैदियों को अस्थाई जमानत दिए जाने के संबंध में आवश्यक आदेश जारी किए है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने जेल में बंद कैदियों का 15 दिनों में आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाने के आदेश दिए है. जिससे कोरोना संक्रमित कैदी की पहचान कर उसे अन्य कैदियों से अगल किया जा सके.
- 131 जेल में 45,582 कैदी की क्षमता
संज्ञान याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर से सवार्धिक प्रभावित प्रदेश में मध्य प्रदेश भी शामिल है. प्रदेश की जेलों में क्षमता से दुगने कैदी है. जेल महानिर्देशक ए कुमार के अनुसार 7 मई की स्थिति में प्रदेश की 131 जेल में 45,582 कैदी है. प्रदेश के जेलों की कुल क्षमता 28,675 कैदियों की है. जेल में 30,982 कैदी अंडर ट्रायल और 14,600 कैदी सजायाफ्ता है. जिसमें से 537 महिला कैदी है. सर्वोच्च न्यायालय ने भी जेल में सजायाफ्ता और अंडर ट्रायल कैदियों को स्थाई और अस्थाई जमानत दिए जाने के संबंध में राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश दिए है.
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- कैदियों को पैरोल पर किया जा रहा रिहा
प्रदेश सरकार ने प्रिजनर्स एक्ट में संशोधन किए जाने की जानकारी प्रस्तुत की है. संशोधन के अनुसार कोरोना महामारी के मद्देनजर कैदियों को 60 दिनों की पैरोल पर रिहा किया जा रहा है. पैरोल की अवधि 60 दिनों की बढोत्तरी किए जाने का प्रावधान है. पैरोल की अवधि 240 दिनों तक बढाई जा सकती है. पैरोल का लाभ सजायाफ्ता कैदियों को दिया जाता है. जेल महानिर्देशक के अनुसार अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या सजायाफ्ता कैदियों से दोगनी है. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सजायाफ्ता और अंडर ट्रायल कैदियों को स्थाई जमानत का लाभ देने के संबंध में सुझाव प्राप्त हुए है.