इंदौर। तंगहाली और झोपड़ी में गुजर बसर करने वाले शहीद के परिवार के लिए गांव के युवाओं ने फरिश्ते की भूमिका निभाई है. युवकों ने एक ऐसी मिसाल पेश की है, जिसकी तारीफ हर कोई कर रहा है. 27 साल पहले मोहन सिंह सुनेर ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. जिसके बाद से उनका परिवार झोपड़ी में रहने को मजबूर था. जब इसका पता गांव के युवाओं को चला तो, उन्होंने पैसे इकट्ठा कर गांव में ही परिवार के लिए घर तैयार कराया और 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर परिवार का घर का तोहफा दिया.
इंदौर से 40 किलोमीटर दूर बेटमा के पीर पीपल्या गांव के मोहन सिंह सुनेर बीएसएफ में जवान थे. असम में पोस्टिंग के दौरान वे 31 दिसंबर 1992 में शहीद हो गए. जब वो शहीद हुए उस वक्त उनका बड़ा बेटा तीन साल का था. और पत्नी चार माह की गर्भवती थीं. बाद में दूसरे बेटे का जन्म हुआ. पति के शहीद होने के बाद परिवार चलाने की जिम्मेदारी राजू बाई आ गई. बच्चों को पालने के लिए राजू बाई मेहनत-मजदूरी करते हुए झोपड़ी में ही गुजारा कर रही थी.
शहीद के परिवार का यह हाल जब युवाओं को लगी तो उन्होनें 'वन चेक-वन साइन फॉर शहीद' नाम से अभियान शुरू किया. जिसके बाद युवकों ने जन सहयोग से परिवार के मकान बनाने के लिए 11 लाख रुपए इकट्ठा किए गए. दस लाख रुपए से परिवार के लिए घर तैयार किया गया. वहीं एक लाख रुपए से शहीद मोहन सिंह की प्रतिमा तैयार की जाएगी. जिसे गांव के मुख्य मार्ग पर लगाया जाएगा.