इंदौर। प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में सालों से आस्था की एक ऐसी परंपरा चली आ रही है, जिसके तहत भक्त दहकते अंगारों पर चलकर अग्निपरीक्षा देते हैं. मध्य शिवाजी नगर में स्थित तुलजा भवानी के इस मंदिर में अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा सालों से चली आ रही है.
महाअष्टमी की रात यहां मराठी समाज एक पूजा का आयोजन करता है, जिसमें समाज कि महिलाएं सुबह के तीन बजे स्नान कर पूजा में शामिल होती हैं और दहतके अंगारों से गुजरती हैं. मराठी समाज में इसे आस्था का प्रतीक मानते हैं, यहां नवजात बच्चों को भी गोद में लेकर महिलाएं अंगारों पर चलती हैं.
लोगों का मानना है कि, इस तरह की पूजा करने से आने वाले भविष्य में कोई भी दुख संकट नहीं आता है और माता का आशीर्वाद बना रहता है. बच्चे बीमारियों से बचते हैं, वही अगर कोई सच्ची आस्था से इन अंगारों पर चलता है तो उसे जीवन में किसी भी प्रकार की कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.
मंदिर के पुजारी गणेश शिंदे बताते हैं कि, अग्निकुंड तैयार करने के लिए विशेष पूजा सामग्री का इंतजाम किया जाता है, जिसमें धूप, लोहबान, देसी घी होती हैं. अग्निकुंड की पूजा कर उसके अंगारे बनाए जाते हैं और फिर शुरू होता है, तुलजा मंदिर में मां कालिका का अग्नि परीक्षा.