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आस्था या अंधविश्वास: अंगारों पर चलकर अग्निपरीक्षा देते हैं भक्त - unique tradition of Tulja Mata

इंदौर का एक मंदिर है, जहां दहकते अंगारों पर नंगे पैर चलकर भक्त अग्नि परीक्षा देते हैं. तुलजा भवानी का यह मंदिर इंदौर में रहने वाले मराठी समाज की आस्था का बड़ा केंद्र है.

आस्था या अंधविश्वास
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Published : Oct 7, 2019, 6:55 PM IST

इंदौर। प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में सालों से आस्था की एक ऐसी परंपरा चली आ रही है, जिसके तहत भक्त दहकते अंगारों पर चलकर अग्निपरीक्षा देते हैं. मध्य शिवाजी नगर में स्थित तुलजा भवानी के इस मंदिर में अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा सालों से चली आ रही है.

आस्था या अंधविश्वास

महाअष्टमी की रात यहां मराठी समाज एक पूजा का आयोजन करता है, जिसमें समाज कि महिलाएं सुबह के तीन बजे स्नान कर पूजा में शामिल होती हैं और दहतके अंगारों से गुजरती हैं. मराठी समाज में इसे आस्था का प्रतीक मानते हैं, यहां नवजात बच्चों को भी गोद में लेकर महिलाएं अंगारों पर चलती हैं.

लोगों का मानना है कि, इस तरह की पूजा करने से आने वाले भविष्य में कोई भी दुख संकट नहीं आता है और माता का आशीर्वाद बना रहता है. बच्चे बीमारियों से बचते हैं, वही अगर कोई सच्ची आस्था से इन अंगारों पर चलता है तो उसे जीवन में किसी भी प्रकार की कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.

मंदिर के पुजारी गणेश शिंदे बताते हैं कि, अग्निकुंड तैयार करने के लिए विशेष पूजा सामग्री का इंतजाम किया जाता है, जिसमें धूप, लोहबान, देसी घी होती हैं. अग्निकुंड की पूजा कर उसके अंगारे बनाए जाते हैं और फिर शुरू होता है, तुलजा मंदिर में मां कालिका का अग्नि परीक्षा.

इंदौर। प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में सालों से आस्था की एक ऐसी परंपरा चली आ रही है, जिसके तहत भक्त दहकते अंगारों पर चलकर अग्निपरीक्षा देते हैं. मध्य शिवाजी नगर में स्थित तुलजा भवानी के इस मंदिर में अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा सालों से चली आ रही है.

आस्था या अंधविश्वास

महाअष्टमी की रात यहां मराठी समाज एक पूजा का आयोजन करता है, जिसमें समाज कि महिलाएं सुबह के तीन बजे स्नान कर पूजा में शामिल होती हैं और दहतके अंगारों से गुजरती हैं. मराठी समाज में इसे आस्था का प्रतीक मानते हैं, यहां नवजात बच्चों को भी गोद में लेकर महिलाएं अंगारों पर चलती हैं.

लोगों का मानना है कि, इस तरह की पूजा करने से आने वाले भविष्य में कोई भी दुख संकट नहीं आता है और माता का आशीर्वाद बना रहता है. बच्चे बीमारियों से बचते हैं, वही अगर कोई सच्ची आस्था से इन अंगारों पर चलता है तो उसे जीवन में किसी भी प्रकार की कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.

मंदिर के पुजारी गणेश शिंदे बताते हैं कि, अग्निकुंड तैयार करने के लिए विशेष पूजा सामग्री का इंतजाम किया जाता है, जिसमें धूप, लोहबान, देसी घी होती हैं. अग्निकुंड की पूजा कर उसके अंगारे बनाए जाते हैं और फिर शुरू होता है, तुलजा मंदिर में मां कालिका का अग्नि परीक्षा.

Intro:एंकर-इंदौर में मां भगवती कालका देवी को भी दहकते अंगारों पर नंगे पैर चलकर देनी पड़ती है अग्नि परीक्षा आस्था कि यह पुरानी परंपरा कई सालों से चली आ रही है जहां महिलाओं के शरीर में प्रवेश करने वाली मां भगवती कालका देवी अंगारों पर चलकर अग्नि परीक्षा देती है ।

Body:वीओ- जी हां आस्था की एक ऐसी परंपरा जो सालों से चली आ रही है इंदौर के मध्य शिवाजी नगर में देर रात मां तुलजा भवानी मंदिर पर कुछ ऐसा देखने को मिला जिसको देख आंखें जो दिया जाएगी नौ दिवसीय नवदुर्गा उत्सव के बाद अष्टमी पर की जाने वाली देर रात में एक अनोखी पूजा जहां मां कालका देवी को भी अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है सुनकर आप भी चौंक गए होंगे यह परंपरा महाराष्ट्रीयन समाज द्वारा अष्टमी में देर रात मां काली का के लिए विशेष पूजा रखी जाती है जहां महाराष्ट्रीयन समाज की महिलाएं देर रात मां भगवती की आराधना करती है वही शरीर में जैसे ही मां भगवती कालका देवी प्रवेश करती है इस पूजा के लिए उसे अंगारों से गुजरना पड़ता है मंदिर के पुजारी गणेश शिंदे ने हमें बताया कि देर रात महा अग्निकुंड तैयार किया जाता है जिसमें लकड़ियों को आहुति देने के लिए विशेष पूजा सामग्री का इंतजाम किया जाता है जिसमें धूप लोहान देसी घी से महाकुंभ की पूजा कर उसके अंगारे बनाए जाते हैं और फिर शुरू होता है मां कालिका का अग्नि परीक्षा महाराष्ट्रीयन समुदाय द्वारा इसे आस्था का प्रतीक मानते हुए कई सालों से यह परंपरा चली आ रही है जहां शरीर में आने वाली माताओं को अग्नि परीक्षा देना पड़ती है जहां महिलाएं सुबह 3:00 बजे स्नान करने के बाद दहकते अंगारों पर चलती है कुछ ऐसा भी देखने को मिला छोटे बच्चों को माता आशीर्वाद देती नजर आई अंगारों पर माता उन बच्चों को लेकर चलती है मान्यता है कि इस तरह की पूजा करने से आने वाले भविष्य में कोई भी दुखद संकट नहीं आता है और माता का आशीर्वाद बना रहता है बच्चे बीमारियों से बचते हैं वही अगर कोई इस पूजा में सच्ची आस्था राख इन अंगारों पर चलता है तो उसे किसी भी प्रकार का जग या कोई घटना उसके साथ नहीं बिकती यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है

बाईट- चंद्र कला अवटे महिला भक्त
बाईट- गणेश शिंदे पुजारीConclusion:वीओ - इन्दौर में यह पहली घटना है जहाँ इस तरह से माता की आराधना की जाती है वही अष्टमी के दिन दूर दूर से माता के भक्त यहां पर अपनी मन्नत को लेकर पहुचते है।
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