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कोरोना काल में मशीनों ने ली इंसानों की जगह, मैन पावर घटने से बढ़ी बेरोजगारी

कोरोना वायरस की वजह से बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं. सरकार ने जब अनलॉक करने की घोषणा की थी, तो लोगों को उम्मीद थी उन्हें कुछ काम मिलेगा, लेकिन कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए कई जगहों पर इंसानों की जगह अब मशीनों ने ले ली है. जिससे बेरोजगारों पर दोहरी मार पड़ी है.

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Published : Aug 16, 2020, 12:42 PM IST

Increased use of machines increases problems
मशीनों के बढ़ते इस्तेमाल ने बढ़ी मुश्किलें

इंदौर। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन ने कई लोगों को बेरोजगार कर दिया, हालांकि अब सरकार ने अनलॉक कर दिया है. लॉकडाउन के समय बेरोजगार हुए लोगों को उम्मीद थी की अनलॉक में उन्हें कुछ काम मिलेगा, लेकिन लॉकडाउन के बाद अब एक नई चुनौती खड़ी हो गई है. इंदौर में कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए कई जगहों पर इंसानों की जगह अब मशीनों ने ले ली है. जिससे बेरोजगारी की दर में इजाफा हुआ है. मशीनों से काम लेने के कारण मेन पावर की कमी तो रहती ही है प्रोडक्शन में भी तेजी आती है, लेकिन इससे बेरोजगारों पर दोहरी मार पड़ी है.

मशीनों के बढ़ते इस्तेमाल ने बढ़ी मुश्किलें

कोरोना संक्रमण के बाद अब अनलॉक का दौर चल रहा है, ऐसे में कई दिनों से बंद पड़े उद्योग और आईटी कंपनियां अपना काम फिर से शुरू कर रही हैं, लेकिन कोरोना काल में काम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. एक ओर कोरोना के संक्रमण से बचना है, तो वहीं दूसरी ओर पिछले चार महीनों में लॉकडाउन से हुए नुकसान की भरपाई करना है. ऐसे में मशीनों का सहारा लिया जा रहा है. कई छोटे बड़े उद्योगों में इंसान की जगह मशीनों को काम पर लगाया दिया गया है.

मिठाई की दुकान से लेकर आईटी कंपनी तक मशीनों ने ली जगह

इंदौर में मिठाई उद्योग में बड़े पैमाने पर लोगों से काम लिया जाता था, लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए अब कई जगहों पर मिठाई बनाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल होने लगा है. इससे समय की बचत होने के साथ ही संक्रमण का खतरा भी कम हो गया, लेकिन मिठाई की दुकानों में काम करने वाले 70 प्रतिशत कारीगर बेरोजगार हो गए. जो काम पहले कई लोग मिलकर करते था. अब मशीनों के आ जाने से मात्र 30 प्रतिशत मजदूरों के साथ ही काम लिया जा रहा है. दुकानों के साथ ही शहर में कई बड़ी कंपनियों में भी अब रोबोट्स के माध्यम से ऑफिस वर्क से लेकर कई जरूरी काम पूरे किए जा रहे हैं.

मशीनों के इस्तेमाल से बढ़ी बेरोजगारी

इस बारे में 56 दुकान एसोसिएशन के अध्यक्ष गुंजन शर्मा का कहना है कि कोरोना की वजह से हमारा देश 30 साल पीछे चला गया है. जिससे रोजगार पर भी असर पड़ा है. उनका कहना है कि इससे उभरने के लिए हमें सबसे पहले रोजगार को बढ़ावा देने होगा तब जाकर मैन पावर लगेगी. गुंजन शर्मा का कहना है कि आज के समय में संक्रमण को देखते हुए मैन पावर को कम करके मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इस दौर में जहां लोगों का रोजगार छिन गया है, ऐसे में हमें कोशिश करना चाहिए की मशीनों को हटाए और मैन पावर को बढ़ाए. वहीं उन्होंने मिठाई बनाने के लिए रोबोट्स का इस्तेमाल करने पर कहा कि मेडिकल जगत में अगर रोबोट्स का इस्तेमाल होता है तो यह सही है, लेकिन मिठाई बनाने में इनका इस्तेमाल करना सही नहीं है, इससे और बेरोजगारी बढ़ेगी.

इंदौर। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन ने कई लोगों को बेरोजगार कर दिया, हालांकि अब सरकार ने अनलॉक कर दिया है. लॉकडाउन के समय बेरोजगार हुए लोगों को उम्मीद थी की अनलॉक में उन्हें कुछ काम मिलेगा, लेकिन लॉकडाउन के बाद अब एक नई चुनौती खड़ी हो गई है. इंदौर में कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए कई जगहों पर इंसानों की जगह अब मशीनों ने ले ली है. जिससे बेरोजगारी की दर में इजाफा हुआ है. मशीनों से काम लेने के कारण मेन पावर की कमी तो रहती ही है प्रोडक्शन में भी तेजी आती है, लेकिन इससे बेरोजगारों पर दोहरी मार पड़ी है.

मशीनों के बढ़ते इस्तेमाल ने बढ़ी मुश्किलें

कोरोना संक्रमण के बाद अब अनलॉक का दौर चल रहा है, ऐसे में कई दिनों से बंद पड़े उद्योग और आईटी कंपनियां अपना काम फिर से शुरू कर रही हैं, लेकिन कोरोना काल में काम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. एक ओर कोरोना के संक्रमण से बचना है, तो वहीं दूसरी ओर पिछले चार महीनों में लॉकडाउन से हुए नुकसान की भरपाई करना है. ऐसे में मशीनों का सहारा लिया जा रहा है. कई छोटे बड़े उद्योगों में इंसान की जगह मशीनों को काम पर लगाया दिया गया है.

मिठाई की दुकान से लेकर आईटी कंपनी तक मशीनों ने ली जगह

इंदौर में मिठाई उद्योग में बड़े पैमाने पर लोगों से काम लिया जाता था, लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए अब कई जगहों पर मिठाई बनाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल होने लगा है. इससे समय की बचत होने के साथ ही संक्रमण का खतरा भी कम हो गया, लेकिन मिठाई की दुकानों में काम करने वाले 70 प्रतिशत कारीगर बेरोजगार हो गए. जो काम पहले कई लोग मिलकर करते था. अब मशीनों के आ जाने से मात्र 30 प्रतिशत मजदूरों के साथ ही काम लिया जा रहा है. दुकानों के साथ ही शहर में कई बड़ी कंपनियों में भी अब रोबोट्स के माध्यम से ऑफिस वर्क से लेकर कई जरूरी काम पूरे किए जा रहे हैं.

मशीनों के इस्तेमाल से बढ़ी बेरोजगारी

इस बारे में 56 दुकान एसोसिएशन के अध्यक्ष गुंजन शर्मा का कहना है कि कोरोना की वजह से हमारा देश 30 साल पीछे चला गया है. जिससे रोजगार पर भी असर पड़ा है. उनका कहना है कि इससे उभरने के लिए हमें सबसे पहले रोजगार को बढ़ावा देने होगा तब जाकर मैन पावर लगेगी. गुंजन शर्मा का कहना है कि आज के समय में संक्रमण को देखते हुए मैन पावर को कम करके मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इस दौर में जहां लोगों का रोजगार छिन गया है, ऐसे में हमें कोशिश करना चाहिए की मशीनों को हटाए और मैन पावर को बढ़ाए. वहीं उन्होंने मिठाई बनाने के लिए रोबोट्स का इस्तेमाल करने पर कहा कि मेडिकल जगत में अगर रोबोट्स का इस्तेमाल होता है तो यह सही है, लेकिन मिठाई बनाने में इनका इस्तेमाल करना सही नहीं है, इससे और बेरोजगारी बढ़ेगी.

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