इंदौर। जिंदगी के इस दौर में कोई भी काम बड़ा-छोटा या फिर महिला-पुरूष पर भेदभाव करने वाला नहीं होता है. इसका जीता जागता उदाहरण मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में देखने को मिला है. जहां महिला मैकेनिक टू व्हीलर सर्विस सेंटर में कोरोना काल और आर्थिक मंदी को चुनौती देते हुए मैकेनिक बनकर जिंदगी के इस सफर को रफ्तार देने में जुटी हैं.
मील का पत्थर साबित हुआ टू व्हीलर सर्विस सेंटर
दरअसल कोरोना काल में जब अधिकांश लोगों की रोजी-रोटी आर्थिक मंदी और लॉकडाउन के कारण छिन रही है, तो घर परिवार की महिलाएं और बेरोजगार युवतियां ऑटोमोबाइल सेक्टर के उन कामों में भी हाथ आजमा रही हैं, जिन पर अब तक पुरूषों का वर्चस्व रहा है. इस दिशा में सामान सोसायटी द्वारा संचालित महिला मैकेनिक टू व्हीलर सर्विस सेंटर मील का पत्थर साबित हो रहा है. इस सेंटर में अब तक करीब 100 से ज्यादा महिलाओं को ऑटो रिक्शा और कार ड्राइविंग सिखाई गई है.
बेरोजगार युवतियों को दी जा रही ट्रेनिंग
इतना ही नहीं 50 से ज्यादा महिलाओं को टू व्हीलर सर्विसिंग का काम सिखाया जा चुका है, जबकि 95 अन्य बेरोजगार युवतियों को इन दिनों ट्रेनिंग दी जा रही हैं, फिलहाल यहां जो महिलाएं और युवतियां टू व्हीलर मैकेनिक बनने पहुंच रही हैं, उनमें अधिकांश ऐसी हैं जिनका रोजगार कोरोना के लॉकडाउन में जा चुका है. या वह ग्रहणी हैं जो आर्थिक तंगी के दौर में आत्मनिर्भर बनने के लिए कुछ हटकर करना चाहती हैं.
कई महिलाओं को मिला रोजगार
अब इन सभी महिलाओं को बाइक के पार्ट्स से लेकर तमाम औजार और टू व्हीलर के इंजन की बारीकियों से रूबरू कराकर ट्रेंड किया जा रहा है, इनमें से जो महिलाएं मैकेनिक का काम काज सीख कर ट्रेंड हो चुकी हैं उनमें से अधिकांश महिलाएं शहर के अलग-अलग शोरूम पर नौकरी कर रही हैं. और कुछ महिलाएं मैकेनिक सेंटर का हिस्सा बनकर अपने जैसी अन्य महिलाओं को मैकेनिक बनाने में जुटी हैं. लिहाजा ऐसा नहीं है कि इनमें सब मजबूरी के कारण इस सेक्टर में आई हों, बल्कि कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जो पुरूषों के वर्चस्व वाले इस काम में महिला होने के बावजूद भी खुद को साबित करने को तैयार हैं.
सभी को निशुल्क ट्रेनिंग
दरअसल स्वरोजगार के लिहाज से इस सेंटर में मैकेनिक के अलावा ड्राइविंग की भी निशुल्क ट्रेनिंग की व्यवस्था है. जहां से 75 महिलाएं ड्राइविंग सीख कर ऑटो रिक्शा से लेकर महिला संचालित कैब में ड्राइवर की नौकरी कर रही हैं, जबकि 20 महिलाएं एवं युवतियां मैकेनिक का काम संभाल रही हैं.
आत्मनिर्भर बनती महिलाएं
इस सेंटर में कई ऐसी भी महिलाएं आती हैं जिन्हें रोजगार के साथ सामाजिक न्याय की दरकार रहती है. लिहाजा संस्था में कार्यरत अन्य महिलाएं उनकी मदद के लिए यह जिम्मेदारी भी निभाती हैं, और वैश्विक महामारी के इस दौर में जरूरतमंद महिलाओं को निशुल्क ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि ये महिलाएं पुरूषों के साथ ईट से ईट बजा सकें, और दुनिया के सामने ये साबित कर सकें कि अब महिलाएं इस जहां में ऐसा कोई नहीं है जिसे कर नहीं सकती हैं.