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सब्जी बेचने वाले तुलसी सिलावट, ऑटो चलाने वाले प्रेमचंद गुड्डू बने करोड़पति, जनता ने कहा- भूले हमारा दुख-दर्द

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Published : Nov 1, 2020, 5:01 AM IST

सांवेर विधानसभा सीट पर बीजेपी की तरफ से तुलसी सिलावट चुनाव लड़ रहे हैं और कांग्रेस की तरफ से प्रेमचंद गुड्डू मैदान में हैं.कभी तुलसी सिलावट सब्जी बेचा करते थे, तो प्रेमचंद गुड्डू आटो चलाते थे.

Sanveer assembly by-election
सांवेर विधानसभा उपचुनाव

इंदौर। 28 विधानसभाओं सबसे चर्चिच सीटों की बात की जाए तो सांवेर विधानसभा सीट का नाम सबसे पहले आता है. क्योंकि यहां से सिंधिया के सेनापति तुलसी सिलावट और दिग्विजय के करीबी प्रेमचंद गुड्डू के बीच सीधा मुकाबला है. तुलसी बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं, तो प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस की तरफ से. दोनों ही प्रत्याशी क्षेत्र के विकास का दावा कर रहे हैं. लेकिन लोगों का कहना है कि सांवेर तो विकास की राह में कब का पिछड़ चुका है, आज भी ये क्षेत्र वहीं खड़ा है जहां, 25 साल पहले था. अगर विकास हुआ है तो सिर्फ नेताओं का.

विकास की राह में पीछे छूटा सांवेर

क्या वजह है इन आरोपों की

जनता ये आरोप क्यों लगा रही है इसके पीछे की वजह हैरान करने वाली है. कहा जाता है कि एक समय बीजेपी प्रत्याशी तुलसी सिलावट का परिवार सब्जी बेचा करता था, लेकिन जैसे ही उनकी राजनीति में एंट्री हुई और सत्ता पर आसीन हुए तो करोड़पति हो गए. नामांकन में दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक उनकी संपत्ति करीब 6 करोड़ रूपए हैं. इसके बाद नाम आता है, कांग्रेस प्रत्याशी प्रेम चंद गुड्डू का. तो ये कभी ऑटो चलाते थे, बिजनस और राजनीति में आए तो संपत्ति में भारी उछाल आया. आज की तरीख में उनकी पारिवारिक संपत्ति 87 करोड़ है.

tulsi-silvatta
तुलसी सिलावट

सिलावट का शपथ पत्र

भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट के पास कुल चल संपत्ति 50 लाख 97 हजार रुपए और अचल संपत्ति 6 करोड़ 8 लाख रुपए की है. उनकी पत्नी के नाम पर 40 लाख 89 हजार रुपए की चल और 2 करोड़ 54 लाख रुपए अचल संपत्ति है.

कांग्रेस प्रत्याशी की संपत्ति

गुड्डू ने नामांकन के साथ दिए गए शपथ पत्र में अपनी चल संपत्ति 24 करोड़ की और अचल संपत्ति 40 करोड़ से ज्यादा की बताई है. इस तरह वे 64 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. जबकि उनकी पत्नी के पास 23 करोड़ संपत्ति है. दोनों की संपत्ति मिलाएं तो वे 87 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं.

यहां थी तुलसी के पिता की सब्जी की दुकान

दरअसल भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट पैतृक रूप से सब्जी विक्रेता रहे हैं. खुद तुलसी सिलावट भी अपनी पारिवारिक दुकान पर इंदौर के छावनी इलाके में सब्जी बेचते थे. तुलसी सिलावट के पिता ठाकुर दीन की सब्जी की दुकान थी. जहां तुलसी सिलावट भी सब्जी बेचते थे. इसके अलावा वे ठेले पर सब्जी बेचने में भी कोई गुरेज नहीं करते थे.

भाइयों के साथ प्रेमचंद गुड्डू चलाते थे ऑटो

ऐसी ही पारिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू की है. जो अपने पुराने दिनों में संविद नगर में अपने भाइयों के साथ ऑटो भी चलाते थे. अपने पिता रामअवतार पहलवान के बड़े पुत्र प्रेमचंद बाद में बिल्डर और जनप्रतिनिधि के बतौर सामने आए. हालांकि दोनों ही प्रत्याशी अब अपने संपर्कों और संबंधों के कारण चुनावी मैदान में डटे हुए हैं. दोनों ही सांवेर के मतदाताओं से अपने संपर्कों का हवाला देकर अपनी-अपनी जीत के दावे भी कर रहे हैं.

फिर दिखाए गए करोड़ों की योजनाओं के सपने

सांवेर में नर्मदा जल लाने के लिए भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां नर्मदा लाइन के जरिए घर घर पानी पहुंचाने के लिए 2400 करोड़ रुपए की जो घोषणा की है. आर्थिक संकट के दौर में राज्य सरकार को इस योजना को पूरा करने के लिए राशि किस मद से प्राप्त होगी यह सरकार बताने की स्थिति में नहीं है. सांवेर की मुख्य सड़क अधूरी बनी पड़ी है, जिसका निर्माण भी कमलनाथ सरकार गिरने के बाद आधा अधूरा रह गया है. अब मतदाताओं को यही बताया जा रहा है कि यदि शिवराज की सरकार नहीं बनी, तो सड़क बनना मुश्किल हो जाएगी. लेकिन अधूरी सड़क भी वित्तीय संकट से जूझ रही है.

मेट्रो का सपना भी चकनाचूर

इंदौर से सांवेर तक मेट्रो ट्रेन चलाने की जो घोषणा कांग्रेसमें मंत्री रहते तुलसी सिलावट ने की है वह भी अब पूरी होने के आसार नहीं है क्योंकि मेट्रो रेल कंपनी और नगर निगम इंदौर द्वारा निर्माण एजेंसी को राशि उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में एजेंसी इंदौर से सामान समेटकर जाने की तैयारी में है.

रोजगार की समस्या

बीते 25 सालों में सांवेर में स्थानीय स्तर पर कोई उद्योग और अन्य कंपनियां नहीं होने के कारण यहां युवाओं को रोजगार के लिए इंदौर व अन्य शहरों की ओर रुख करना पड़ता है. लेकिन अब कोरोना का हाल में यहां बेरोजगारी की समस्या और विकराल हो चुकी है. इसे लेकर भी दोनों पार्टियों के पास कोई पुख्ता योजना नहीं है.

स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल

कमलनाथ की सरकार में तुलसी सिलावट स्वास्थ्य मंत्री थे, लेकिन इसके बावजूद भी सांवेर की स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जहां डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है. कोरोना काल में यहां बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए तो लोगों को इलाज के लिए भी अपने स्तर पर इंदौर के अस्पतालों का रुख करना पड़ा.

लोगों का कहना है कि भले ही दोनों प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि बेहद सामान्य परिवारों से रही हो, लेकिन सत्ता मिलने के बाद नेताओं ने आम जनता के दुख-दर्द से मुंह मोड़ लिया और सांवेर में सड़क बिजली, पानी स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है.

इंदौर। 28 विधानसभाओं सबसे चर्चिच सीटों की बात की जाए तो सांवेर विधानसभा सीट का नाम सबसे पहले आता है. क्योंकि यहां से सिंधिया के सेनापति तुलसी सिलावट और दिग्विजय के करीबी प्रेमचंद गुड्डू के बीच सीधा मुकाबला है. तुलसी बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं, तो प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस की तरफ से. दोनों ही प्रत्याशी क्षेत्र के विकास का दावा कर रहे हैं. लेकिन लोगों का कहना है कि सांवेर तो विकास की राह में कब का पिछड़ चुका है, आज भी ये क्षेत्र वहीं खड़ा है जहां, 25 साल पहले था. अगर विकास हुआ है तो सिर्फ नेताओं का.

विकास की राह में पीछे छूटा सांवेर

क्या वजह है इन आरोपों की

जनता ये आरोप क्यों लगा रही है इसके पीछे की वजह हैरान करने वाली है. कहा जाता है कि एक समय बीजेपी प्रत्याशी तुलसी सिलावट का परिवार सब्जी बेचा करता था, लेकिन जैसे ही उनकी राजनीति में एंट्री हुई और सत्ता पर आसीन हुए तो करोड़पति हो गए. नामांकन में दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक उनकी संपत्ति करीब 6 करोड़ रूपए हैं. इसके बाद नाम आता है, कांग्रेस प्रत्याशी प्रेम चंद गुड्डू का. तो ये कभी ऑटो चलाते थे, बिजनस और राजनीति में आए तो संपत्ति में भारी उछाल आया. आज की तरीख में उनकी पारिवारिक संपत्ति 87 करोड़ है.

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तुलसी सिलावट

सिलावट का शपथ पत्र

भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट के पास कुल चल संपत्ति 50 लाख 97 हजार रुपए और अचल संपत्ति 6 करोड़ 8 लाख रुपए की है. उनकी पत्नी के नाम पर 40 लाख 89 हजार रुपए की चल और 2 करोड़ 54 लाख रुपए अचल संपत्ति है.

कांग्रेस प्रत्याशी की संपत्ति

गुड्डू ने नामांकन के साथ दिए गए शपथ पत्र में अपनी चल संपत्ति 24 करोड़ की और अचल संपत्ति 40 करोड़ से ज्यादा की बताई है. इस तरह वे 64 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. जबकि उनकी पत्नी के पास 23 करोड़ संपत्ति है. दोनों की संपत्ति मिलाएं तो वे 87 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं.

यहां थी तुलसी के पिता की सब्जी की दुकान

दरअसल भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट पैतृक रूप से सब्जी विक्रेता रहे हैं. खुद तुलसी सिलावट भी अपनी पारिवारिक दुकान पर इंदौर के छावनी इलाके में सब्जी बेचते थे. तुलसी सिलावट के पिता ठाकुर दीन की सब्जी की दुकान थी. जहां तुलसी सिलावट भी सब्जी बेचते थे. इसके अलावा वे ठेले पर सब्जी बेचने में भी कोई गुरेज नहीं करते थे.

भाइयों के साथ प्रेमचंद गुड्डू चलाते थे ऑटो

ऐसी ही पारिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू की है. जो अपने पुराने दिनों में संविद नगर में अपने भाइयों के साथ ऑटो भी चलाते थे. अपने पिता रामअवतार पहलवान के बड़े पुत्र प्रेमचंद बाद में बिल्डर और जनप्रतिनिधि के बतौर सामने आए. हालांकि दोनों ही प्रत्याशी अब अपने संपर्कों और संबंधों के कारण चुनावी मैदान में डटे हुए हैं. दोनों ही सांवेर के मतदाताओं से अपने संपर्कों का हवाला देकर अपनी-अपनी जीत के दावे भी कर रहे हैं.

फिर दिखाए गए करोड़ों की योजनाओं के सपने

सांवेर में नर्मदा जल लाने के लिए भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां नर्मदा लाइन के जरिए घर घर पानी पहुंचाने के लिए 2400 करोड़ रुपए की जो घोषणा की है. आर्थिक संकट के दौर में राज्य सरकार को इस योजना को पूरा करने के लिए राशि किस मद से प्राप्त होगी यह सरकार बताने की स्थिति में नहीं है. सांवेर की मुख्य सड़क अधूरी बनी पड़ी है, जिसका निर्माण भी कमलनाथ सरकार गिरने के बाद आधा अधूरा रह गया है. अब मतदाताओं को यही बताया जा रहा है कि यदि शिवराज की सरकार नहीं बनी, तो सड़क बनना मुश्किल हो जाएगी. लेकिन अधूरी सड़क भी वित्तीय संकट से जूझ रही है.

मेट्रो का सपना भी चकनाचूर

इंदौर से सांवेर तक मेट्रो ट्रेन चलाने की जो घोषणा कांग्रेसमें मंत्री रहते तुलसी सिलावट ने की है वह भी अब पूरी होने के आसार नहीं है क्योंकि मेट्रो रेल कंपनी और नगर निगम इंदौर द्वारा निर्माण एजेंसी को राशि उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में एजेंसी इंदौर से सामान समेटकर जाने की तैयारी में है.

रोजगार की समस्या

बीते 25 सालों में सांवेर में स्थानीय स्तर पर कोई उद्योग और अन्य कंपनियां नहीं होने के कारण यहां युवाओं को रोजगार के लिए इंदौर व अन्य शहरों की ओर रुख करना पड़ता है. लेकिन अब कोरोना का हाल में यहां बेरोजगारी की समस्या और विकराल हो चुकी है. इसे लेकर भी दोनों पार्टियों के पास कोई पुख्ता योजना नहीं है.

स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल

कमलनाथ की सरकार में तुलसी सिलावट स्वास्थ्य मंत्री थे, लेकिन इसके बावजूद भी सांवेर की स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जहां डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है. कोरोना काल में यहां बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए तो लोगों को इलाज के लिए भी अपने स्तर पर इंदौर के अस्पतालों का रुख करना पड़ा.

लोगों का कहना है कि भले ही दोनों प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि बेहद सामान्य परिवारों से रही हो, लेकिन सत्ता मिलने के बाद नेताओं ने आम जनता के दुख-दर्द से मुंह मोड़ लिया और सांवेर में सड़क बिजली, पानी स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है.

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