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सुप्रीम कोर्ट में खासगी ट्रस्ट के आधिपत्य को चुनौती देगी राज्य सरकार, 2 दिसंबर को अगली सुनवाई

खासगी ट्रस्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा मिली राहत के बाद राज्य सरकार ने कमर कस ली है. संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि सरकार अगली सुनवाई में तमाम तथ्यों के साथ अपना पक्ष मजबूती से रखेगी. उन्हें विश्वास है कि फैसला उनके पक्ष में आएगा.

Khasgi Scam
खासगी घोटाला
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Published : Oct 21, 2020, 2:14 AM IST

इंदौर। देशभर में फैली खासगी ट्रस्ट की करीब 12 हजार करोड़ की संपत्तियों पर अधिपत्य को लेकर एक बार फिर राज्य सरकार ने कमर कस ली है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रस्ट की याचिका स्वीकार किए जाने के बाद संपत्तियों के अधिपत्य को 2 दिसंबर को दोबार सुनवाई होगी. मध्यप्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार मजबूती के साथ अपना पक्ष रखेगी, सत्य को सिद्ध करेंगे और धंधेबाजों को ट्रस्ट से बाहर करेंगे. पूरा भरोसा है कि सुप्रीम में हमारी ही जीत होगी.

खासगी घोटाला

ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा को मिली राहत

कुछ दिनों पहले इंदौर हाई कोर्ट ने खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों की बिक्री के संबंध में लगी याचिका पर फैसला देते हुए तमाम संपत्तियों को राज्य सरकार के अधीन सौंपने संबंधी आदेश दिए थे. हालांकि इस फैसले को चुनौती देते हुए ट्रस्ट की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा को राहत दी थी. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें खासगी ट्रस्ट के नियंत्रण वाली तमाम संपत्तियों की जांच करने और उन्हें सरकारी कब्जे में लेने का आदेश दिया गया था.

अगली सुनवाई में तय होगा संपत्तियों पर मालिकाना हक किसका

सुप्रीम कोर्ट ने खासगी ट्रस्ट के तहत आने वाली संपत्तियों की निगरानी के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमिटी बनाने और पूरे मामले की जांच EOW से कराने के हाईकोर्ट के आदेश पर भी रोक दी है. उच्चतम न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 दिसंबर की तारीख तय की है. जिसमें ये तय होगा कि खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों पर असली मालिकाना हक किसका है. खासगी ट्रस्ट की तरफ से मशहूर वकील कपिल सिब्बल केस लड़ रहे हैं.

क्या है पूरा मामला

खासगी ट्रस्ट देवी अहिल्याबाई होलकर की ऐतिहासिक धरोहर वाली संपत्तियों की देखरेख करने वाली संस्था है. ट्रस्ट के ऊपर आरोप लगे कि इसने सरकारी संपत्तियों को कौड़ियों के दाम बेच दिया. ट्रस्ट के खिलाफ ये मामला हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में पहुंचा, तो कोर्ट ने अपने फैसले में ट्रस्ट की संपत्तियों को सरकारी कब्जे में लेने का आदेश दे दिया. साथ ही हाईकोर्ट ने ट्रस्ट के खिलाफ जांच करने के आदेश भी दिए थे. आदेश मिलने के बाद ही सरकार ने ट्रस्ट की तमाम संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरू भी कर दी थी.

इंदौर। देशभर में फैली खासगी ट्रस्ट की करीब 12 हजार करोड़ की संपत्तियों पर अधिपत्य को लेकर एक बार फिर राज्य सरकार ने कमर कस ली है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रस्ट की याचिका स्वीकार किए जाने के बाद संपत्तियों के अधिपत्य को 2 दिसंबर को दोबार सुनवाई होगी. मध्यप्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार मजबूती के साथ अपना पक्ष रखेगी, सत्य को सिद्ध करेंगे और धंधेबाजों को ट्रस्ट से बाहर करेंगे. पूरा भरोसा है कि सुप्रीम में हमारी ही जीत होगी.

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ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा को मिली राहत

कुछ दिनों पहले इंदौर हाई कोर्ट ने खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों की बिक्री के संबंध में लगी याचिका पर फैसला देते हुए तमाम संपत्तियों को राज्य सरकार के अधीन सौंपने संबंधी आदेश दिए थे. हालांकि इस फैसले को चुनौती देते हुए ट्रस्ट की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा को राहत दी थी. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें खासगी ट्रस्ट के नियंत्रण वाली तमाम संपत्तियों की जांच करने और उन्हें सरकारी कब्जे में लेने का आदेश दिया गया था.

अगली सुनवाई में तय होगा संपत्तियों पर मालिकाना हक किसका

सुप्रीम कोर्ट ने खासगी ट्रस्ट के तहत आने वाली संपत्तियों की निगरानी के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमिटी बनाने और पूरे मामले की जांच EOW से कराने के हाईकोर्ट के आदेश पर भी रोक दी है. उच्चतम न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 दिसंबर की तारीख तय की है. जिसमें ये तय होगा कि खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों पर असली मालिकाना हक किसका है. खासगी ट्रस्ट की तरफ से मशहूर वकील कपिल सिब्बल केस लड़ रहे हैं.

क्या है पूरा मामला

खासगी ट्रस्ट देवी अहिल्याबाई होलकर की ऐतिहासिक धरोहर वाली संपत्तियों की देखरेख करने वाली संस्था है. ट्रस्ट के ऊपर आरोप लगे कि इसने सरकारी संपत्तियों को कौड़ियों के दाम बेच दिया. ट्रस्ट के खिलाफ ये मामला हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में पहुंचा, तो कोर्ट ने अपने फैसले में ट्रस्ट की संपत्तियों को सरकारी कब्जे में लेने का आदेश दे दिया. साथ ही हाईकोर्ट ने ट्रस्ट के खिलाफ जांच करने के आदेश भी दिए थे. आदेश मिलने के बाद ही सरकार ने ट्रस्ट की तमाम संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरू भी कर दी थी.

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