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विदेशी जमीं पर पहला शतक लगाकर अमर हो गये कैप्टन, मरकर भी हर जेहन में हैं जिंदा

कैप्टन मुश्ताक अली भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन हर जेहन में वह जिंदा हैं. क्रिकेट की पिच पर जब वह बैटिंग करते थे, तब सितारे भी जमीं पर जमा हो जाते थे क्योंकि उन्हें रफ्तार का शौक था, लिहाजा वह हमेशा ही तूफानी पारी खेलते थे. फिर चाहे टेस्ट हो या टी-20. यही वजह है कि देश ही नहीं पूरी दुनिया में उनके प्रसंशक मौजूद हैं और उनका नाम बड़े ही अदब से लिया जाता है.

फाइल फोटो
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Published : Jun 3, 2019, 4:57 PM IST

Updated : Jun 3, 2019, 5:29 PM IST

इंदौर। विदेशी जमीं पर हिंदुस्तान की ओर से शतक लगाने वाले कैप्टन मुश्ताक अली जब क्रिकेट की पिच पर बैटिंग करने पहुंचते थे, तब सितारे भी जमीं पर जमा हो जाते थे, भारत की ओर से टेस्ट मैच में पहला शतक लगाकर क्रिकेट की दुनिया में अमर होने वाले कैप्टन सैयद मुश्ताक अली आज भी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा पुंज हैं, जोकि टी-20 की तरह ही टेस्ट मैच में भी बल्लेबाजी करते थे. 17 दिसंबर 1914 को इंदौर में जन्मे मुश्ताक को कर्नल सीके नायडू ने पहली बार हैदराबाद में क्रिकेट खेलने का मौका दिया था.

कैप्टन मुश्ताक अली की कहानी

टेस्ट सीरीज के बल्लेबाज कैप्टन मुश्ताक अली रनों की रफ्तार के लिए जाने जाते थे क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में भी तेजी से खेलने की उनकी आदत थी और वे कई बार कहा करते थे कि वह तेज रफ्तार के लिए क्रिकेट खेलते हैं. इंदौर में आज भी उनका परिवार रहता है, उनकी तीसरी पीढ़ी भी क्रिकेट में अपना योगदान दे रही है. उनके बाद उनके बेटे गुलरेज अली ने क्रिकेट में अपना योगदान दिया और अब उनके पोते अब्बास अली खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. मुश्ताक अली मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के प्लेटिनम क्लब में आते हैं, जिन्होंने 226 फर्स्ट क्लास मैच खेले थे, उनके सम्मान में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने कैप्टन मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए टी-20 मैचों की घरेलू श्रंखला शुरू की है. 1964 में कैप्टन मुश्ताक अली को पद्मश्री से नवाजा गया था.

एक समय ऐसा भी आया था, जब ऑस्ट्रेलियन सर्विसेज के खिलाफ होने वाले एक टेस्ट मैच में कैप्टन को शामिल नहीं किया गया था, जिसके चलते उनके फैन्स भड़क गए थे और नो मुश्ताक नो टेस्ट के नारे लगाए थे, जिसके चलते चयनकर्ताओं को मुश्ताक अली को भारतीय टीम में शामिल करना पड़ा था. 11 टेस्ट मैचों की 20 पारियों में कुल 612 रन बनाए थे, जिसमें 2 शतक और 3 अर्धशतक शामिल हैं, उन्होंने आखिरी टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ ही खेला था, जिसे फिरंगियों पर हिंदुस्तान की पहली टेस्ट फतह के रूप में भी जाना जाता है. इस समय विश्व कप के लिए क्रिकेट मैच खेले जा रहे हैं, ऐसे में क्रिकेट के दीवाने भारतीय खिलाड़ियों से मुश्ताक अली जैसे खेल की उम्मीद जता रहे हैं.

मुश्ताक अली भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, पर वह आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं क्योंकि जब संसाधनों का घोर अभाव था, तब भी उन्होंने अपने हुनर के बलबूते क्रिकेट की दुनिया में हिंदुस्तान का झंडा बुलंद किया था.

इंदौर। विदेशी जमीं पर हिंदुस्तान की ओर से शतक लगाने वाले कैप्टन मुश्ताक अली जब क्रिकेट की पिच पर बैटिंग करने पहुंचते थे, तब सितारे भी जमीं पर जमा हो जाते थे, भारत की ओर से टेस्ट मैच में पहला शतक लगाकर क्रिकेट की दुनिया में अमर होने वाले कैप्टन सैयद मुश्ताक अली आज भी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा पुंज हैं, जोकि टी-20 की तरह ही टेस्ट मैच में भी बल्लेबाजी करते थे. 17 दिसंबर 1914 को इंदौर में जन्मे मुश्ताक को कर्नल सीके नायडू ने पहली बार हैदराबाद में क्रिकेट खेलने का मौका दिया था.

कैप्टन मुश्ताक अली की कहानी

टेस्ट सीरीज के बल्लेबाज कैप्टन मुश्ताक अली रनों की रफ्तार के लिए जाने जाते थे क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में भी तेजी से खेलने की उनकी आदत थी और वे कई बार कहा करते थे कि वह तेज रफ्तार के लिए क्रिकेट खेलते हैं. इंदौर में आज भी उनका परिवार रहता है, उनकी तीसरी पीढ़ी भी क्रिकेट में अपना योगदान दे रही है. उनके बाद उनके बेटे गुलरेज अली ने क्रिकेट में अपना योगदान दिया और अब उनके पोते अब्बास अली खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. मुश्ताक अली मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के प्लेटिनम क्लब में आते हैं, जिन्होंने 226 फर्स्ट क्लास मैच खेले थे, उनके सम्मान में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने कैप्टन मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए टी-20 मैचों की घरेलू श्रंखला शुरू की है. 1964 में कैप्टन मुश्ताक अली को पद्मश्री से नवाजा गया था.

एक समय ऐसा भी आया था, जब ऑस्ट्रेलियन सर्विसेज के खिलाफ होने वाले एक टेस्ट मैच में कैप्टन को शामिल नहीं किया गया था, जिसके चलते उनके फैन्स भड़क गए थे और नो मुश्ताक नो टेस्ट के नारे लगाए थे, जिसके चलते चयनकर्ताओं को मुश्ताक अली को भारतीय टीम में शामिल करना पड़ा था. 11 टेस्ट मैचों की 20 पारियों में कुल 612 रन बनाए थे, जिसमें 2 शतक और 3 अर्धशतक शामिल हैं, उन्होंने आखिरी टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ ही खेला था, जिसे फिरंगियों पर हिंदुस्तान की पहली टेस्ट फतह के रूप में भी जाना जाता है. इस समय विश्व कप के लिए क्रिकेट मैच खेले जा रहे हैं, ऐसे में क्रिकेट के दीवाने भारतीय खिलाड़ियों से मुश्ताक अली जैसे खेल की उम्मीद जता रहे हैं.

मुश्ताक अली भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, पर वह आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं क्योंकि जब संसाधनों का घोर अभाव था, तब भी उन्होंने अपने हुनर के बलबूते क्रिकेट की दुनिया में हिंदुस्तान का झंडा बुलंद किया था.

Intro:कैप्टन मुश्ताक अली नाम क्रिकेट के उन खिलाड़ियों मैं जाना जाता है जोकि जब तक मैदान पर रहते थे तब तक उनके खेल को देखने के लिए भीड़ मौजूद रहती थी मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मे मुश्ताक अली भारतीय बल्लेबाजों में टेस्ट क्रिकेट के वे बल्लेबाज थे जिन्होंने विदेशी मैदान पर पहली बार शतक लगाया था भारत सरकार ने कैप्टन मुश्ताक अली को पद्मश्री से पुरस्कृत किया है कैप्टन मुश्ताक अली को लोगों के दिलों में जिंदा रखने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने भारत में क्रिकेट की घरेलू चैंपियनशिप भी उनके नाम पर रखी है जहां से आईपीएल में जाने वाले खिलाड़ियों के खेल को देखा जाता है कैप्टन मुश्ताक अली का परिवार देश का एकमात्र ऐसा परिवार है जिसकी तीसरी पीढ़ी भी क्रिकेट से जुड़ी हुई है


Body:किसी विदेशी धरती पर भारत की ओर से पहला टेस्ट शतक जड़कर क्रिकेट की दुनिया में अमर होने वाले कैप्टन सैयद मुश्ताक अली आज के खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है कैप्टन मुश्ताक अली की बल्लेबाजी T20 क्रिकेट के लिए मानी जाती थी वह टेस्ट मैचों में टी-20 क्रिकेट की तरह बल्लेबाजी करते थे और यही कारण था कि जब वह मैदान पर मैच खेलने के लिए उतरते थे तो आम जनता के साथ ही बॉलीवुड के स्टार्स भी उन्हें खेलते देखना चाहते थे 17 दिसंबर 1914 को कैप्टन मुश्ताक अली का जन्म इंदौर में हुआ था कैप्टन मुश्ताक अली उस समय के दिग्गज खिलाड़ी कर्नल सीके नायडू के करीबी माने जाते थे और सी के नायडू के द्वारा ही इन्हें हैदराबाद में पहला मैच खेलने का मौका भी दिया गया था कैप्टन मुश्ताक अली टेस्ट सीरीज के वे बल्लेबाज थे जो कि अपनी रनों की रफ्तार के लिए जाने जाते थे बताया जाता है कि कैप्टन मुश्ताक अली को टेस्ट क्रिकेट में भी तेजी से खेलने की आदत थी और वे कई बार कहा करते थे कि वह तेज रफ्तार के लिए क्रिकेट खेलते हैं इंदौर में आज भी कैप्टन मुस्ताक अली का परिवार रहता है जिस की तीसरी पीढ़ी क्रिकेट में अपना योगदान दे रही है कैप्टन मुश्ताक अली के बाद उनके बेटे गुलरेज अली ने क्रिकेट में अपना योगदान दिया और अब कैप्टन मुश्ताक अली के पोते अब्बास अली क्रिकेट में रहकर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं कैप्टन मुश्ताक अली मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के प्लेटिनम क्लब में आते हैं जिन्होंने 226 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं यही कारण भी है कि कैप्टन मुश्ताक अली के द्वारा क्रिकेट को दिए गए योगदान को याद रखने के लिए कैप्टन मुश्ताक अली ट्रॉफी भी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने शुरू की यह टी-20 मैचों की घरेलू श्रंखला है जिसमें की आईपीएल की फ्रेंचाइजी अपने खिलाड़ियों को खेलते हुए देखने आती है और फिर आईपीएल के समय उन खिलाड़ियों पर दाव खेला जाता है

भारत सरकार ने भी क्रिकेट में उनके अमूल्य योगदान पर 1964 में कैप्टन मुश्ताक अली को पद्मश्री से नवाजा था बताया जाता है कि एक समय ऐसा भी आया था जब ऑस्ट्रेलियन सर्विसेज के खिलाफ खेले जाने वाले एक टेस्ट में कैप्टन मुस्ताक अली को शामिल नहीं किया गया था जिसके कारण उनके चाहने वाले दर्शक भड़क गए थे और नो मुश्ताक नो टेस्ट के नारे लगाए गए थे जिसके बाद चयनकर्ताओं को मुश्ताक अली को भारतीय टीम में शामिल करना पड़ा

कैप्टन मुश्ताक अली ने 226 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं वही 11 टेस्ट मैचों की 20 पारियों में उन्होंने कुल 612 रन बनाए हैं जिसमें 2 शतक और 3 अर्धशतक शामिल हैं मुस्ताक अली के द्वारा आखिरी टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ ही खेला गया था और यह मैच फिरंगीयो के ऊपर हिंदुस्तान की पहली टेस्ट फतेह के रूप में भी जाना जाता है

वर्ष 1936 में विदेशी सर जमीन पर कैप्टन मुश्ताक अली ने पहला टेस्ट शतक जड़ा था कैप्टन मुश्ताक अली के बेटे गुलरेज अली उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि जब उनके पिता मैदान पर मैच खेलने के लिए उतरते थे तो दिलीप कुमार जैसे कई अभिनेता उनकी बल्लेबाजी को देखने के लिए वहां मौजूद रहते थे यही नहीं कैप्टन मुश्ताक अली ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें देखने के लिए कई बॉलीवुड अभिनेता और सिंगर मैदान पर पहुंचते थे गुलरेज अली बताते हैं कि कैप्टन मुश्ताक अली के द्वारा ऐसे शॉट्स खेले जाते थे जिन्हें आज की जरूरत समझा जा रहा है टेस्ट क्रिकेट में भी मुश्ताक अली टी20 की तरह धुआंधार बल्लेबाजी करते थे

इंदौर में जन्मे मुश्ताक अली मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के प्लेटिनम क्लब में शामिल हैं और सबसे अधिक फर्स्ट क्लास खेलने वाले खिलाड़ी हैं मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के द्वारा इंदौर के होल्कर स्टेडियम में मुश्ताक अली पवेलियन भी बनाया गया है जो कि मुख्य पवेलियन है इसके साथ ही कैप्टन मुश्ताक अली से जुड़ी हुई यादों को सहेज कर रखने के लिए स्टेडियम में ही रणजी ट्रॉफी की टीम की फोटो भी लगाई गई है उस समय यह टीम होलकर महाराज की टीम मानी जाती थी और होलकर स्टेट की तरफ से कैप्टन मुश्ताक अली टीम का हिस्सा थे

बाईट - गुलरेज अली, पुत्र

क्रिकेट के एक्सपर्ट बताते हैं कि कैप्टन मुश्ताक अली को देश ही नहीं जबकि विदेशों में भी जाना जाता था और कैप्टन मुश्ताक अली ट्रॉफी शुरू करने के बाद से क्रिकेट में नए खिलाड़ियों को मौका मिलने लगा है और यही कारण भी है की मुस्ताक अली ट्रॉफी से कई खिलाड़ी आईपीएल तक पहुंच रहे हैं

बाईट - सुशील दोषी, क्रिकेट एक्सपर्ट

देश में भी क्रिकेट वर्ल्ड कप खेला जा रहा है जिस तरह की युवा टीम क्रिकेट वर्ल्ड कप में पहुंची है उसे देश को कई उम्मीदें हैं देश के कई युवा आज भी इंडिया टीम को जोरदार तरीके से खेलना चाहते हैं उसी प्रकार का खेल है जो कि एक समय में कैप्टन मुश्ताक अली के द्वारा खेला जाता था

युवाओ की बाईट

इंदौर में मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के द्वारा मुस्ताक अली को सम्मान देने के लिए मुश्ताक अली पवेलियन बनाया गया है यह मुख्य पवेलियन है जहां पर खिलाड़ियों के बैठने की व्यवस्था रहती है और मैच के दौरान खिलाड़ी मैदान में जाने के लिए इसी पेवेलियन का इस्तेमाल करते हैं इसके साथ ही होलकर स्टेट के समय कैप्टन मुश्ताक अली जिस रणजी टीम का हिस्सा थे उसकी तस्वीरें भी स्टेडियम में लगाई गई है स्टेडियम में कैप्टन मुश्ताक अली की स्मृतियों को सहेजने के लिए कई कदम उठाए गए हैं जिसका जायजा लिया हमारे संवाददाता अंशुल मुकाती ने

पी 2 सी


Conclusion:कैप्टन मुश्ताक अली जिस प्रकार का क्रिकेट खेलते थे वह क्रिकेट आज भी लोगों के जेहन में याद है आज के समय में जिस प्रकार से T20 क्रिकेट को बढ़ावा दिया जा रहा है कैप्टन मुश्ताक अली के द्वारा उसी समय टेस्ट क्रिकेट में ऐसा खेल दिखाया जाता था
Last Updated : Jun 3, 2019, 5:29 PM IST
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