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देरी से आए मानसून से बढ़ेगी किसानों की मुश्किल, वैज्ञानिकों ने अभी बुआई नहीं करने की दी सलाह

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक मानसून 23 जून तक मालवा में पहुंचेगा, जिसके बाद ही किसान खेतों में बुआई शुरू कर सकते हैं. देरी से आए मानसून के कारण इसका असर सोयाबीन की फसल पर होगा. इस वजह से किसानों की चिंता बढ़ गई है.

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Published : Jun 20, 2019, 9:29 PM IST

देरी से आए मानसून से बढ़ेगी किसानों की मुश्किल

इंदौर। मध्यप्रदेश में प्री मानसून की बारिश से एक ओर जहां गर्मी से राहत मिली है, वहीं किसानों की चिंता भी बढ़ गयी है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मानसून 23 जून तक मालवा में पहुंचेगा, जिसके बाद ही किसान खेतों में बुआई शुरू कर सकते हैं. मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि देरी से आए मानसून के कारण इसका असर सोयाबीन की फसल पर भी होगा.

देरी से आए मानसून से बढ़ेगी किसानों की मुश्किल

⦁ मध्यप्रदेश के मालवा और निमाड़ में सोयाबीन की अधिक पैदावार की जाती है.
⦁ प्री-मानसून की बारिश के बाद किसानों ने खेत में बुआई की तैयारी शुरू कर दी है.
⦁ मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी धरती की गर्मी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है, इसलिए किसानों को खेतों में बीज नहीं बोना चाहिए.
⦁ प्री मानसून की बारिश को देखते हुए वैज्ञानिकों का दावा है कि ऐसे समय में खेती करने से बीज को नुकसान पहुंचेगा.
⦁ वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि मानसून में लगातार हो रही देरी से फसलों को नुकसान होगा और इस बार फसल भी कम होगी.
⦁ अगर समय रहते मानसून नहीं आता है, तो सोयाबीन और तिलहन की खेती पर इसका बुरा असर पड़ेगा.
⦁ मौसम विभाग ने फिलहाल किसानों को बुआई नहीं करने की सलाह दी है.
⦁ बता दें कि सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुना कर अर्थव्यवस्था में तेजी लाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन कम बारिश से सरकार की इस योजना पर भी सीधा असर पड़ेगा.

इंदौर। मध्यप्रदेश में प्री मानसून की बारिश से एक ओर जहां गर्मी से राहत मिली है, वहीं किसानों की चिंता भी बढ़ गयी है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मानसून 23 जून तक मालवा में पहुंचेगा, जिसके बाद ही किसान खेतों में बुआई शुरू कर सकते हैं. मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि देरी से आए मानसून के कारण इसका असर सोयाबीन की फसल पर भी होगा.

देरी से आए मानसून से बढ़ेगी किसानों की मुश्किल

⦁ मध्यप्रदेश के मालवा और निमाड़ में सोयाबीन की अधिक पैदावार की जाती है.
⦁ प्री-मानसून की बारिश के बाद किसानों ने खेत में बुआई की तैयारी शुरू कर दी है.
⦁ मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी धरती की गर्मी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है, इसलिए किसानों को खेतों में बीज नहीं बोना चाहिए.
⦁ प्री मानसून की बारिश को देखते हुए वैज्ञानिकों का दावा है कि ऐसे समय में खेती करने से बीज को नुकसान पहुंचेगा.
⦁ वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि मानसून में लगातार हो रही देरी से फसलों को नुकसान होगा और इस बार फसल भी कम होगी.
⦁ अगर समय रहते मानसून नहीं आता है, तो सोयाबीन और तिलहन की खेती पर इसका बुरा असर पड़ेगा.
⦁ मौसम विभाग ने फिलहाल किसानों को बुआई नहीं करने की सलाह दी है.
⦁ बता दें कि सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुना कर अर्थव्यवस्था में तेजी लाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन कम बारिश से सरकार की इस योजना पर भी सीधा असर पड़ेगा.

Intro:मध्य प्रदेश में हो रही बारिश से एक और जहां गर्मी में राहत मिली है वहीं अभी तक हुई बारिश से किसानों की चिंता बढ़ गयी है, मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बारिश 23 जून तक मालवा में पहुंचेगी जिसके बाद ही किसान खेतो में बोवनी शुरू कर सकते है, मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि देरी से आए मानसून के कारण इसका असर सोयाबीन की फसल पर भी होगा


Body:मध्यप्रदेश के मालवा और निमाड़ में सोयाबीन की अधिक पैदावार की जाती है प्री मानसून से किसानों ने खेती की तैयारी तो शुरू कर दी है लेकिन मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी धरती की गर्मी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है ऐसे में किसानों को खेतों में बीज नहीं होना चाहिए, प्री मानसून बारिश को देखते हुए वैज्ञानिकों का दावा है कि ऐसे समय में खेती करने से बीज को नुकसान पहुंचेगा, हालांकि वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि मानसून में लगातार हो रही देरी से फसलों को नुकसान होगा और इस बार मानसून के कारण फसल भी कम होगी फिलहाल जिस तरह से मानसून की चाल चल रही है उससे बारिश पर आधारित खेती में नुकसान होने की आशंका है यदि समय रहते मानसून नहीं आता है तो सोयाबीन और तिलहन जैसी खेती में किसानों को नुकसान होगा सरकार के द्वारा किसानों की आय को दुगनी करने से अर्थव्यवस्था में तेजी लाने की कोशिश की जा रही है लेकिन कम बारिश से सरकार की इस योजना पर भी सीधा असर दिखाई दे रहा है

बाईट - संजय शर्मा, मौसम वैज्ञानिक


Conclusion:मानसून को लेकर किसान लगातार उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन मौसम विभाग के द्वारा फिलहाल किसानों को यह राय दी गई है कि खेती की शुरआत अभी न करे
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