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इंदौर से ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने पीएम मोदी भी जीत दर्ज नहीं कर सकतेः सज्जन सिंह वर्मा

कमलनाथ सरकार में कद्दावर मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया को इंदौर से चुनाव लड़ाने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर सिंधिया इंदौर से चुनाव लड़ेंगे तो पीएम मोदी भी यहां जीत दर्ज नहीं कर सकते.

मंत्री सज्जन सिंह वर्मा
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Published : Apr 12, 2019, 1:32 PM IST

भोपाल। मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने सूबे की हाइप्रोफाइल सीट इंदौर से ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव लड़ाने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर सिंधिया इंदौर से चुनाव लड़ेंगे तो वे ढाई लाख से भी ज्यादा वोटों से चुनाव जीतेंगे. वही इंदौर सीट पर अब तक प्रत्याशी न उतारे जाने के सवाल पर मंत्री वर्मा ने कहा कि बीजेपी का कैंडिडेट घोषित होने के दो घंटे बाद कांग्रेस अपना उम्मीदवार घोषित कर देगी.

मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा है अगर इंदौर सीट से कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकट देती है. तो पीएम मोदी भी उनके सामने यहां से जीत दर्ज नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि टफ सीटों पर कद्दावर नेताओं के चुनाव लड़ने से माहौल बदल जाता है. भोपाल में दिग्विजय सिंह के खड़े होने से यहा चुनावी मुकाबले का रुख ही बदल गया है. मंत्री वर्मा ने कहा कि इंदौर लोकसभा क्षेत्र में दो लाख से भी ज्यादा मराठी वोटर हैं, जो अब तक बीजेपी के साथ थे. लेकिन, अगर सिंधिया यहां से चुनाव लड़ते है तो इस वोट बैंक में सेंध लगाई जा सकती है.

मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को इंदौर से चुनाव लड़ाने की मांग.

हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं. उनका गुना लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. लेकिन इस बात की अबतक घोषणा नहीं हुई है. इंदौर लोकसभा सीट पर पिछले आठ चुनावों से बीजेपी की सुमित्रा महाजन लगातार जीत दर्ज करती आ रही हैं. 2014 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को बड़े मार्जिन से हराया था. यही वजह है कि कांग्रेस इस बार इंदौर सीट पर बड़े प्रत्याशी को मैदान में उतारकर यहां जीत दर्ज करने की फिराक में है.

भोपाल। मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने सूबे की हाइप्रोफाइल सीट इंदौर से ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव लड़ाने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर सिंधिया इंदौर से चुनाव लड़ेंगे तो वे ढाई लाख से भी ज्यादा वोटों से चुनाव जीतेंगे. वही इंदौर सीट पर अब तक प्रत्याशी न उतारे जाने के सवाल पर मंत्री वर्मा ने कहा कि बीजेपी का कैंडिडेट घोषित होने के दो घंटे बाद कांग्रेस अपना उम्मीदवार घोषित कर देगी.

मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा है अगर इंदौर सीट से कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकट देती है. तो पीएम मोदी भी उनके सामने यहां से जीत दर्ज नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि टफ सीटों पर कद्दावर नेताओं के चुनाव लड़ने से माहौल बदल जाता है. भोपाल में दिग्विजय सिंह के खड़े होने से यहा चुनावी मुकाबले का रुख ही बदल गया है. मंत्री वर्मा ने कहा कि इंदौर लोकसभा क्षेत्र में दो लाख से भी ज्यादा मराठी वोटर हैं, जो अब तक बीजेपी के साथ थे. लेकिन, अगर सिंधिया यहां से चुनाव लड़ते है तो इस वोट बैंक में सेंध लगाई जा सकती है.

मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को इंदौर से चुनाव लड़ाने की मांग.

हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं. उनका गुना लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. लेकिन इस बात की अबतक घोषणा नहीं हुई है. इंदौर लोकसभा सीट पर पिछले आठ चुनावों से बीजेपी की सुमित्रा महाजन लगातार जीत दर्ज करती आ रही हैं. 2014 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को बड़े मार्जिन से हराया था. यही वजह है कि कांग्रेस इस बार इंदौर सीट पर बड़े प्रत्याशी को मैदान में उतारकर यहां जीत दर्ज करने की फिराक में है.

Intro:कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कमलनाथ सरकार में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने इंदौर लोकसभा सीट से एक बार फिर सिंधिया को उतारे जाने की मांग की है उन्होंने कहा कि यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर सीट से उतरे तो कम से कम ढाई लाख मतों से विजयी होंगे। सज्जन सिंह वर्मा के मुताबिक सिंधिया का क्षेत्र में बहुत प्रभाव है और उनके सामने प्रधानमंत्री मोदी भी उतर जाए तब भी वे जीत नहीं पाएंगे। इंदौर सीट होल्ड करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीजेपी का कैंडिडेट घोषित होने की 2 घंटे के अंदर कांग्रेस अपना उम्मीदवार घोषित कर देगी।


Body:इंदौर लोकसभा सीट पर बीजेपी का लंबे समय से कब्जा रहा है। इंदौर लोकसभा सीट से बीजेपी के कद्दावर नेता लगातार 8 बार से चुनकर संसद पहुंच रही है। उनके सामने कांग्रेस के जितने भी धुरंधर चुनाव मैदान में खड़े हुए उन्हें हार ही देखनी पड़ी है 1989 के बाद यह पहला मौका है जब कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है। इंदौर लोकसभा सीट की 8 विधानसभा में से 4 पर कांग्रेस का कब्जा है और इस क्षेत्र से कमलनाथ सरकार में दो मंत्री है। हालांकि लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित करने से पहले कांग्रेस इस इंतजार में है कि बीजेपी किसे चुनाव मैदान में उतारती है। 75 के फार्मूले के चलते 8 बार से सांसद सुमित्रा महाजन ने खुद ही चुनाव ना लड़ने का ऐलान कर दिया। बीजेपी सुमित्रा महाजन के विकल्प पर मंथन कर रही है वहीं कांग्रेस भी इंतजार में है कि बीजेपी किसे मैदान में उतारती है, उसके हिसाब से ही कांग्रेस अपना उम्मीदवार घोषित करेगी। उधर इंदौर लोकसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव मैदान में उतारने की एक बार फिर बात उठी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और कमलनाथ सरकार में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा है कि यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे तो उनके सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आ जाएं तब भी वह जीत नहीं सकते। सिंधिया की क्षेत्र में बहुत इज्जत है और वह चुनाव मैदान में उतरे तो कम से कम ढाई लाख मतों से जीतेंगे। सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि टफ सीटों से कद्दावर नेताओं को चुनाव लड़ना चाहिए भोपाल से दिग्विजय सिंह चुनाव मैदान में उतरे दो इस सीट का माहौल ही बदल गया इसी तरह सिंधिया को भी इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव में उतारा जाना चाहिए। देखा जाए तो इंदौर लोकसभा मैं दो लाख से ज्यादा मराठी वोटर है जो अब तक बीजेपी के साथ रहे हैं, लेकिन यदि सिंधिया मैदान में आए तो इस वोट बैंक में सेंध लगाई जा सकती है। यह अलग बात है कि इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से सिंधिया साफ इंकार कर चुके हैं। उन्होंने गुना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारियां भी शुरू कर दी है हालांकि अभी आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है।

इंदौर सीट पर कांग्रेस को 30 साल से जीत का इंतजार...

मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट की बात की जाए तो इस सीट ने सुमित्रा महाजन के रूप में देश को लोकसभा अध्यक्ष दिया है प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर राजनीतिक नजरिए से भी बेहद अहम है इंदौर शहर के बाशिंदे ताई को लगातार 8 बार से अपना सांसद चुनते आ रहे हैं लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस की जितने भी उम्मीदवार उनके सामने मैदान में उतरे सभी पानी मांगते नजर आए हैं 1989 में सुमित्रा ताई ने यहां से पहला चुनाव लड़ा था और पहले ही चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद सेठी को पटकनी दी थी। इसके बाद से कांग्रेस इस सीट पर दोबारा नहीं लौट पाई। यह अलग बात है की 1957 से 1984 तक इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के सतनारायण पटेल को 4 लाख से ज्यादा के मार्जिन से धूल चटाई थी। 1989 की बात पहली बार इंदौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है क्योंकि इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती है लेकिन विधानसभा चुनाव में इन 8 में से 4 सीटों पर कांग्रेस कब्जा जमाने में सफल साबित हुई है। इनमें से दो कमलनाथ सरकार में मंत्री भी हैं।


Conclusion:
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