इंदौर। जिले से काबुली चने की मुनाफाखोरी और कालाबाजारी का मामला सामने आया है. जिले के करीब एक दर्जन अनाज व्यापारी इंपोर्ट एक्सपोर्ट के बहाने किसानों को ठगने में जुटे थे. जब मुंबई कस्टम की टीम ने छारेमार कार्रवाई की तो इन व्यापारियों के गोरखधंधे का खुलासा हुआ.
काबुली चने के कारोबारियों पर मुंबई कस्टम विभाग ने मारा छापा - indore news
इंदौर में हो रही काबुली चने की कालाबाजारी पर कार्रवाई करते हुए मुंबई कस्टम की टीम ने छापा मारा है.
काबुली चने के कारोबारियों पर कार्रवाई
इंदौर। जिले से काबुली चने की मुनाफाखोरी और कालाबाजारी का मामला सामने आया है. जिले के करीब एक दर्जन अनाज व्यापारी इंपोर्ट एक्सपोर्ट के बहाने किसानों को ठगने में जुटे थे. जब मुंबई कस्टम की टीम ने छारेमार कार्रवाई की तो इन व्यापारियों के गोरखधंधे का खुलासा हुआ.
Intro: प्रदेश में बड़े पैमाने पर चने की मुनाफाखोरी और कालाबाजारी सामने आई है दरअसल यह कारनामा इंदौर के करीब एक दर्जन अनाज व्यापारी कर रहे थे जो इंपोर्ट एक्सपोर्ट के बहाने किसानों को थकने में जुटे थे आज मुंबई कस्टम की टीम द्वारा छापे की कार्रवाई के बाद इन व्यापारियों के गोरखधंधे का खुलासा हो गया है
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दरअसल निखिल अग्रवाल नामक एक शिकायतकर्ता द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय और डीजीएफटी में इस मामले की गई थी इस शिकायत की कार्यवाही के चलते इंदौर की रजत इंटरप्राइजेज जिसके मालिक रजत साडा आशीष कुमार मुकेश कुमार के मालिक मुकेश बंसल प्रकाश ओवरसीज़ के मालिक संजय जैन सहित इंद्रप्रस्थ फूड प्राइवेट लिमिटेड के
दिलीप देवासवाल पवन इंडस्ट्री के रमेश मित्तल सहित अन्य कारोबारियों के यहाँ अलग अलग 10 से ज्यादा टीमों ने पहुंचकर छापे की कारवाही की
इस मामले में प्रथम देश क्या पता चला है कि व्यापारियों की फर्मों ने ना सिर्फ 7 हजार रुपये प्रति क्विंटल चने के भाव को गिरा कर लगभग 4500 पर ले आये साथ ही इन व्यापारियों ने जो चने को 2800 रुपये प्रति क्विंटल से भाव से इम्पोर्ट किया वह माल 4100 से लेकर 4300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बेसन प्लांट्स को बेचकर 1400 रुपये प्रति क्विंटल मुनाफाखोरी कर डाली ! चूंकी इंडियन काबुली चने की डिमांड विदेशों में कमजोर थी इन हालातों में माल को 90 दिनों के भीतर इम्पोर्ट अगेंस्ट एक्सपोर्ट करना जरूरी होता है, लिहाज़ा इन व्यापारियों ने लगातार बाजार भाव को गिराते हुए डिमाण्ड न होते हुए भी कम भाव का लालच देते हुए माल एक्सपोर्ट किया जिसके चलते बाजार मंदी के मकड़जाल में जकड़ते चले गए । फरवरी से मई तक महज 3-4 महीनों में मध्यप्रदेश का किसान जो लगभग 25 लाख बोरी माल का भाव माह -दर-माह 500 से 1000 रुपये गिराया गया ओर करोड़ों -अरबों रुपये की मुनाफाखोरी इन बड़े व्यापारियों द्वारा की गईConclusion:
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दरअसल निखिल अग्रवाल नामक एक शिकायतकर्ता द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय और डीजीएफटी में इस मामले की गई थी इस शिकायत की कार्यवाही के चलते इंदौर की रजत इंटरप्राइजेज जिसके मालिक रजत साडा आशीष कुमार मुकेश कुमार के मालिक मुकेश बंसल प्रकाश ओवरसीज़ के मालिक संजय जैन सहित इंद्रप्रस्थ फूड प्राइवेट लिमिटेड के
दिलीप देवासवाल पवन इंडस्ट्री के रमेश मित्तल सहित अन्य कारोबारियों के यहाँ अलग अलग 10 से ज्यादा टीमों ने पहुंचकर छापे की कारवाही की
इस मामले में प्रथम देश क्या पता चला है कि व्यापारियों की फर्मों ने ना सिर्फ 7 हजार रुपये प्रति क्विंटल चने के भाव को गिरा कर लगभग 4500 पर ले आये साथ ही इन व्यापारियों ने जो चने को 2800 रुपये प्रति क्विंटल से भाव से इम्पोर्ट किया वह माल 4100 से लेकर 4300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बेसन प्लांट्स को बेचकर 1400 रुपये प्रति क्विंटल मुनाफाखोरी कर डाली ! चूंकी इंडियन काबुली चने की डिमांड विदेशों में कमजोर थी इन हालातों में माल को 90 दिनों के भीतर इम्पोर्ट अगेंस्ट एक्सपोर्ट करना जरूरी होता है, लिहाज़ा इन व्यापारियों ने लगातार बाजार भाव को गिराते हुए डिमाण्ड न होते हुए भी कम भाव का लालच देते हुए माल एक्सपोर्ट किया जिसके चलते बाजार मंदी के मकड़जाल में जकड़ते चले गए । फरवरी से मई तक महज 3-4 महीनों में मध्यप्रदेश का किसान जो लगभग 25 लाख बोरी माल का भाव माह -दर-माह 500 से 1000 रुपये गिराया गया ओर करोड़ों -अरबों रुपये की मुनाफाखोरी इन बड़े व्यापारियों द्वारा की गईConclusion:
Last Updated : Jan 25, 2020, 12:06 AM IST