इंदौर। कोरोना संक्रमण के इलाज में प्लाज्मा विधि भी कारगर है, लेकिन प्लाज्मा चढ़ाने के लिए निजी हॉस्पिटल जमकर रुपये ऐंठने में लगे हुए है. इंदौर के निजी हॉस्पिटल में जमकर प्लाज्मा को लेकर लूट मची हुई है.
रुपये ऐंठ रहे निजी अस्पताल
कोरोना मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाकर भी डॉक्टर ठीक करने की कोशिश करते हैं. प्लाज्मा चढ़ाने के लिए हॉस्पिटल जमकर रुपये ऐंठ रहे हैं. इंदौर के निजी हॉस्पिटल में प्लाज्मा निकालने के लिए मरीज के परिजनों से तकरीबन 18000-25000 और 50000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं. इसको लेकर इंदौर के ब्लड कॉल सेंटर के संयोजक ने मंत्री तुलसी सिलावट के साथ ही कई जनप्रतिनिधियों के साथ ही अधिकारियों से भी मुलाकात की और प्लाज्मा के रेट तय करने की मांग की है. अब देखना होगा कि जिस तरह से ब्लड कॉल सेंटर के द्वारा मुहिम चलाकर प्लाज्मा के नाम पर जो रुपयों की डिमांड की जा रही है वह कितनी सार्थक होती है.
इस तरह से तैयार होती है प्लाज्मा
संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने बताया कि इसमें डरने की कोई बात नहीं है प्लाज्मा डोनेशन, ब्लड डोनेशन की तरह ही होता है. ढाई सौ से 300 मिलीलीटर खून लिया जाता है. उस खून से फिर प्लाज्मा सेपरेट किया जाता है. सेपरेटेड प्लाज्मा मरीज को दिया जाता है. प्लाज्मा डोनेशन की क्रिया में दो से तीन घंटे लगते हैं.
कोरोना संक्रमितों की मदद के लिए कांग्रेस ने लॉन्च किया 'प्लाज्मा दान लिंक'
गाइडलाइन के तहत चढ़ाया जाता है प्लाज्मा
कोरोना संक्रमित मरीजों को गाइडलाइन के तहत प्लाज्मा चढ़ाया जाता है. साथ ही प्लाज्मा सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों के द्वारा डोनेट किया जा सकता है, जिन्हें किसी तरह की कोई बीमारी न हो. 18 साल से लेकर 60 साल की उम्र का कोई भी व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट कर सकता है. उनका वजन 50 किलो से अधिक हो. इसी के साथ अलग-अलग तरह के नियम भी प्लाज्मा डोनेट करने वालों के लिए प्रशासन ने निकाले हुए हैं.