इंदौर। शहर ने स्वच्छता में चौका तो लगा लिया, लेकिन आज भी शहर में एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां स्वच्छता तो दूर मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पहुंच पाई है. हम बात कर रहे है शहर के संजय गांधी नगर क्षेत्र की. मूलभूत सुविधाएं ना मिलने के कारण संजय गांधी नगर क्षेत्र के रहवासी पिछले कई वर्षों से परेशान हैं. वार्डवासियों ने परेशान होकर आने वाले नगरीय निकाय चुनाव के बहिष्कार की घोषणा कर दी है. रहवासियों का कहना है कि जब उनकी समस्या हल ही नहीं होती है, तो वह चुनाव में मतदान क्यों करें?
दिलचस्प बात यह है कि इस इलाके से बीजेपी के जीतू जिराती और कांग्रेस के जीतू पटवारी विधानसभा जा चुके है. दिग्गज नेताओं का विधानसभा क्षेत्र होने के बावजूद यह क्षेत्र समस्याओं से जूझ रहा है.
- सिर्फ वोट मांगने आते है नेता
दरअसल इंदौर के संजय गांधी नगर में रहने वाले लोगों ने मूलभूत सुविधाएं न मिलने के कारण चुनाव बहिष्कार का आंदोलन शुरू कर दिया है. संजय गांधी नगर हुकमाखेड़ी के लोगों ने कहा है कि इस बार वे ना कांग्रेस और ना बीजेपी को किसी को वोट नहीं देंगे. लोगों का कहना है कि उन्हें अभी तक मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिली है. हर बार चुनाव के समय जनप्रतिनिधि सिर्फ वोट मांगने के लिए इलाके में आते हैं. उसके बाद कोई आम जनता की समस्याओं को सुनने वाला नहीं होता है.
- दिग्गज नेताओं का क्षेत्र है संजय गांधी नगर
इंदौर का वार्ड क्रमांक 79 में संजय गांधी नगर में हुकमाखेड़ी का इलाका आता है. यह इलाका 5 साल पहले ही 29 गांव के साथ नगरीय सीमा में शामिल हुआ था. इससे पहले यह इलाका ग्राम पंचायत में आता था. दिलचस्प बात यह है कि इस इलाके से ही बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज नेता विधानसभा तक भी पहुंचे हैं. पहले यहां पर बीजेपी विधायक जीतू जिराती रहे, तो उसके बाद फिलहाल कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी यहां से विधायक हैं. लेकिन उसके बावजूद आम जनता को अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है.
मंगलवार को विधानसभा उपाध्यक्ष पर होगा निर्णय: जीतू पटवारी
- वार्ड में बन चुकी है 15 दिन की सड़क
इलाके के लोगों का आरोप है कि 29 गांव के साथ ही नगरीय सीमा में शामिल हुआ यह इलाका अभी तक अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझता रहा है. एक बार यहां पर सड़क बनवाई गई थी, लेकिन वह 15 दिनों में ही उखड़ गई. सड़क बनाने वाले ठेकेदार को तो ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया, लेकिन वापस से सड़क बनाने की जहमत किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं उठाई. वहीं पिछले 25 सालों से नर्मदा के पानी के लिए भी क्षेत्र के रहवासियों को संघर्ष करना पड़ रहा है. रहवासियों का आरोप है कि हर बार चुनाव के समय अलग-अलग जनप्रतिनिधि यहां आते हैं और कई वादें करके चले जाते हैं. लेकिन चुनाव होने के बाद कोई भी वापस से इलाके की सुध नहीं लेता. इसीलिए यहां के रहवासियों ने इस बार चुनाव के बहिष्कार का निर्णय लिया है. चुनाव के बहिष्कार करने के पोस्टर इलाके में भी लगाए गए है, हमारे संवाददाता अंशुल मुक़ाती ने शहर के इस इलाके का जायजा लिया और लोगों की समस्याओं को करीब से जाना...
- टाल के बाल छट गए पर नहीं मिला पानी
रहवासी महिला का कहना है कि में लगभग 30 साल से यहां रह रही हूं, लेकिन यहां आज तक पानी नहीं आया. मैं सिर पर पानी लाते-लाते टाल के बाल छट गए, लेकिन आज तक नर्मदा का पानी नहीं पहुंच सका.