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कोरोना मरीजों के शवों की दुर्गति, हाईकोर्ट में दायर याचिक पर हुई सुनवाई - Corona patient dead bodies

कोरोना काल में इंदौर में कई लोगों ने जान गंवा दी.अस्पतालों में मरीजों के शवों के रख-रखाव को लेकर लापरवाही बरती गई थी. एक अस्पताल में तो मरीज के शव को चूहे कुतर गए. अस्पतालों के लापरवाही भरे रवैये को लेकर एक पीआईएल दायर की गई थी. जिस पर गुरुवार को सुनवाई हुई. लेकिन सरकारी वकील जवाब पेश नहीं कर पाए. अगली हियरिंग 8 फरवरी को है.

Indore High Court
इंदौर हाई कोर्ट
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Published : Jan 22, 2021, 2:00 AM IST

इंदौर। कोरोना के पीक टाइम पर प्रदेश के महानगरों में मौत का खौफनाक मंजर था. अस्पतालों में कई मरीजों ने दम तोड़ा. इस दौरान कई अस्पतालों में लापरवाही भी सामने आई. आलम ये था कि कहीं-कहीं तो मरीजों के शव चूहे कुतर गए. इंदौर के यूनिक हॉस्पिटल में भी इसी तरह की लापहवाही देखी गई थी. अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के शव की दुर्गति को लेकर हाई कोर्ट में पीआईएल लगाई गई थी. जिस पर गुरूवार को सुनवाई हुई.

अगली सुनवाई 8 फरवरी को

सरकार को जवाब पेश करना था. सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले में मजिस्ट्रियल जांच चल रही है, जो तीन दिन में पूरी हो जाएगी. जल्द ही जांच रिपोर्ट और जवाब पेश किया जाएगा. इस पर कोर्ट ने सुनवाई दो सप्ताह आगे बढ़ा दी है. मामले में अगली सुनवाई 8 फरवरी को होगी.

5 सितंबर 2020 को हुई थी घटना

गौरतलब है कि अन्नपूर्णा रोड स्थित यूनिक अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग की मृत्यु के बाद उनके शव को तलघर में रखवा दिया गया था. जहां शव को चूहों ने कुतर दिया. घटना का खुलासा 5 सितंबर 2020 को हुआ था. जिसके बाद भारी हंगाम हुआ. कलेक्टर ने मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे.

एमवाय हॉस्पिटल में भी हुई थी लापरवाही

इसके पहले एमवाय हॉस्पिटल में एक शव नौ दिन तक स्ट्रेचर पर पड़े-पड़े कंकाल हो गया था. अस्पतालों की इस तरह की लापरवाहियों को लेकर याचिकाकर्ता प्रकाश जैन ने एडवोकेट निमेश पाठक के जरिए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी.

कलेक्टर ने दिए थे मजिस्ट्रियल जांच के आदेश

इस बीच शवों की लापरवाही को लेकर कलेक्टर ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश भी दे दिए थे. गुरुवार को सरकार को जनहित याचिका पर जवाब देना था. शासन की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि जांच पूरी होने को है. एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश कर दी जाएगी.

याचिकाकर्ता की क्या मांगें थीं ?

  • कोरोना पॉजिटिव मरीज के साथ कम से कम परिवार के एक सदस्य को सावधानी के साथ अस्पताल में रखा जाए. ताकि मरीज की स्थिति और इलाज की जानकारी मिलती रहे.
  • कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम करवाया जाए. ताकि मौत की वजह का पता चल सके.
  • कोरोना वार्डों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. बाहर एक बड़ी स्क्रीन पर तमाम फुटेज दिखाए जाएं. ताकि परिजनों तक मरीजों की पूरी जानकारी पहुंचे.
  • कोरोना से जुड़े मामलों की शिकायत के लिए एक सेंट्रल हेल्प डेस्क गठित की जाए.
  • शवगृहों की व्यवस्था की जाए.
  • शवों के रख-रखाव में लापरवाही बरतने वाले अस्पतालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए.

इंदौर। कोरोना के पीक टाइम पर प्रदेश के महानगरों में मौत का खौफनाक मंजर था. अस्पतालों में कई मरीजों ने दम तोड़ा. इस दौरान कई अस्पतालों में लापरवाही भी सामने आई. आलम ये था कि कहीं-कहीं तो मरीजों के शव चूहे कुतर गए. इंदौर के यूनिक हॉस्पिटल में भी इसी तरह की लापहवाही देखी गई थी. अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के शव की दुर्गति को लेकर हाई कोर्ट में पीआईएल लगाई गई थी. जिस पर गुरूवार को सुनवाई हुई.

अगली सुनवाई 8 फरवरी को

सरकार को जवाब पेश करना था. सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले में मजिस्ट्रियल जांच चल रही है, जो तीन दिन में पूरी हो जाएगी. जल्द ही जांच रिपोर्ट और जवाब पेश किया जाएगा. इस पर कोर्ट ने सुनवाई दो सप्ताह आगे बढ़ा दी है. मामले में अगली सुनवाई 8 फरवरी को होगी.

5 सितंबर 2020 को हुई थी घटना

गौरतलब है कि अन्नपूर्णा रोड स्थित यूनिक अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग की मृत्यु के बाद उनके शव को तलघर में रखवा दिया गया था. जहां शव को चूहों ने कुतर दिया. घटना का खुलासा 5 सितंबर 2020 को हुआ था. जिसके बाद भारी हंगाम हुआ. कलेक्टर ने मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे.

एमवाय हॉस्पिटल में भी हुई थी लापरवाही

इसके पहले एमवाय हॉस्पिटल में एक शव नौ दिन तक स्ट्रेचर पर पड़े-पड़े कंकाल हो गया था. अस्पतालों की इस तरह की लापरवाहियों को लेकर याचिकाकर्ता प्रकाश जैन ने एडवोकेट निमेश पाठक के जरिए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी.

कलेक्टर ने दिए थे मजिस्ट्रियल जांच के आदेश

इस बीच शवों की लापरवाही को लेकर कलेक्टर ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश भी दे दिए थे. गुरुवार को सरकार को जनहित याचिका पर जवाब देना था. शासन की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि जांच पूरी होने को है. एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश कर दी जाएगी.

याचिकाकर्ता की क्या मांगें थीं ?

  • कोरोना पॉजिटिव मरीज के साथ कम से कम परिवार के एक सदस्य को सावधानी के साथ अस्पताल में रखा जाए. ताकि मरीज की स्थिति और इलाज की जानकारी मिलती रहे.
  • कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम करवाया जाए. ताकि मौत की वजह का पता चल सके.
  • कोरोना वार्डों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. बाहर एक बड़ी स्क्रीन पर तमाम फुटेज दिखाए जाएं. ताकि परिजनों तक मरीजों की पूरी जानकारी पहुंचे.
  • कोरोना से जुड़े मामलों की शिकायत के लिए एक सेंट्रल हेल्प डेस्क गठित की जाए.
  • शवगृहों की व्यवस्था की जाए.
  • शवों के रख-रखाव में लापरवाही बरतने वाले अस्पतालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए.
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