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2021 से उम्मीद: कोविड इफेक्ट से बाहर निकलते MSME उद्योग

कोरोना का असर पूरे विश्व में देखने को मिला. एक तरफ जहां हजारों युवा बेरोजगार हो गए, वहीं दूसरी तरफ देश की जीडीपी भी 23.9 फीसदी गिरी. ऐसे में साल 2021 में अब कोरोना की दुष्वारियों के बीच MSME उद्योग पटरी पर आ रहे हैं.

MSME industry exiting covid effect
MSME industry exiting covid effect
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Published : Jan 4, 2021, 5:08 PM IST

Updated : Jan 4, 2021, 5:21 PM IST

इंदौर। कोरोना के झटके ने उद्योगों की व्यवस्था ध्वस्त कर दी थी. अब मध्य प्रदेश के उद्योग कोरोना काल के बाद एक बार फिर संभालने को तैयार हैं. उद्योगों की गतिविधियां एक बार फिर शुरू हो गई हैं. लेकिन स्वतंत्र रूप से अपना माल बनाकर बेचने वाले उद्योग अभी भी लॉकडाउन डाउन के दौरान उपजी परेशानियों से जूझ रहे हैं. जबकी औद्योगिक क्षेत्रों में अलग-अलग उत्पाद तैयार कर बड़ी कंपनियों को सप्लाई करने वाले छोटे उद्योग तो किसी तरह चल रहे हैं.

कोविड इफेक्ट से बाहर निकलते MSME उद्योग

किसी उद्योग का कच्चा माल महंगा हो चुका है तो कोई बढ़ी हुई दरों पर उत्पाद ग्राहक को देने की स्थिति में नहीं है, लिहाजा कई उद्योगों का उत्पादन अभी भी सामान्य नहीं हो पा रहा है. इधर कोरोना के लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने उद्योगों को ईएमआई के ब्याज पर जो छूट दी थी. अब बैंकिंग सेक्टर द्वारा उसकी ब्याज वसूली हो रही है.

पुराने काम निपटाने में जुटे उद्यमी

लॉकडाउन के दौरान उद्योगों को जो नुकसान हुआ, उसे लेकर राज्य शासन के स्तर पर कोई भी मदद नहीं मिली है. स्थिति यह है कि जो काम उद्योगों को मिला हुआ है. उसी को करके उद्यमी जैसे तैसे कामकाज को पटरी पर लाने में जुटे हैं.

महंगा हुआ कच्चा माल

उद्योग का कच्चा माल महंगा हो चुका है, तो कोई बढ़ी हुई दरों पर तैयार उत्पाद को बेच पाने की स्थिति में नहीं है. लिहाजा कई उद्योगों का उत्पादन अभी भी सामान्य नहीं हो पा रहा है. इधर कई महीनों तक औद्योगिक इकाइयां बंद रहने के कारण उनमें वित्तीय संकट की स्थिति गहरा रही है. उद्योगों ने जो माल लॉकडाउन के पहले तैयार करके भेजा था, उसका भुगतान भी अब तक नहीं हो सका है.

उद्योगों को चलाने के लिए फाइनेंस की समस्या बनी हुई है. उद्योग बैंकों से आर्थिक मदद तो चाहते हैं, लेकिन वित्तीय संस्थानों और बैंकों का रवैया वर्तमान दौर में मझोले उद्योगों के लिए सहयोगात्मक नहीं है.

10 फीसदी अतिरिक्त ऋण की सहायता

राज्य सरकार ने लॉकडाउन के बाद एमएसएमई को जो 10 फीसदी अतिरिक्त ऋण की सहायता दी थी उससे भी कुछ समय तक उद्योग चल पाए. अब अधिकांश उद्योग अपने उत्पादों का पेमेंट अटक जाने के कारण आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. जिस कारण उद्योग संगठनों की ओर से मदद की गुहार लगाई जा रही है.

वैट रिफंड फंड का पैसा भी अटका

राज्य में उद्योगों के माल की बिक्री पर वसूला जाने वाला वैट अभी भी सरकार के पास है. अधिकांश उद्योगों को इस राशि का भुगतान नहीं होने से उन्हें आर्थिक परेशानी हो रही है. यही स्थिति सब्सिडी को लेकर भी है औद्योगिक संगठनों की कोशिश है कि यदि सरकार क्रमिक रूप से उद्योगों को संरक्षित करते हुए उनकी आर्थिक मदद करें तो ही मध्य प्रदेश के एमएसएमई एक बार फिर विकास की ओर तेज गति से बढ़ सकते हैं.

अधिकांश बड़े उद्योग शुरू

बता दें मध्यप्रदेश में 22,332 एमएसएमई याने सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग हैं. इनमें से अधिकांश में उत्पादन एवं कामकाज शुरू हो चुका है बड़े उद्योगों की बात की जाए तो
मध्यप्रदेश में स्थापित करीब 370 में से 330 बड़े उद्योग और इकाइयों में काम का शुरू हो चुका है. इन उद्योगों में करीब 110000 मजदूर काम करते हैं.

इंदौर। कोरोना के झटके ने उद्योगों की व्यवस्था ध्वस्त कर दी थी. अब मध्य प्रदेश के उद्योग कोरोना काल के बाद एक बार फिर संभालने को तैयार हैं. उद्योगों की गतिविधियां एक बार फिर शुरू हो गई हैं. लेकिन स्वतंत्र रूप से अपना माल बनाकर बेचने वाले उद्योग अभी भी लॉकडाउन डाउन के दौरान उपजी परेशानियों से जूझ रहे हैं. जबकी औद्योगिक क्षेत्रों में अलग-अलग उत्पाद तैयार कर बड़ी कंपनियों को सप्लाई करने वाले छोटे उद्योग तो किसी तरह चल रहे हैं.

कोविड इफेक्ट से बाहर निकलते MSME उद्योग

किसी उद्योग का कच्चा माल महंगा हो चुका है तो कोई बढ़ी हुई दरों पर उत्पाद ग्राहक को देने की स्थिति में नहीं है, लिहाजा कई उद्योगों का उत्पादन अभी भी सामान्य नहीं हो पा रहा है. इधर कोरोना के लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने उद्योगों को ईएमआई के ब्याज पर जो छूट दी थी. अब बैंकिंग सेक्टर द्वारा उसकी ब्याज वसूली हो रही है.

पुराने काम निपटाने में जुटे उद्यमी

लॉकडाउन के दौरान उद्योगों को जो नुकसान हुआ, उसे लेकर राज्य शासन के स्तर पर कोई भी मदद नहीं मिली है. स्थिति यह है कि जो काम उद्योगों को मिला हुआ है. उसी को करके उद्यमी जैसे तैसे कामकाज को पटरी पर लाने में जुटे हैं.

महंगा हुआ कच्चा माल

उद्योग का कच्चा माल महंगा हो चुका है, तो कोई बढ़ी हुई दरों पर तैयार उत्पाद को बेच पाने की स्थिति में नहीं है. लिहाजा कई उद्योगों का उत्पादन अभी भी सामान्य नहीं हो पा रहा है. इधर कई महीनों तक औद्योगिक इकाइयां बंद रहने के कारण उनमें वित्तीय संकट की स्थिति गहरा रही है. उद्योगों ने जो माल लॉकडाउन के पहले तैयार करके भेजा था, उसका भुगतान भी अब तक नहीं हो सका है.

उद्योगों को चलाने के लिए फाइनेंस की समस्या बनी हुई है. उद्योग बैंकों से आर्थिक मदद तो चाहते हैं, लेकिन वित्तीय संस्थानों और बैंकों का रवैया वर्तमान दौर में मझोले उद्योगों के लिए सहयोगात्मक नहीं है.

10 फीसदी अतिरिक्त ऋण की सहायता

राज्य सरकार ने लॉकडाउन के बाद एमएसएमई को जो 10 फीसदी अतिरिक्त ऋण की सहायता दी थी उससे भी कुछ समय तक उद्योग चल पाए. अब अधिकांश उद्योग अपने उत्पादों का पेमेंट अटक जाने के कारण आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. जिस कारण उद्योग संगठनों की ओर से मदद की गुहार लगाई जा रही है.

वैट रिफंड फंड का पैसा भी अटका

राज्य में उद्योगों के माल की बिक्री पर वसूला जाने वाला वैट अभी भी सरकार के पास है. अधिकांश उद्योगों को इस राशि का भुगतान नहीं होने से उन्हें आर्थिक परेशानी हो रही है. यही स्थिति सब्सिडी को लेकर भी है औद्योगिक संगठनों की कोशिश है कि यदि सरकार क्रमिक रूप से उद्योगों को संरक्षित करते हुए उनकी आर्थिक मदद करें तो ही मध्य प्रदेश के एमएसएमई एक बार फिर विकास की ओर तेज गति से बढ़ सकते हैं.

अधिकांश बड़े उद्योग शुरू

बता दें मध्यप्रदेश में 22,332 एमएसएमई याने सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग हैं. इनमें से अधिकांश में उत्पादन एवं कामकाज शुरू हो चुका है बड़े उद्योगों की बात की जाए तो
मध्यप्रदेश में स्थापित करीब 370 में से 330 बड़े उद्योग और इकाइयों में काम का शुरू हो चुका है. इन उद्योगों में करीब 110000 मजदूर काम करते हैं.

Last Updated : Jan 4, 2021, 5:21 PM IST
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