इंदौर। विधिक सेवा में मेधावी छात्रों को ज्यादा अवसर देने की कवायद के चलते शिवराज कैबिनेट ने 30 मई को यह संशोधन कैबिनेट में पारित किया था. इसे 5 जून को लागू कर दिया है. मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती तथा सेवा शर्तें) नियम 1994 के संशोधित नोटिफिकेशन के बाद अब वे छात्र जो हायर सेकेंडरी के बाद एलएलबी का 5 वर्ष का कोर्स करेंगे, उन्हें सिविल जज परीक्षा में शामिल होने के लिए या तो 70 परसेंट अंक लाने होंगे या फिर 5 वर्ष का कोर्स करने के बाद लगातार तीन वर्ष लीगल प्रैक्टिस का अनुभव प्राप्त करना होगा. इसके लिए भी राज्य सरकार ने अनुभव प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया है
शिवराज कैबिनेट ने ग्रेड पे भी तय किया : गौरतलब है कि न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए किसी राज्य में अपनी तरह के इस फैसले के परिणामस्वरूप जो अभ्यर्थी 5 साल के कोर्स के बाद यदि 70 परसेंट अंत नहीं ला पाए तो वह सिविल जज की प्री परीक्षा का फॉर्म नहीं भर पाएंगे. अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए विधि परीक्षा में अंको की सीमा 50% तय की गई है. इसके अलावा राज्य कैबिनेट ने विधि सेवा से जुड़े ग्रेड 2 वाले सिविल जजों के लिए 92960 से 136520 का ग्रेड पे निर्धारित किया है. वहीं grade-1 के लिए 144840 और 194660 का वेतनमान स्वीकृत किया है.
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मामला हाई कोर्ट में जाने के आसार : कैबिनेट में पारित गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक न्यायिक सेवा में भर्ती में हाई कोर्ट की भी भूमिका महत्वपूर्ण है. शिवराज कैबिनेट के इस निर्णय के बाद विधि सेवा में जाने की तैयारी कर रहे उन अभ्यर्थियों को खासी निराशा हुई है, जो वर्तमान में एलएलबी की पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं हजारों की संख्या में वे अभ्यर्थी हैं जो एलएलबी की पढ़ाई तो पूरी कर चुके हैं लेकिन उनके 70 फ़ीसदी अंक नहीं हैं. अब यदि उन्हें सिविल जज की परीक्षा में शामिल होना है तो 3 साल और प्रैक्टिस करनी होगी. यही वजह है कि सिविल जज की परीक्षा देने से पहले ही अपात्र हुए अभ्यर्थी इस मामले में इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर करने जा रहे हैं.