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MP High Court: चुनाव से पहले CM घोषणाओं को लेकर कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें क्यों लगी थी याचिका - एमपी चुनाव 2023

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार कई दावे और घोषणाएं कर रहे हैं. उसको लेकर एक याचिकाकर्ता ने इंदौर हाईकोर्ट की शरण लेते हुए मुख्यमंत्री के दावे और घोषणाओं पर प्रतिबंध लगाने को लेकर एक याचिका लगाई थी लेकिन कोर्ट ने उस पूरे मामले में सुनवाई कर याचिका को खारिज कर दिया.

cm shivraj announcement
सीएम शिवराज का ऐलान
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Published : Jul 2, 2023, 4:39 PM IST

इंदौर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी जिसे शुक्रवार को निरस्त कर दिया गया. यह याचिकाकर्ता के लिए न्यायालय ने माना कि याचिका लगाने वाले ने अपनी बात सिद्ध करने के लिए कोई ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया. याचिका सिर्फ़ समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों पर आधारित है. याचिकाकर्ता को कहा कि वह चाहे तो दस्तावेज़ों को लेकर न्यायालय में आ सकते है.

घोषणाओं के लिए लोन ले रही सरकार: मुख्यमंत्री की घोषणाओं को लेकर बड़वानी के सीए बट्टूलाल जैन ने याचिका लगाई थी यदि इस याचिका पर कोई निर्णय याचिकाकर्ता के पक्ष में आता तो प्रदेश के चुनावी माहौल में अपने आपमें अलग फ़ैसला होता क्योंकि याचिकाकर्ता ने कहा था कि सीएम बिना सरकारी प्रक्रिया के राजनैतिक लाभ के लिए घोषणाओं को कर रहे हैं. इसका बोझ आम करदाता पर पड़ता है. याचिकाकर्ता ने कहा था कि सरकार की आय का 82 प्रतिशत खर्च होता है और ऐसे में सरकार चार हज़ार करोड़ का लोन लेने जा रही है.

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चुनाव से पहले सरकार को राहत: पूरे मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने सरकार का पक्ष रखा और विभिन्न तरह के तर्क भी कोर्ट के समक्ष रखे. उन्ही तर्को से सहमत होते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. मध्यप्रदेश में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव है और जिस तरह से इस पूरे मामले में कोर्ट ने याचिका को निरस्त किया है उसे निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश सरकार को काफी राहत मिलेगी.

इंदौर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी जिसे शुक्रवार को निरस्त कर दिया गया. यह याचिकाकर्ता के लिए न्यायालय ने माना कि याचिका लगाने वाले ने अपनी बात सिद्ध करने के लिए कोई ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया. याचिका सिर्फ़ समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों पर आधारित है. याचिकाकर्ता को कहा कि वह चाहे तो दस्तावेज़ों को लेकर न्यायालय में आ सकते है.

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