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MP High Court आर्थोपेडिक्स MS की सीट खाली होने के बावजूद क्यों नहीं की आवंटित, नोटिस जारी

स्ट्रै काउंसलिंग में आर्थोपेडिक्स एमएस की सीट खाली होने के बावजूद आवंटित नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. इस मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. उधर, इंदौर डीएवी में एक छात्रा द्वारा फर्जी तरीके से एग्जाम देने से प्रबंधन में हड़कंप मच गया. मामले की जांच की जा रही है.

MP High Court
आर्थोपेडिक्स एमएस की सीट खाली होने के बावजूद क्यों आवंटित नहीं की
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Published : Jan 7, 2023, 6:16 PM IST

जबलपुर/इंदौर। उत्तर प्रदेश निवासी डॉ. माहेश्वरी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह पीजी नीट परीक्षा में शामिल हुए थे. उसने च्वांइस में ऑथोपेडिक्स एमएस विषय भरा था. पहले, दूसरे और मॉपअप राउंड के बाद स्ट्रे काउसिलिंग 3 दिसंबर को आयोजित की गयी थी. मापअप राउंड के बाद डॉ.अनिल कपूर ने ऑथोपेडिक छोड़ दी थी. छोड़ी गयी सीट को स्ट्रे काउसिलिंग में शामिल नहीं किया गया. अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2021 में पारित आदेश में कहा है कि देश में मेडिकल की सीटें बहुत कम हैं. काउंसिलिंग के आखिरी राउंड के बाद कोई सीट खाली नहीं रहना चाहिए. वर्तमान में प्रदेश में मेडिकल की 6 सीट खाली हैं. इसका मुख्य कारण है कि रिक्त हुई सीट को स्ट्रे काउसिलिंग में शामिल नहीं करना है. याचिका में मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव,संचालक व अन्य को अनावेदक बनाया गया है.

डीएवीवी में फिर फर्जीवाड़ा : देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में लगातार हैरान करने वाले मामले सामने आ रहे हैं. विश्वविद्यालय में एक बार फिर लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें बिना प्रवेश पत्र के ही छात्रा परीक्षा में शामिल हो गई. अब पूरा मामला सामने आने के बाद विश्वविद्यालय महाविद्यालय से स्पष्टीकरण मांगने की बात कह रहा है. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा बीबीए पंचम सेमेस्टर की परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है, जिसके लिए शहर के आईपीएस एकेडमी में भी परीक्षा केंद्र बनाया गया है. यहां आई छात्रा शिकायत लेकर पहुंची कि उसने अब तक परीक्षा फॉर्म जमा नहीं किया है. ना ही उसका प्रवेश पत्र तैयार हुआ है. जिसके लिए उसे अनुमति दी जाए.

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पहले भी सामने आ चुके हैं मामले : वहीं, पूछताछ के दौरान सामने आया कि छात्रा बिना प्रवेश पत्र ही एक प्रश्न पत्र में शामिल हो चुकी है, जबकि ना तो उसने परीक्षा फॉर्म भरा है ना ही उसका प्रवेश पत्र जनरेट हुआ है. बिना परीक्षा फॉर्म और प्रवेश पत्र के परीक्षा में शामिल होने का मामला सामने आने के बाद अब विश्वविद्यालय के अधिकारी महाविद्यालय से जानकारी लेने की बात कह रहे हैं. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि यह बड़ी लापरवाही है. छात्र बिना प्रवेश पत्र के परीक्षा हाल में नहीं बैठ सकता है. पूर्व में भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमे एक मामला ऐसा था कि एक ऐसी छात्रा का परीक्षा परिणाम जारी कर दिया था, जो परीक्षा में शामिल ही नहीं हुई थी. इस मामले में भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

जबलपुर/इंदौर। उत्तर प्रदेश निवासी डॉ. माहेश्वरी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह पीजी नीट परीक्षा में शामिल हुए थे. उसने च्वांइस में ऑथोपेडिक्स एमएस विषय भरा था. पहले, दूसरे और मॉपअप राउंड के बाद स्ट्रे काउसिलिंग 3 दिसंबर को आयोजित की गयी थी. मापअप राउंड के बाद डॉ.अनिल कपूर ने ऑथोपेडिक छोड़ दी थी. छोड़ी गयी सीट को स्ट्रे काउसिलिंग में शामिल नहीं किया गया. अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2021 में पारित आदेश में कहा है कि देश में मेडिकल की सीटें बहुत कम हैं. काउंसिलिंग के आखिरी राउंड के बाद कोई सीट खाली नहीं रहना चाहिए. वर्तमान में प्रदेश में मेडिकल की 6 सीट खाली हैं. इसका मुख्य कारण है कि रिक्त हुई सीट को स्ट्रे काउसिलिंग में शामिल नहीं करना है. याचिका में मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव,संचालक व अन्य को अनावेदक बनाया गया है.

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पहले भी सामने आ चुके हैं मामले : वहीं, पूछताछ के दौरान सामने आया कि छात्रा बिना प्रवेश पत्र ही एक प्रश्न पत्र में शामिल हो चुकी है, जबकि ना तो उसने परीक्षा फॉर्म भरा है ना ही उसका प्रवेश पत्र जनरेट हुआ है. बिना परीक्षा फॉर्म और प्रवेश पत्र के परीक्षा में शामिल होने का मामला सामने आने के बाद अब विश्वविद्यालय के अधिकारी महाविद्यालय से जानकारी लेने की बात कह रहे हैं. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि यह बड़ी लापरवाही है. छात्र बिना प्रवेश पत्र के परीक्षा हाल में नहीं बैठ सकता है. पूर्व में भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमे एक मामला ऐसा था कि एक ऐसी छात्रा का परीक्षा परिणाम जारी कर दिया था, जो परीक्षा में शामिल ही नहीं हुई थी. इस मामले में भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

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