इंदौर। इंदौर हाई कोर्ट में एक रिटायर्ड अधिकारी ने अपनी ग्रेच्युटी और अर्जित अवकाश की राशि रोके जाने को लेकर याचिका लगाई थी. मामले के अनुसार संयुक्त रजिस्ट्रार रहे भुवन वास्केल वर्ष 2014 में रिटायर हुए. लेकिन रिटायरमेंट के आखिरी दिन विभाग ने उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी कर दिया. 2020 तक इस बीच उन्हें किसी तरह की कोई गेच्युटी नहीं मिली. विभाग ने उनके खिलाफ एक फौजदारी प्रकरण भी दर्ज करवा दिया. कोर्ट ने इस मामले में उन्हें दोषी मानते हुए 2 साल की सजा सुना दी.
सेवा नियमों में ग्रेच्युटी रोकने का उल्लेख नहीं : सजा सुनाए जाने के आधार पर संबंधित विभाग ने उनकी ग्रेच्युटी और अर्जित अवकाश की राशि को राजसात कर दिया. इस मामले को लेकर पीड़ित ने इंदौर हाई कोर्ट का रुख किया. अपनी ग्रेच्युटी और अर्जित अवकाश की राशि के लिए उन्होंने अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के माध्यम से इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई. कोर्ट के समक्ष एडवोकेट ने तर्क रखे कि पेंशन नियम एवं मध्य प्रदेश सेवा नियमों में कहीं पर भी ग्रेच्युटी की राशि रोकने का उल्लेख नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने अधिवक्ता के विभिन्न तर्कों से सहमत होते हुए सरकार को आदेश जारी किया.
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रिटायर्ड अधिकारी को मिली राहत : हाई कोर्ट ने आदेश में कहा है कि सजा मिलने के बाद भी कर्मचारी की ग्रेच्युटी और अर्जित अवकाश की राशि रोकना अनुचित है. हाई कोर्ट ने रिटायर्ड अधिकारी को राहत देते हुए कहा कि गेच्युटी व अर्जित अवकाश पर उसका हक है. अब माना जा रहा है कि इस फैसले के आधार पर उन कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जिनकी गेच्युटी व अर्जित अवकाश की राशि संबंधित विभागों ने रोक रखी है. इससे कई रिटायर्ड अधिकारी और कर्मचारियों को राहत मिलेगी.