इंदौर। मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शिवराज सरकार ने एक बार फिर प्रदेश की आधी आबादी को टारगेट करते हुए राज्य के अंतिम बजट में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किए हैं. दरअसल, 2008 की तरह शिवराज सरकार की कोशिश है कि महिलाओं और किसानों के जरिए एक बार फिर सत्ता में बने रहने के लिए हरसंभव कोशिश की जाए. यह बात और है कि इस चुनावी बजट का अधिकांश महिलाओं ने स्वागत किया है वहीं विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे महज शिवराज की अन्य घोषणाओं की तरह ही चुनावी छलावा करार दिया है. शिवराज सरकार महिलाओं के लिए की गई घोषणाओं को गेमचेंजर मानकर आगे बढ़ रही है.
बजट में महिलाओं पर खास जोर : बुधवार को राज्य विधानसभा में घोषित किए गए बजट के अनुसार शिवराज सरकार लाड़ली बहना योजना के लिए 8 हजार करोड़ रुपए की बजट में मंजूरी दे चुकी है. जिसके जरिए प्रदेश की हर महिलाओं को अब ₹1000 की आर्थिक सहायता मिलेगी राज्य सरकार ने अगले 5 साल के लिए इस योजना पर खर्च के लिए 60 हजार करोड़ का प्रावधान किया है, जिसमें नारी कल्याण के लिए 1.2 लाख 970 करोड भी अलग से रखे गए हैं जबकि 2008 से संचालित लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिए 929 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. इतना ही नहीं महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूती देने वाले स्व सहायता समूह के लिए बजट में ₹660 करोड़ का प्रावधान किया गया है. वहीं आहार अनुदान योजना में 300 करोड़ रुपए का निर्धारण हुआ है इसके अलावा राज्य सरकार ने छात्राओं को भी बजट का तोहफा देते हुए कॉलेज जाने के लिए स्कूटी देने की घोषणा की है.
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ये है महिलाओं की प्रतिक्रिया : मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना की सफलता के बाद शिवराज सरकार द्वारा बहनों के लिए इसी तरह की घोषणा लाने का महिला वर्ग में स्वागत किया है अधिकांश महिलाओं का मानना है कि यह घोषणा भले चुनावी वर्ष में हो रही हो लेकिन योजना लगातार लागू होने से इसका लाभ महिलाओं को मिलेगा. वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकेंगी. वहीं कांग्रेस खेमे से जुड़ी महिला प्रतिनिधियों का कहना है कि शिवराज सरकार लगातार कई सालों से मुख्यमंत्री हैं और इस तरह की घोषणा वह जब चुनावी वर्ष में कर रहे हैं तो यह महज चुनावी घोषणा है. कांग्रेस नेता शांभवी शुक्ला का कहना है कि मध्यप्रदेश में महिला अत्याचार तेजी से बढ़े हैं. इंदौर में ही महिलाओं को जिंदा जलाया जा रहा है. वहीं, हितग्राही स्वाति बजरकर ने शिवराज सरकार की तारीफ की है तो वहीं वर्षा हरसोडकर का कहना है कि सब चुनाव को देखकर किया गया है.