इंदौर। मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब राजनीतिक दल आदिवासियों के साथ दलित वोट बैंक को रिझाने में जुट गए हैं. जिसकी शुरुआत अंबेडकर जयंती से होने जा रही है, 14 अप्रैल को इंदौर के महू में अंबेडकर जन्मस्थली पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पहुंचेंगे. इसके साथ ही दोनों ही दलों के प्रतिनिधियों ने तमाम तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं. जहां बड़ी संख्या में डॉ.अंबेडकर के अनुयायियों के अलावा दलित समाज के लोग शामिल होंगे. वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी महू पहुंचकर डॉ.अंबेडकर की समाधि स्थल पर पहुंचकर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे.
सीएम शिवराज व कमलनाथ के कार्यक्रम : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज दोपहर 12 बजे अंबेडकर जन्मस्थली पर पहुंचेंगे, वे कार्यक्रम में शामिल होकर एक सभा को संबोधित करेंगे. साथ ही डॉ. अंबेडकर को श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे, इसी दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महू से महेश्वर भी जाएंगे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सुबह 9:30 बजे अंबेडकर नगर महू पहुंचेंगे, जो सुबह 10 बजे अंबेडकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे. वहीं 11 उनका आष्टा में कार्यक्रम है, जहां वे जन समुदाय को संबोधित करेंगे. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सुबह 10:30 बजे महू पहुंचकर अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे.
दलित वोट बैंक को लुभाने की कोशिश : गौरतलब है मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, वहीं 35 सीटों पर अनुसूचित जाति के प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं. इसके अलावा अन्य करीब 84 विधानसभा सीटों पर आदिवासी वोट बैंक का दखल रहता है. लिहाजा कांग्रेस और भाजपा दोनों का फोकस इस बार आरक्षित वर्ग की 82 सीटों पर है. यही वजह है कि इस साल कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एससी-एसटी वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश में लंबे समय से भाजपा की सरकार के दौरान दलित और आदिवासियों पर जमकर अत्याचार हुए हैं. दमोह और भिंड की घटनाएं दलित समाज के उत्पीड़न के तौर पर लगातार चर्चा में आई हैं.
बीजेपी व कांग्रेस के अभियान : कांग्रेस अब संविधान और आरक्षण बचाने के लिए संविधान बचाओ यात्रा निकाल रही है, वहीं भाजपा द्वारा दलित वर्ग को पार्टी से जोड़ने के लिए समरसता अभियान चलाया जा रहा है. दोनों ही दलों की कोशिश है कि किसी भी प्रकार से आदिवासियों के साथ दलित वोट बैंक उनके साथ बना रहे. इधर भाजपा ने भी दलित वोट बैंक को साधने के लिए इस बार 3 जिलों में कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है, जिसके तहत शिवराज सिंह चौहान खरगोन के माहेश्वर पहुंचेंगे, वहीं एक आयोजन ग्वालियर में होगा.
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कब-कब कौन नेता पहुंचा : महू की अंबेडकर जन्मस्थली को लेकर रिकॉर्ड है कि बीते 3 दशकों में मध्यप्रदेश में जब-जब चुनाव हुए, तब-तब 14 अप्रैल को अंबेडकर जन्मस्थली पर नेताओं का जमावड़ा लगता रहा है. 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी, राजीव गांधी और कांशीराम यहां पहुंचे थे. 1999 में राज्यपाल डॉ.भाई महावीर ने यहां पहुंचकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए थे. 2003 में दिग्विजय सिंह, राधाकिशन मालवीय और कांतिलाल भूरिया की मौजूदगी यहां रही. 2004 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उमा भारती और अन्य मंत्री भी अंबेडकर जन्मस्थली पहुंचे थे. 2008 में लालकृष्ण आडवाणी, शिवराज सिंह चौहान और सुरेश पचौरी अंबेडकर जन्मस्थली पहुंचे. जबकि 2013 में शिवराज सिंह चौहान, बीके हरिप्रसाद, दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया पहुंचे. 2016 में बाबा साहब अंबेडकर की 125वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महू आ चुके हैं. 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व बिहार के सीएम नीतीश कुमार यहां आए, वहीं 2022 में राहुल गांधी और मलिकार्जुन खड़गे अंबेडकर जन्मस्थली पहुंच चुके हैं.