इंदौर। प्रदेश में सरप्लस बिजली होने के बावजूद लोकसभा चुनाव के पहले विभिन्न क्षेत्रों में हो रही अघोषित विद्युत कटौती पर प्रदेश सरकार सख्त रवैया अपना रही है. यही कारण है कि कांग्रेस भवन में बैठक के दौरान लाइट चले जाने पर मंत्री जीतू पटवारी भड़क गए और उन्होंने एक इंजीनियर को ही निलंबित करा दिया. वहीं प्रदेशभर से मिल रही ऐसी ही शिकायतों के चलते मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऊर्जा मंत्री और प्रमुख सचिव से बिजली कटौती को लेकर एक महीने की रिपोर्ट तलब की है.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के पहले मध्यप्रदेश में सरप्लस बिजली होने के बावजूद अघोषित बिजली कटौती होना कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी हुई है. हालांकि कांग्रेस ने बिजली कटौती को संबंधित अधिकारियों की मनमानी और साजिश करार दिया है. इधर इंदौर में भी गांधी भवन में आयोजित पार्टी की बैठक में अचानक बिजली गुल हो गई और आधा घंटा तक बिजली नहीं आई. इस दौरान पार्टी की बैठक ले रहे मंत्री जीतू पटवारी ने सीधे सीएमडी को फोन लगा कर बिजली गुल होने का कारण पूछा और इस पर अधिकारियों ने मेंटेनेंस का हवाला दे दिया. इसके बाद जब मामला गरमाया तो अधिकारियों ने एक जूनियर इंजीनियर को निलंबित कर दिया.
इस बीच आज पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्यालय पहुंचे कांग्रेसियों ने विद्युत कटौती की साजिश के खिलाफ कंपनी के डीएम को ज्ञापन सौंपा. जिसमें जानबूझकर विभिन्न क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव के दौरान की जा रही अघोषित बिजली कटौती का विरोध किया गया. साथ ही ऐसे दोषियों को चिन्हित कर अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
मुख्यमंत्री ने विद्युत कंपनियों से मांगी कटौती की रिपोर्ट
हाल ही में सीएम कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में हो रही बिजली कटौती की शिकायतों पर ऊर्जा मंत्री और प्रमुख सचिव ऊर्जा से रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने विद्युत कंपनियों से पूछा है कि जब प्रदेश में सरप्लस बिजली उपलब्ध है, तो फिर किस कारण से कटौती की जा रही है. उन्होंने कहा है कि इस बात का भी पता लगाया जाए कि चुनाव के समय ही कटौती की शिकायतें आखिर क्यों आ रही हैं. इसके पीछे यदि कोई साजिश है, तो पूरे मामले की जांच की जाए. इधर मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद विभाग के अधिकारी अब कटौती संबंधी रिपोर्ट पर अपना जवाब तैयार करने में जुटे हैं.