इंदौर। विजय नगर पुलिस नकली रेमडेसिविर के मामले में गुजरात से गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ में जुटी है. पूछताछ के दौरान पकड़े गए आरोपी कई तरह के खुलासे कर रहे हैं. जिसके आधार पर पुलिस इस पूरे मामले में जल्द ही कुछ और धाराओं में इजाफा करने के साथ ही अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर सकती है. फिलहाल पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि उन्होंने कमाई के लिए ही नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का काम शुरू किया था.
पुलिस पूछताछ में बड़े खुलासे
गुजरात से नमक और ग्लूकोस मिलाकर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर मध्य प्रदेश के साथ ही पूरे भारत में खपाने वाले चार मुख्य आरोपी 26 मई तक इंदौर पुलिस की ट्रांजिट पुलिस रिमांड पर है. आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि नकली इंजेक्शन बनाने के लिए सबसे पहले उन्हें ओरिजिनल इंजेक्शन की आवश्यकता थी और इसके लिए उन्होंने कोरोना की रिपोर्ट तैयार की और मुंबई से एक कंपनी से असली रेमडेसिविर की पैकेजिंग तैयार करवाई. इन्होंने कंपनी से 5 हजार शीशी और स्टीकर तैयार करवाए. फिर इस महामारी में अवसर न केवल तराशा बल्कि सैकड़ों जिंदगियों को दांव पर लगा दिया. पुलिस इनसे इंदौर के लोकल नेटवर्क की भी पूछताछ कर रही है जिसके आधार पर पुलिस ने 6 लोगों को पिछले दिनों गिरफ्तार किया है और उनसे भी पूछताछ की जा रही है.
गुजरात में शुरू की फैक्ट्री
नकली इंजेक्शन की कहानी शुरू हुई गुजरात के मोरबी गांव से जहां एक फैक्ट्री में ग्लूकोज और नमक मिलाकर करीब 5000 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाए गए. जिनमें से 700 इंदौर और 500 जबलपुर समेत भारत के अन्य शहरों में खपा दिए. नकली इंजेक्शन बनाने के मास्टरमाइंड पुनीता शाह और कौशल बोरा है. इसमें पुनित शाह डिस्पोजल ग्लब्स का बिजनेस करता था और कौशल बोरा ने उसे बताया कि उन्हें मेडिकल लाइन में कुछ करना चाहिए. तब दोनों के दिमाग में आया कि क्यों ना नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर बेचा जाए.
फेक कोरोना रिपोर्ट से असली इंजेक्शन खरीदा
सबसे पहले आरोपियों ने फेंक कोरोना की रिपोर्ट तैयार की और इस आधार पर इन्होंने असली इंजेक्शन जुगाड़ किया. इस को तैयार करने के लिए गुजरात की एक डॉक्टर रितिका ने इनकी मदद की. आरोपी कौशल बोरा और पुनीत शाह ने डॉक्टर से मिली भगत कर फेंक कोरोना रिपोर्ट के माध्यम से असली रेमडेसिविर इंजेक्शन लिया. उसके बाद वह किस तरह का दिखता है और उसमें किस तरह का लिक्विड नजर आता है उस पर रिसर्च करनें के बाद नमक और ग्लूकोज के मिश्रण कर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर बाजार में खपा दिए.
मुंबई में शीशी और स्टिकर बनवाए
आरोपियों ने असली इंजेक्शन की जांच पड़ताल करने के बाद उसके जैसा नकली इंजेक्शन बनाने की तैयारी शुरू की. इसके लिए मुंबई में एक कंपनी को सबसे पहले 5000 इंजेक्शन की शीशी बनाने का ऑर्डर दिया गया. इसके बाद इंजेक्शन पर लगने वाले स्टिकर भी तैयार करवाए. इसी दौरान इसे खपाने के लिए सुनील मिश्रा और कुलदीप इस कड़ी में जुड़ गए. दरअसल सुनील मिश्रा भी डिस्पोजल का काम करता था और इसी कारण वह पुनीता के संपर्क में था क्योंकि इन सभी आरोपियों के मेडिकल लाइन में कांटेक्ट है. उसी आधार पर उन्हें पता था कि नमक और ग्लूकोस से किसी की जान नहीं जाती और शुरुआती दौर में मरीजों को ग्लूकोज और नमक ही दिया जाता है इसलिए हूबहू दिखने वाला इन्होंने नमक और ग्लूकोस से इंजेक्शन तैयार किया और फिर उन्हें दो अलग-अलग खेप में अलग-अलग तारीखों पर इन्दौर सहित पूरे भारत में सप्लाई कर दिया.
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पुलिस गिरफ्त में पूरा गिरोह
पुलिस ने जब इंदौर में विजय नगर क्षेत्र में आरोपी को पकड़ा तो नकली इंजेक्शन मामले में खुलासा हुआ. तब गुजरात पुलिस ने भी फैक्ट्री पर कार्रवाई की.जिससे आरोपी 5000 से ज्यादा इंजेक्शन नहीं बना पाए. उसके बाद पुलिस ने एक के बाद एक इनके संपर्क को खंगालना शुरू किया, जिसके बाद इंदौर सहित अन्य जगहों से 6 लोगों को गिरफ्तार किया. जिन्होंने सुनील मिश्रा से इंजेक्शन खरीदे थे, पुलिस उन्हें भी आरोपी बना रही है. एसपी के मुताबिक जिन लोगों ने नकली इंजेक्शन तैयार करने में मदद की चाहे वह नकली रैपर तैयार करना हो शीशी बनाना हो या अन्य सामग्री उपलब्ध करवाना हो उन सभी को इसमें आरोपी बनाया जाएगा. साथ ही कॉपीराइट एक्ट के तहत उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.