इंदौर। पुलिस ने शहर के कुछ प्रमुख चौराहों को चिन्हित कर उन्हें ब्लैक स्पॉट बनाया. साथ ही आए दिन लगातार हो रहे सड़क हादसों को देख इन ब्लैक स्पॉट्स पर कई सरकारी विभागों ने एक साथ काम शुरू किया. जिसके तहत ट्रैफिक पुलिस और विशेषज्ञों की मदद से हादसों को रोकने का प्लान तैयार किया गया, साथ ही इंजीनियर्स की टीम ने सड़कों की जांच की. जिसके बाद न सिर्फ शहर में सड़क हादसों में कमी आई, बल्कि स्वच्छता के साथ- साथ ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए भी इंदौर को नंबर वन का अवार्ड मिल चुका है. प्रदेशभर के प्रमुख शहरों में गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिस तरह से गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है, उसी तरह सड़क हादसों के आंकड़ों में भी इजाफा हो रहा है. लेकिन इंदौर में अब सड़क हादसों में कमी देखने को मिल रही है. जिसके लिए पुलिस ने काफी जतन किए, तब कहीं जाकर सदसों पर काबू पाया.
चिन्हित किए ब्लैक स्पॉट
शहर में हुए सड़क हादसों को ध्यान में रखते हुए इंदौर पुलिस ने शहर की 9 सड़कों को जानलेवा माना और फिर इन्हें ब्लैक स्पॉट घोषित किया. बता दें, इन सड़कों पर पांच मीटर की दूरी पर परिधि पर लगातार हो रहे एक्सीडेंट के आधार पर इन्हें ब्लैक स्पॉट घोषित किया गया. इन जगहों को ब्लैक स्पॉट घोषित करने का नतीजा ये निकला कि, पूरे देश में एक ओर जहां हर साल एक्सीडेंट के आंकड़े बढ़ रहे थे, वहीं इंदौर में इन आंकड़ों में कमी देखी गई.
सड़क दुर्घटना में आई 44 प्रतिशत की कमी, मौत हुई 24 प्रतिशत कम
ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने का नतीजा ये रहा कि, पूरे देश में जहां आंकड़े बढ़ें, वही इंदौर में इन आंकड़ों में 44 फीसदी की कमी दिखाई दी. इसके बाद इन ब्लैक स्पॉट पर और सुधार कार्य किए गए. जिससे लगातार हो रही मौतों में भी 24 फीसदी की कमी आई. इंदौर पुलिस ने 2015 में ब्लैक स्पॉट पर अभियान शुरू किया, जिसके चलते 2018 में इसमें आश्चर्यजनक सफलता मिली.
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने दिया बेहतर ट्रैफिक का अवार्ड
शहर में भले ही लोग ट्रैफिक जाम से जूझ रहे थे, लेकिन इन ब्लैक स्पॉट को चिन्हित करने के बाद सड़क हादसों पर आए नियंत्रण से केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 2018 में इंदौर को ट्रैफिक के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए नंबर वन का भी खिताब दिया. जिसके बाद 10 लाख से ज्यादा वाहनों वाले शहर में इंदौर पांचवां सबसे सुरक्षित शहर माना जाता है.
आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर 3.5 मिनट में एक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत होती है, जबकि मध्यप्रदेश में यह समय 54 मिनट और इंदौर में 1344 मिनट में यह आंकड़ा है.
बता दें, इससे पहले भी कई बार जिला प्रशासन, नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस ने संयुक्त रूप से शहर की बिगड़ी ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने की कोशिश की, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. हालांकि, ब्लैक स्पॉट के बाद किए जा रहे प्रयासों के कारण ट्रैफिक समस्या से शहर को निजात तो नहीं मिली लेकिन सड़क हादसों में कमी जरूर देखी गई.