इंदौर। अनुभूति विजन सेवा संस्थान में गर्भवती पाई गई दिव्यांग बालिका के साथ दुष्कर्म मामले की जांच तेज हो गई है. इसके साथ ही जिला प्रशासन अब महिलाओं और बच्चियों को आसरा देने वाली अन्य सरकारी या सामाजिक संस्थाओं में इस तरह की स्थिति से बचने की बड़ी कवायद में जुट गया है. इस कड़ी में फैसला लिया गया है कि किसी भी बेसहारा दिव्यांग महिला या बालिका को संस्था में दाखिल करने से पहले उसके मेडिकल चेकअप के साथ ही अब प्रेग्नेंसी टेस्ट भी कराया जाएगा. एडीएम इंदौर अभय बेडेकर ने कहा कि किसी भी सूरत में बच्चियों के साथ खिलवाड़ ना हो और संस्था के पास जाने से पहले इस तरह की जांच से स्थिति की गंभीरता से निपटा जा सकता है. किसी बालिका को वापस उसके परिजन का सौंपे जाते वक्त भी ये टेस्ट अनिवार्य होगा. ये प्रदेश ही नहीं, देशभर में भी अपनी तरह का पहला फैसला है.
निरस्त कर दिया जाएगा पंजीयन : इलाज और देखभाल के लिए इंदौर के अनुभूति विजन सेवा संस्थान में भर्ती कराई गई 17 वर्षीय विक्षिप्त बालिका के गर्भवती पाए जाने के मामले में आरोपी की धरपकड़ के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं. बालिका को 6 माह की गर्भवती पाए जाने के कारण पुलिस ने तमाम संदिग्धों का डीएनए सैंपल भी ले लिया है. वहीं, सामाजिक न्याय विभाग द्वारा कराई गई जांच के बाद संबंधित संस्था के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी भी है. संस्था प्रमुख चंचल सिलारिया को नोटिस थमा दिया गया है. यदि 15 दिन के भीतर इसका संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो संस्था का पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा.
पैसे दो, सुविधा लो : जांच के दौरान यह भी पता चला है कि इस संस्थान में 57 दिव्यांग बालक-बालिका भर्ती थे. यह सभी एक साथ एक ही मंजिल पर रहते थे. यहां रह रही एक बच्ची की ओवरी भी गायब बताई गई है. बच्चों को संस्थान में रखने के बदले पैसे वसूलने समेत साफ-सफाई और अन्य सुविधाओं के लिए चार्ज लेने की बात भी सामने आई है. अब इंदौर प्रशासन किरकिरी से बचने के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रहा है.
अवैध गर्भपात कराने का भी आरोप : मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत शासन स्तर पर लगातार शिकायतें कर रहे कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने आरोप लगाया है कि संस्था प्रबंधन ने उक्त बालिका का गर्भपात कराने की कोशिश की थी ताकि केस को दबाया जा सके. इसका सबूत बालिका के हाथ में सलाइन चढ़ाने के दौरान मिलने की बात उन्होंने कही है. यादव ने कहा है, 'इसी संस्था में डेढ़ वर्ष पूर्व भी एक बच्ची का अवैध गर्भपात कराया गया है. लिहाजा पूरे मामले की जांच एसआईटी के माध्यम से कराई जानी चाहिए.'