इंदौर। ब्लैक मार्केटिंग ऑफ रेमडेसिविर मामले में पुलिस लगातार जांच पड़ताल कर रही है. इंदौर पुलिस ने पकड़े गए आरोपियों की निशानदेही पर कई तरह की जानकारी जुटाई है. इसी के साथ पुलिस अब मुख्य आरोपी सुनील मिश्रा, पुनीत शाह और कौशल बोरा को गुजरात से लाने की तैयारी की जा रही है. तीनों आरोपियों को इंदौर वापस लाने के लिए पुलिस ने प्रयास भी शुरु कर दिए हैं. पुलिस की पड़ताल में यह भी बात सामने आई है कि आरोपियों ने इंडियामार्ट पर, जय मां आपरमेन्ट नाम से प्रोफाइल बनाई थी और उसी के जरीए यह नकली इंजेक्शन बेचा करते थे.
इससे पहले विजय नगर थाना पुलिस ने 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था और अभी भी आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी है. यह पूरे केस मुख्यत गुजरात के मोरबी से संचालित होता था और वही से आरोपियों को नकली इंजेक्शन दिए जाते थे. जिसके बाद इंदौर शहर के साथ ही मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में इन्हें खफा दिया जाता था.
नकली रेमडेसिविर मामले में जबलपुर पहुंची गुजरात पुलिस
मुबई में हुई मीटिंग
जांच पड़ताल में यह भी बात सामने आई कि सुनील मिश्रा ने इंडियामार्ट की प्रोफाइल पर जय मा आपरमेन्ट नाम से एक प्रोफाइल बनाई थी. इसके माध्यम से वह सैनिटाइजर गलब्स और माक्स का काम कर रहा था. लेकिन इसी दौरान इस प्रोफाइल पर लगातार रेमड़ेसिविर इंजेक्शन की डिमांड बढ़ने लगी, तो उसने अपने दोस्त कौशल बोरा से पूरे मामले को लेकर बात की. इसके बाद कोशल बोरा ने उसे इंजेक्शन का फोटो भेजकर इंजेक्शन देने का दावा किया. जिसके बाद सुनील मिश्रा ने उसे पैसे ट्रांसफर कर दिया, लेकिन आरोपी कौशल बोरा ने इस दौरान इंजेक्शन उसे नहीं पहुचाये. जिसके बाद सुनील मिश्रा गुजरात पहुंचा और कौशल बोरा से बातचीत की. इसके बाद कौशल बोरा उसे मुंबई लेकर पहुंचा और एक होटल में मीटिंग हुई. बाद में कौशल बोरा 700 इंजेक्शन लेकर इंदौर पहुंचा और सुनील मिश्रा को सौंप दिए. लेकिन 700 इंजेक्शन ही आरोपियों ने इंदौर शहर में असली बताकर खपा दिए. इसके बाद डिमांड और बड़ी तो 500 इंजेक्शन और बुलवाएं गए. इस तरह से इन्होंने अभी तक कई इंजेक्शन बाजार में खपा दिए हैं. जिसकी रिकवरी के लिए भी पुलिस लगातार जांच पड़ताल में जुटी हुई है. वहीं मुंबई में इस पूरे मामले की मीटिंग, इसलिए की गई थी क्योंकि मुंबई में अधिकतर रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली कंपनियों के दफ्तर है. वहां पर किसी को शक ना हो इसके लिए वहां पर मीटिंग की गई.
संभ्रात परिवार से आरोपी
जांच पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि कौशल बोरा और सुनील मिश्रा दोनों अच्छे परिवार से थे. जहां सुनील मिश्रा के पिता एमपी टूरिस्ट विभाग में मैनेजर के पद पर पदस्थ थे, तो वही सुनील मिश्रा ने भी यूपीपीएससी की एग्जाम क्लियर की थी. लेकिन मेंस परीक्षा में उसका चयन नहीं हुआ. जिसके बाद उसने खंडवा रोड पर एसमार्ट नाम से शॉपिंग सेंटर खोल लिया था. लेकिन उस व्यापार में भी उसे सफलता नहीं मिली, तो उसने कोविड में सेनेटाइजर मास्क का काम शुरू किया और इसी दौरान वह कौशल बोरा और अन्य के संपर्क में आया और उसने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन को खपना शुरु कर दिया. इसी तरह से कौशल बोरा के बारे में भी बताया जाता है कि वह भी काफी पैसे वाला है और मर्सिडीज गाड़ी से घूमता था फाइव स्टार होटल में रुका था.
बीमा एजेंट करता था इंजेक्शन की black marketing, NSA के तहत होगी कार्रवाई
खुद की कंपनी खोलने की थी तैयारी
इस पूरे मामले में गुजरात पुलिस ने जिन तीन आरोपी सुनील मिश्रा, कौशल बोरा और पुनीत शाह को पकड़ा है उनके बारे में बताया जा रहा है कि जब विजय नगर पुलिस ने सुनील मिश्रा को पहचान के लिए गुजरात पुलिस के माध्यम से इंदौर बुलवाया था तो उस दौरान पुलिस ने पूछताछ की और पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ की, तो उन्होंने बताया कि यह तीनों मिलकर एक फार्मा कंपनी खोलने की तैयारी कर रहे थे और बड़ी तादाद में नकली इंजेक्शन पूरे देश में खापने की योजना पर काम कर रहे थे.
फिलहाल पूरे ही मामले में मुख्य आरोपी जिन्हें गुजरात पुलिस ने पकड़ा है, उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर इंदौर लाने की तैयारी की जा रही है और इसके लिए इंदौर पुलिस ने कोर्ट में भी आवेदन लगाया है. कोर्ट से जैसे ही पूरे मामले की अनुमति मिलती है, तो गुजरात पुलिस से संपर्क कर उन्हें वापस इंदौर लाया जाएगा. उसके बाद इस पूरे मामले में कुछ और आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकती है.