इंदौर। प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में सबसे अधिक मामले आत्महत्याओं के ही पुलिस के सामने आते हैं और इन आत्महत्याओं के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए इंदौर पुलिस के द्वारा एक संजीवनी योजना की शुरुआत की गई. इस संजीवनी योजना की शुरुआत के दौरान पुलिस ने एक टीम बनाई, वहीं एक हेल्प लाइन नम्बर भी सर्कुलेट किया गया.
इस योजना के माध्यम का मूल उद्देश्य था कि, जो भी व्यक्ति आत्महत्या करने का विचार कर रहे हैं, इंदौर पुलिस को इस तरह की कोई सूचना मिलती है, तो तत्काल संजीवनी योजना की टीम संबंधित व्यक्ति के पास पहुंचती है और उसकी काउंसलिंग करती है. पिछले कई सालों से इस संजीवनी कॉल सेंटर पर पर कई लोगों की काउंसलिंग पुलिस के द्वारा की जा चुकी है और आज वह बेहतर जीवन यापन कर रहे हैं.
यदि आंकड़ों की बात करें, तो पिछले कुछ सालों से तकरीबन 400 से 500 लोगों की जान इंदौर पुलिस संजीवनी योजना के माध्यम से बचा चुकी है. वहीं 2018 में 22 लोगों ने संजीवनी योजना पर कॉल किए और अपनी विभिन्न तरह की परेशानियां बताई, इसके बाद आला पुलिस अधिकारियों ने 22 लोगों की काउंसलिंग की और आज वह बेहतर जीवन गुजर बसर कर रहे हैं.
इसी तरह 2019 में भी तकरीबन 20 लोगों की काउंसलिंग संजीवनी योजना के माध्यम से की गई, वहीं 2020 में 24 लोगों ने आत्महत्याओं को लेकर संजीवनी योजना के काल सेंटर पर फोन लगा दिया है. जिनकी काउंसलिंग की जा चुकी है. वहीं 8 लोगों ऐसे थे, जिन्हें पुलिस ने लास्ट मूवमेंट पर जाकर उनको आत्महत्या करने से रोक लिया है. फिलहाल जिस तरह से इंदौर पुलिस काउंसलिंग कर रही है उसका असर भी इंदौर में हो रहा है और आए दिन जो विभिन्न परेशानियों के चलते आत्महत्या कर लेते थे उसके ग्राफ में कमी कमी आई है.