इंदौर। शहर के रीगल चौराहे पर शनिवार को मौनी अमावस्या के मौके पर लोगों ने कबूतरों को दाना-पानी अर्पित किया. माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन देशभर में लोग पितरों की पूजा कर दान पुण्य करते हैं. इंदौर में इस दिन बाकायदा कबूतरों को पितृ मानकर उन्हें दाना पानी दिया जाता है. इंदौर का रीगल चौराहा कबूतरों के लिहाज से तीर्थ क्षेत्र बन चुका है. श्रद्धालुओं की मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर कबूतरों को पितृ मानकर दान-दक्षिणा करने से पितरों को शांति प्राप्त होती है यही वजह है कि हर साल इस दिन श्रद्धालु यहां कबूतरों को दाना पानी अर्पित करते हैं.
मौनी अमावस्या का महत्व: पद्मपुराण में मौनी अमावस्या का खास महत्व बताया गया है. इस दौरान तिल और गंगा जल से पितरों का तर्पण होता है. मौनी अमावस्या में दान-पुण्य को खास महत्व दिया जाता है. बड़ी संख्या में लोग इस दिन पक्षियों को भी दाना डालते हैं. इंदौर के रीगल चौराहे पर मौनी अमावस्या के दिन सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग कबूतरों को दाना-पानी देने पहुंचते हैं लिहाजा शाम होते होते मौनी अमावस्या के दिन कई क्विंटल दाना कबूतरों को अर्पित कर दिया जाता है. शनिवार सुबह से ही यहां स्थिति यह रही कि लोग कबूतरों को कई क्विंटल दाना-पानी अर्पित कर चुके हैं.
5 क्विंटल से अनाज की खपत: रीगल चौराहे पर प्रतिदिन 5 क्विंटल दाना कबूतरों के लिए कम पड़ जाता है. यहां लाखों की तादाद में शहर भर के कबूतर दाना चुगने के लिए पहुंचते हैं. प्रतिदिन यहां 30 से 40 श्रद्धालु 5 किलो से लेकर 1 क्विंटल तक दाना लेकर पहुंचते हैं. कई लोग अपने दुख-दर्द दूर करने के लिए कबूतरों की सेवा कर रहे हैं. यहीं पर रहने वाले रामू नामक पशु-पक्षी प्रेमी हैं जो अपने ऑपरेशन की सफलता के लिए कबूतरों की सेवा करते हैं एवं उन्हें अन्य प्राणियों से बचाने के लिए दिन भर यही सेवा कार्य करते हैं.