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इंदौर की शान में गुस्ताखी नहीं होगी बर्दाश्त! घर का मलबा सड़क पर फेंका तो देने होंगे On The Spot रुपए 5 हजार

सूबे ही नहीं बल्कि देश के खूबसूरत शहर में शुमार इंदौर की शान में गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. खासकर उन लोगों को जो निर्माण से जुड़ा मलबा जहां तहां फेंक देते हैं. नगर निगम ऐसे लोगों से जुर्माना लेगा. इसके साथ ही निगम ने मलबे के निपटारे के लिए 'इंदौर 311’ मोबाइल ऐप भी लॉंच किया है.

Fine to be imposed on defaulters
खूबसूरती में गुस्ताखी नहीं होगी बर्दाश्त
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Published : Jul 26, 2021, 12:59 PM IST

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर में मध्य प्रदेश के इंदौर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए उपाय तो होते ही हैं लेकिन दाग लगाने वालों की भी कमी नहीं. ऐसे लोगों को अब अपनी इस करतूत का खामियाजा ऑन द स्पॉट जुर्माने के तौर पर चुकाना पडे़गा.

इंदौर शहर के 85 वार्डों में मनाया जाएगा अन्न उत्सव कार्यक्रम, जानिए क्या है पूरा 'प्लान'

दरअसल, चांद में दाग का काम वो करते हैं जो अपना घर खूबसूरत बनाने के चक्कर में निर्माण से जुड़ा मलबा यहां-वहां फेंक देते हैं. इंदौर नगर निगम के ताजा आदेश के मुताबिक शहर की खूबसूरती पर दाग लगाने वाले लोगों को अब बख्शा नहीं जाएगा. ऐसे लोगों से नगर निगम ऑन द स्पॉट (On The Spot) 5000 रुपए का जुर्माना वसूलेगा. इंदौर नगर निगम (IMC) के एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी.

कम से कम देने होंगे रुपए 5000

नगर निगम के अधिकारी ने बताया कि आईएमसी प्रशासन ने अपने भवन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि नए निर्माण और पुराने निर्माण ढहाए जाने के दौरान निकलने वाले मलबे को फेंकने वालों पर नजर रखें.अगर कोई व्यक्ति खुले मैदानों या अन्य स्थानों पर मकानों का मलबा अनाधिकृत रूप से फेंकता पाया गया, तो उससे न्यूनतम 5000 रुपए का जुर्माना मौके पर ही वसूला जाए.

इंदौर ऐप है ना!

नगर निगम ने लोगों की सहूलियत के लिए इंदौर 311 ऐप लॉंच किया है. जिस पर स्थानीय नागरिक निर्माण से जुड़े मलबे के निपटारे के लिए आईएमसी प्रशासन को सूचना दे सकते हैं. निर्धारित शुल्क चुका मलबा उठवाया जा सकता है.

कैसे होगा मलबे का निपटारा?

इस बीच, केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के लिए आईएमसी के सलाहकार असद वारसी ने बताया कि शहर में निर्माण मलबे के प्रसंस्करण से ईंटें, मेनहोल के ढक्कन, इंटरलॉकिंग टाइल्स और अन्य सामग्री बनाई जा रही है.

वारसी ने बताया, ’ये सामग्री उस संयंत्र में बनाई जा रही है जो हर रोज 100 टन निर्माण मलबे का प्रसंस्करण कर सकता है. शहर में निर्माण गतिविधियों में तेजी आने के मद्देनजर इस संयंत्र की क्षमता पांच गुना बढ़ाकर 500 टन प्रतिदिन की जा रही है.’ उनके अनुमान के मुताबिक शहर में औसतन 300 टन निर्माण मलबा हर रोज निकलता है. लोग निगम प्रशासन की नजरें बचाकर खुले स्थान या सार्वजनिक जगहों पर मकानों का मलबा फेंक देते हैं. इससे शहर की खूबसूरती खराब होती है, साथ ही प्रदूषण भी फैलता है. ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ही इंदौर नगर निगम ने जुर्माना लगाने की स्कीम बनाई है.

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर में मध्य प्रदेश के इंदौर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए उपाय तो होते ही हैं लेकिन दाग लगाने वालों की भी कमी नहीं. ऐसे लोगों को अब अपनी इस करतूत का खामियाजा ऑन द स्पॉट जुर्माने के तौर पर चुकाना पडे़गा.

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दरअसल, चांद में दाग का काम वो करते हैं जो अपना घर खूबसूरत बनाने के चक्कर में निर्माण से जुड़ा मलबा यहां-वहां फेंक देते हैं. इंदौर नगर निगम के ताजा आदेश के मुताबिक शहर की खूबसूरती पर दाग लगाने वाले लोगों को अब बख्शा नहीं जाएगा. ऐसे लोगों से नगर निगम ऑन द स्पॉट (On The Spot) 5000 रुपए का जुर्माना वसूलेगा. इंदौर नगर निगम (IMC) के एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी.

कम से कम देने होंगे रुपए 5000

नगर निगम के अधिकारी ने बताया कि आईएमसी प्रशासन ने अपने भवन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि नए निर्माण और पुराने निर्माण ढहाए जाने के दौरान निकलने वाले मलबे को फेंकने वालों पर नजर रखें.अगर कोई व्यक्ति खुले मैदानों या अन्य स्थानों पर मकानों का मलबा अनाधिकृत रूप से फेंकता पाया गया, तो उससे न्यूनतम 5000 रुपए का जुर्माना मौके पर ही वसूला जाए.

इंदौर ऐप है ना!

नगर निगम ने लोगों की सहूलियत के लिए इंदौर 311 ऐप लॉंच किया है. जिस पर स्थानीय नागरिक निर्माण से जुड़े मलबे के निपटारे के लिए आईएमसी प्रशासन को सूचना दे सकते हैं. निर्धारित शुल्क चुका मलबा उठवाया जा सकता है.

कैसे होगा मलबे का निपटारा?

इस बीच, केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के लिए आईएमसी के सलाहकार असद वारसी ने बताया कि शहर में निर्माण मलबे के प्रसंस्करण से ईंटें, मेनहोल के ढक्कन, इंटरलॉकिंग टाइल्स और अन्य सामग्री बनाई जा रही है.

वारसी ने बताया, ’ये सामग्री उस संयंत्र में बनाई जा रही है जो हर रोज 100 टन निर्माण मलबे का प्रसंस्करण कर सकता है. शहर में निर्माण गतिविधियों में तेजी आने के मद्देनजर इस संयंत्र की क्षमता पांच गुना बढ़ाकर 500 टन प्रतिदिन की जा रही है.’ उनके अनुमान के मुताबिक शहर में औसतन 300 टन निर्माण मलबा हर रोज निकलता है. लोग निगम प्रशासन की नजरें बचाकर खुले स्थान या सार्वजनिक जगहों पर मकानों का मलबा फेंक देते हैं. इससे शहर की खूबसूरती खराब होती है, साथ ही प्रदूषण भी फैलता है. ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ही इंदौर नगर निगम ने जुर्माना लगाने की स्कीम बनाई है.

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