इंदौर। मध्यप्रदेश में पंचायतों के अधिकार भले ही गांव तक सीमित माने जाते हों, लेकिन लोकतंत्र की इस सबसे छोटी इकाई में जनहित के बड़े काम कराने की ताकत भी है. इंदौर की मांगलिया पंचायत ने ताकत दिखाते हुए आगरा-मुंबई हाईवे को वाहनों के अतिक्रमण से मुक्त कराकर एक मिसाल पेश की है. इतना ही नहीं पेट्रोलियम डिपो के टैंकर चालक सड़क से टैंकर हटाने को तैयार नहीं हुए तो पंचायतों को टैंकरों के करीब 20 से 25 चालान बनाने पड़े नतीजतन हाईवे अब टैंकरों के अतिक्रमण से मुक्त हो चुका है.
सड़क पर टैंकर खड़े होने से कई लोग हुए हैं हादसे के शिकार: दरअसल, इंदौर के पास मांगलिया में पश्चिमी इलाके की पेट्रोल-डीजल सप्लाई के लिए पेट्रोलियम की पांचों कंपनियों का विशाल डिपो स्थित है, जहां से रोज ही हजारों टैंकर पेट्रोल- डीजल भरकर पेट्रोल पंपों को सप्लाई देते हैं. चूंकि पेट्रोलियम डिपो आगरा-मुंबई रोड से सटा हुआ है इसलिए विभिन्न जिलों से आए दिन सैकड़ों की तादाद में टैंकर यहां पहुंचते थे और सड़क पर ही खड़े कर दिए जाते थे. बीते 10 वर्षों के दौरान 3 टैंकरों के कारण यहां हुई दुर्घटना के फलस्वरूप अब तक कई लोग मारे जा चुके हैं.
तेल डिपो होने से सड़क पर लगता था जाम: इसके अलावा सड़कों पर ही टैंकरों के खड़े रहने से मांगलिया में आगरा मुंबई मार्ग पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है. हालांकि अब तक पेट्रोलियम डिपो के रसूख और केंद्र सरकार का संस्थान होने के कारण कोई भी पेट्रोलियम डिपो के खिलाफ बोल नहीं पाता था. इस बीच हाल ही में बनी मांगलिया पंचायत ने आगरा-मुंबई मार्ग से गुजरने वाले टैंकरों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से लोगों को बचाने और सड़क पर खड़े होने वाले टैंकरों को हटाकर लोगों को सुगम रास्ता उपलब्ध कराने का फैसला किया.
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पंचायत ने कसी कमर: सरपंच विजय हिरवे ने इसके लिए पंचायत के एक वाहन से सड़क की मॉनिटरिंग करने के साथ लगातार मुनादी की व्यवस्था की. इसके बाद पंचायत के 2 कर्मचारियों को सतत रूप से टैंकरों को सड़क से हटाकर पार्किंग में शिफ्ट करने का अनुरोध माइक पर किया जाने लगा. इस दौरान पता चला कि पेट्रोलियम डिपो में बाहरी टैंकरों के लिए पार्किंग व्यवस्था नहीं है. लेकिन इसके बावजूद पंचायत ने सार्वजनिक रूप से मुनादी करते हुए टैंकरों को सड़कों पर से हटाने का अभियान जारी रखा.
पंचायत ने लगाया जुर्माना: लिहाजा धीरे-धीरे सड़क अतिक्रमण से मुक्त होने लगी. कुछ टैंकर चालक ऐसे थे जो तमाम समझाइश के बाद भी जब नहीं माने तो उनके खिलाफ पंचायत की ओर से जुर्माना लगाया गया. 500 से 5000 रुपये तक के जुर्माने की आशंका के मद्देनजर धीरे-धीरे टैंकर हटने शुरू हुए तो सड़कों से गुजरने वाले लोगों ने राहत की सांस ली. हालांकि, तब तक पंचायत ने कई टैंकर चालकों के चालान बना दिए थे. सड़क पर टैंकर खड़ा होते ही पंचायत का वाहन टैंकर चालक को सड़क से अन्यत्र पार्किंग में खड़ा करने की मुनादी कर देता है. यह पूरी प्रक्रिया माइक पर तेज आवाज में मुनादी के साथ संपन्न की जाती है. इस स्थिति का टैंकर चालक और पेट्रोलियम कंपनियां भी विरोध नहीं कर पाती. नतीजतन अब धीरे-धीरे मांगलिया पंचायत क्षेत्र की सड़कें टैंकर ड्राइवरों के अतिक्रमण से मुक्त नजर आ रही हैं.