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लॉ कॉलेज विवाद, प्राचार्य,उपप्राचार्य की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, लटकी गिरफ्तारी की तलवार, फरार आरोपियों पर घोषित होगा इनाम - इंदौर लॉ कॉलेज छात्रों के बयान दर्ज

इंदौर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में पिछले कई दिनों से विवादित किताब से पढ़ाने का मुद्दा गरमाया हुआ है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की शिकायत के बाद मामले में जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई. मंगलवार को कमेटी बच्चों के बयान दर्ज कराने कॉलेज पहुंची है. जहां छात्रों के बयान रिकॉर्ड किए गए है. वहीं गृहमंत्री के निर्देश के बाद इस मामले में लेखक और प्रकाशक की जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी. प्रकाशक फरार बताया जा रहा है. खबर है कि पुलिस प्रशासन जल्द ही फरार आरोपियों पर इनाम घोषित कर सकती है.

indore law college controversy
कमेटी कर रही जांच
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Published : Dec 6, 2022, 4:56 PM IST

Updated : Dec 6, 2022, 9:59 PM IST

इंदौर। शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में विवादित किताब से पढ़ाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. मंगलवार को जांच कमेटी मामले की जांच करने महाविद्यालय पहुंची. जहां कमेटी के सदस्यों द्वारा प्राध्यापक और छात्रों के मामले से जुड़े बयान लिए गए. कहा जा रहा है कि छात्रों के बयानों के आधार पर जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी. वहीं बीते दिन मामले में कॉलेज की लाइब्रेरी को सील कर दिया गया था.

लॉ कॉलेज विवाद पर अधिकारी का बयान

आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज: इंदौर के भवरकुआं थाना में लॉ कॉलेज विवादित कंटेंट के मामले में पुलिस ने 4 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है. मामला दर्ज होते ही चारों आरोपी फरार हो गए इनमें से कुछ लोगों ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी. जिसे इंदौर जिला कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस पूरे मामले में किताब की राइटर ,डिस्ट्रीब्यूटर, सहित अन्य लोग फरार हैं वहीं लॉ कॉलेज के प्राचार्य और उप प्राचार्य ने पूरे मामले में अग्रिम जमानत के लिए इंदौर की जिला कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया था.कोर्ट ने प्राचार्य डॉ इनामुल रहमान और उपप्राचार्य डॉ मिर्जा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. जिसके बाद माना जा रहा है कि दोनों की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं. पुलिस जल्द ही दोनों को गिरफ्तार कर सकती है.

indore law college controversy
विवादित पुस्तक

फरार आरोपियों पर घोषित होगा इनाम: पुलिस इस पूरे मामले में लगातार आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है इसी कड़ी में पुलिस ने किताब के राइटर, डिस्ट्रीब्यूटर के घरों पर भी छापेमारी की, लेकिन दोनों ही घर से फरार मिले. अब पुलिस फरार आरोपियों पर इनाम घोषित करने की तैयारी कर रही है.

indore law college controversy
कमेटी कर रही जांच
indore law college controversy
कमेटी कर रही जांच

कमेटी द्वारा छात्रों और प्राध्यापकों के लिए गए बयान: गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में महाविद्यालय के प्राध्यापकों द्वारा लव जिहाद करने और महाविद्यालय में विवादित सामग्री छात्रों को पढ़ाई जाने को लेकर हंगामा किया था. अखिल भारतीय विद्यार्थियों द्वारा कई गंभीर आरोप महाविद्यालय प्रबंधन पर लगाए गए थे. जिसके बाद उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी में अतिरिक्त संचालक उच्चशिक्षा किरणबाला सलूजा, अनूप व्यास, आरसी दीक्षित सहित अन्य अधिकारी शामिल हैं. अब कमेटी पूरे मामले में जांच कर रही है.

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कमेटी कर रही जांच

सात सदस्यीय कमेटी कर रही जांच: अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग इंदौर की अध्यक्षता में 7 सदस्य की कमेटी बनाई गई है. जो मामले में छात्रों और प्राध्यापकों के बयान ले रही है. बयान के बाद रिपोर्ट राज्य शासन को सौंपी गई. कमेटी द्वारा मंगलवार को महाविद्यालय पहुंचकर छात्रों के बयान लिए, हालांकि कमेटी के बयान लेने के दौरान छात्र द्वारा जमकर हंगामा किया गया. कमेटी के सदस्यों का कहना है कि मामले में बयान लिए गए. बयानों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी.

छात्रों से लिखित में लिये जा रहे बयान: कमेटी द्वारा छात्रों से लिखित में बयान लिए गए. बयानों के लिए 20 प्रश्नों की एक प्रश्नावली तैयार की गई है. जिसमें छात्रों से अध्यापकों के व्यवहार, आपत्तिजनक सामग्री, लव जिहाद और महाविद्यालय के माहौल संबंधित प्रश्न पूछे गए हैं. प्रश्नावली के आधार पर छात्रों के बयान रिकॉर्ड किए गए. जहां छात्रों के बयान के आधार पर जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी.

पूर्व प्राचार्य के समय में खरीदी गई थी विवादित पुस्तक: विवादित पुस्तक मामले में एक और मोड़ आ गया है. ये पता चला कि लॉ कालेज में विवादित किताब 2015 में खरीदी गई थी. उस समय डॉ सुधा सिलावट कॉलेज की प्राचार्या थीं, जो उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व अतिरिक्त संचालक डॉ सुरेश सिलावट की पत्नी हैं और मौजूदा कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट की बहू हैं. कॉलेज की तीन सदस्यीय समिति ने किताबों की सूची को मंजूरी दी थी, जिसमें सामूहिक हिंसा व दांडिक न्याय पद्धति भी शामिल थी. वर्ष 2019 में इस किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया था. बावजूद इसके विद्यार्थियों को इसी किताब से पढ़ाया जा रहा था. एबीवीपी का कहना है कि मामले को जानबूझकर मोड़ा जा रहा है और पूर्व प्राचार्या को टारगेट किया जा रहा है. जबकि वर्तमान की पूरी जिम्मेदारी अभी के प्राचार्य की है.

लॉ कॉलेज, कट्टरता की नॉलेज! कॉलेज की लाइब्रेरी सील, जांच शुरू, जल्द हो सकती है दोषियों की गिरफ्तारी

यह है पूरा मामला: इंदौर के लॉ कॉलेज में रविवार के स्थान पर शुक्रवार को नमाज के लिए छुट्टी करने, महाविद्यालय के प्रोफसरों पर हिंदू विरोधी गतिविधियां चलाए जाने, लव जिहाद को प्रमोट करने के तमाम आरोपों को लेकर एबीवीपी ने प्रदर्शन किया था. जिसके बाद 5 प्रोफेसरों को पांच दिन के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया था. एबीवीपी ने आरोप लगाया था कि, महाविद्यालय के प्रोफेसर कॉलेज में कश्मीर से 370 धारा हटाए जाने का विरोध करते थे. इसके अलावा, वे देश और भारतीय सेना के विरोध की बातें भी किया करते थे. इतना ही नहीं, प्रोफेसर कॉलेज की छात्राओं को अकेले में मिलने के लिए कहते थे. इस पूरे मामले से प्रदेश सरकार बेहद नाराज है. मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है.

पुस्तक में पंजाब में भी हिंदुओं को टारगेट किया गयाः किताब के अनुसार 'हिंदुओं ने हर संप्रदाय से लड़ाई का मोर्चा खोल रखा है. पंजाब में सिखों के खिलाफ शिवसेना जैसे त्रिशूलधारी संगठन मोर्चा खोल चुके हैं. अपनी सांप्रदायिक गतिविधियों को मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों से संचालित करने में लगे हैं. हिंदू शिवसेना हिंदू राष्ट्र का नारा दे रही है. किताब में लिखा है कि जब धार्मिक स्थलों की 1947 की स्थिति कायम रखी जानी थी, तो अयोध्या मंदिर इस कानून की सीमा से बाहर कैसे किया गया. RSS ने भाजपा को कांग्रेस का विरोध करने से रोका तो कांग्रेस को भी आदेश दिया कि अयोध्या का विवाद कानून से ऊपर रखें ताकि भाजपा अपनी सांप्रदायिक राजनीति करती रहे. हिंदुत्व का नारा बराबर ताजा बना रहे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके परिवार की संस्थाएं सब सांप्रदायिक हैं. यह हिंदूवाद की बात करती है और हिंदू धर्म को संविधान और देश के ऊपर मानती हैं. उनकी राष्ट्र की परिभाषा ने भारत को एक हिंदू राष्ट्र और वर्तमान संविधान तक को वे विदेशी मानते हैं. जैसे विवादित अंश लिखे हुए हैं. (controversial book indore in law college library)

इंदौर। शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में विवादित किताब से पढ़ाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. मंगलवार को जांच कमेटी मामले की जांच करने महाविद्यालय पहुंची. जहां कमेटी के सदस्यों द्वारा प्राध्यापक और छात्रों के मामले से जुड़े बयान लिए गए. कहा जा रहा है कि छात्रों के बयानों के आधार पर जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी. वहीं बीते दिन मामले में कॉलेज की लाइब्रेरी को सील कर दिया गया था.

लॉ कॉलेज विवाद पर अधिकारी का बयान

आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज: इंदौर के भवरकुआं थाना में लॉ कॉलेज विवादित कंटेंट के मामले में पुलिस ने 4 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है. मामला दर्ज होते ही चारों आरोपी फरार हो गए इनमें से कुछ लोगों ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी. जिसे इंदौर जिला कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस पूरे मामले में किताब की राइटर ,डिस्ट्रीब्यूटर, सहित अन्य लोग फरार हैं वहीं लॉ कॉलेज के प्राचार्य और उप प्राचार्य ने पूरे मामले में अग्रिम जमानत के लिए इंदौर की जिला कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया था.कोर्ट ने प्राचार्य डॉ इनामुल रहमान और उपप्राचार्य डॉ मिर्जा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. जिसके बाद माना जा रहा है कि दोनों की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं. पुलिस जल्द ही दोनों को गिरफ्तार कर सकती है.

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विवादित पुस्तक

फरार आरोपियों पर घोषित होगा इनाम: पुलिस इस पूरे मामले में लगातार आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है इसी कड़ी में पुलिस ने किताब के राइटर, डिस्ट्रीब्यूटर के घरों पर भी छापेमारी की, लेकिन दोनों ही घर से फरार मिले. अब पुलिस फरार आरोपियों पर इनाम घोषित करने की तैयारी कर रही है.

indore law college controversy
कमेटी कर रही जांच
indore law college controversy
कमेटी कर रही जांच

कमेटी द्वारा छात्रों और प्राध्यापकों के लिए गए बयान: गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में महाविद्यालय के प्राध्यापकों द्वारा लव जिहाद करने और महाविद्यालय में विवादित सामग्री छात्रों को पढ़ाई जाने को लेकर हंगामा किया था. अखिल भारतीय विद्यार्थियों द्वारा कई गंभीर आरोप महाविद्यालय प्रबंधन पर लगाए गए थे. जिसके बाद उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी में अतिरिक्त संचालक उच्चशिक्षा किरणबाला सलूजा, अनूप व्यास, आरसी दीक्षित सहित अन्य अधिकारी शामिल हैं. अब कमेटी पूरे मामले में जांच कर रही है.

indore law college controversy
कमेटी कर रही जांच

सात सदस्यीय कमेटी कर रही जांच: अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग इंदौर की अध्यक्षता में 7 सदस्य की कमेटी बनाई गई है. जो मामले में छात्रों और प्राध्यापकों के बयान ले रही है. बयान के बाद रिपोर्ट राज्य शासन को सौंपी गई. कमेटी द्वारा मंगलवार को महाविद्यालय पहुंचकर छात्रों के बयान लिए, हालांकि कमेटी के बयान लेने के दौरान छात्र द्वारा जमकर हंगामा किया गया. कमेटी के सदस्यों का कहना है कि मामले में बयान लिए गए. बयानों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी.

छात्रों से लिखित में लिये जा रहे बयान: कमेटी द्वारा छात्रों से लिखित में बयान लिए गए. बयानों के लिए 20 प्रश्नों की एक प्रश्नावली तैयार की गई है. जिसमें छात्रों से अध्यापकों के व्यवहार, आपत्तिजनक सामग्री, लव जिहाद और महाविद्यालय के माहौल संबंधित प्रश्न पूछे गए हैं. प्रश्नावली के आधार पर छात्रों के बयान रिकॉर्ड किए गए. जहां छात्रों के बयान के आधार पर जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी.

पूर्व प्राचार्य के समय में खरीदी गई थी विवादित पुस्तक: विवादित पुस्तक मामले में एक और मोड़ आ गया है. ये पता चला कि लॉ कालेज में विवादित किताब 2015 में खरीदी गई थी. उस समय डॉ सुधा सिलावट कॉलेज की प्राचार्या थीं, जो उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व अतिरिक्त संचालक डॉ सुरेश सिलावट की पत्नी हैं और मौजूदा कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट की बहू हैं. कॉलेज की तीन सदस्यीय समिति ने किताबों की सूची को मंजूरी दी थी, जिसमें सामूहिक हिंसा व दांडिक न्याय पद्धति भी शामिल थी. वर्ष 2019 में इस किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया था. बावजूद इसके विद्यार्थियों को इसी किताब से पढ़ाया जा रहा था. एबीवीपी का कहना है कि मामले को जानबूझकर मोड़ा जा रहा है और पूर्व प्राचार्या को टारगेट किया जा रहा है. जबकि वर्तमान की पूरी जिम्मेदारी अभी के प्राचार्य की है.

लॉ कॉलेज, कट्टरता की नॉलेज! कॉलेज की लाइब्रेरी सील, जांच शुरू, जल्द हो सकती है दोषियों की गिरफ्तारी

यह है पूरा मामला: इंदौर के लॉ कॉलेज में रविवार के स्थान पर शुक्रवार को नमाज के लिए छुट्टी करने, महाविद्यालय के प्रोफसरों पर हिंदू विरोधी गतिविधियां चलाए जाने, लव जिहाद को प्रमोट करने के तमाम आरोपों को लेकर एबीवीपी ने प्रदर्शन किया था. जिसके बाद 5 प्रोफेसरों को पांच दिन के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया था. एबीवीपी ने आरोप लगाया था कि, महाविद्यालय के प्रोफेसर कॉलेज में कश्मीर से 370 धारा हटाए जाने का विरोध करते थे. इसके अलावा, वे देश और भारतीय सेना के विरोध की बातें भी किया करते थे. इतना ही नहीं, प्रोफेसर कॉलेज की छात्राओं को अकेले में मिलने के लिए कहते थे. इस पूरे मामले से प्रदेश सरकार बेहद नाराज है. मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है.

पुस्तक में पंजाब में भी हिंदुओं को टारगेट किया गयाः किताब के अनुसार 'हिंदुओं ने हर संप्रदाय से लड़ाई का मोर्चा खोल रखा है. पंजाब में सिखों के खिलाफ शिवसेना जैसे त्रिशूलधारी संगठन मोर्चा खोल चुके हैं. अपनी सांप्रदायिक गतिविधियों को मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों से संचालित करने में लगे हैं. हिंदू शिवसेना हिंदू राष्ट्र का नारा दे रही है. किताब में लिखा है कि जब धार्मिक स्थलों की 1947 की स्थिति कायम रखी जानी थी, तो अयोध्या मंदिर इस कानून की सीमा से बाहर कैसे किया गया. RSS ने भाजपा को कांग्रेस का विरोध करने से रोका तो कांग्रेस को भी आदेश दिया कि अयोध्या का विवाद कानून से ऊपर रखें ताकि भाजपा अपनी सांप्रदायिक राजनीति करती रहे. हिंदुत्व का नारा बराबर ताजा बना रहे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके परिवार की संस्थाएं सब सांप्रदायिक हैं. यह हिंदूवाद की बात करती है और हिंदू धर्म को संविधान और देश के ऊपर मानती हैं. उनकी राष्ट्र की परिभाषा ने भारत को एक हिंदू राष्ट्र और वर्तमान संविधान तक को वे विदेशी मानते हैं. जैसे विवादित अंश लिखे हुए हैं. (controversial book indore in law college library)

Last Updated : Dec 6, 2022, 9:59 PM IST
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