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innovation Road Repair: क्लीनेस्ट सिटी इंदौर की यह सड़क है कुछ खास, जिओ पॉलीमर टेक्नोलॉजी से 2 घंटे में ऐसे हो जाती है सेट

मध्यप्रदेश में बारिश के दौरान होने वाले गड्ढों से मुक्ति दिलाने के लिए अब देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में जियो पॉलीमर टेक्नोलॉजी आधारित ग्रीन सीमेंट से पैच वर्क होगा. दरअसल, 2 घंटे में सेट हो जाने वाली यह सड़क जियो पॉलीमर टेक्नोलॉजी के निर्माण पर आधारित है, जिसका प्रयोग हाल ही में राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश में शुरू हुआ है.

innovation Road Repair
जिओ पॉलीमर टेक्नोलॉजी से 2 घंटे में ठीक हो जाती है सड़क
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Published : Aug 21, 2023, 1:15 PM IST

Updated : Aug 22, 2023, 1:57 PM IST

जिओ पॉलीमर टेक्नोलॉजी से 2 घंटे में ठीक हो जाती है सड़क

इंदौर। बारिश के कारण शहर में हो रहे गड्ढों को लेकर इंदौर नगर निगम और खासकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने नवीन तकनीक से सड़क की मरम्मत कार्यों के लिए स्पेशल केमिकल युक्त से पैचवर्क का शुभारंभ हाल ही में किया. उदयपुर की एक कंपनी के प्रस्ताव पर इस तरह की सड़क निर्माण का प्रयोग किया गया. इसमें कंप्लीट प्रीमिक्स मटेरियल में पानी मिलाकर उसे रेस्टोरेशन के स्थान पर डाला जाता है, जो 2 से 4 घंटे के अंदर कंप्लीट फिक्स हो जाता है. इस प्रकार इको फ्रेंडली सिस्टम से गड्ढे भरने का काम शहर के मधुमिलन चौराहे पर किया गया.

मधुमिलन चौराहे पर सड़क की मरम्मत : मधुमिलन चौराहे की सड़क पर मरम्मत के बाद इस तरह की सड़क से निर्माण कार्य चर्चा में है. नगर निगम अब इस तरह की सड़क को लेकर विचार कर रहा है. नगर निगम की निर्धारित दरों में यह इको फ्रेंडली सड़क अगर फिट बैठती है तो शहर की सड़कें इको फ्रेंडली तरीके से तैयार की जा सकेंगी. महापौर पुष्यमित्र भार्गव के मुताबिक इस तरह की इको फ्रेंडली सड़क में 25 किलो के मैटेरियल में ढाई लीटर लिक्विड मिलाकर मटेरियल एक ड्रम में तैयार किया जाता है. इसके बाद पॉलीमर स्टैंड वाला मिक्स गड्ढे में भरकर उसे समतल कर दिया जाता है, जिससे केमिकल की मदद से संबंधित पैच वर्क 2 घंटे में ही सूख जाता है. इस सड़क पर 2 घंटे बाद आसानी से ट्रैफिक को सुगमता पूर्वक गुजारा जा सकता है.

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ऐसे बनती है ग्रीन सड़क : दरअसल, ग्रीन सड़क बनाने के लिए एक विशेष प्रकार का सीमेंट उपयोग होता है, जिसमें केमिकल पहले से मिला होता है. इस सीमेंट की खास बात यह है कि यह 2 घंटे में ही सूख जाता है. लिहाजा सड़क का ये हिस्सा 2 घंटे में ही इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तकनीक के माध्यम से सबसे पहले गड्ढे का मटेरियल बाहर निकाला जाता है. इसके बाद जो कंकर- पत्थर निकलते हैं, उसको भी साफ करके तैयार सड़क का मटेरियल डाला जाता है. इसके लिए 25 किलो के मैटेरियल में ढाई लीटर लिक्विड मिलाकर एक कोठी में तैयार किया गया मटेरियल डाला जाता है. खास बात यह है कि इसमें पॉलीमर स्टैंड वाला सीमेंट होता है, जो इलेक्ट्रॉनिक मिक्सर से तैयार होता है. मटेरियल को गड्ढे में भरकर इसे समतल कर दिया जाता है. इस सीमेंट में तरी भी नहीं करनी पड़ती.

जिओ पॉलीमर टेक्नोलॉजी से 2 घंटे में ठीक हो जाती है सड़क

इंदौर। बारिश के कारण शहर में हो रहे गड्ढों को लेकर इंदौर नगर निगम और खासकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने नवीन तकनीक से सड़क की मरम्मत कार्यों के लिए स्पेशल केमिकल युक्त से पैचवर्क का शुभारंभ हाल ही में किया. उदयपुर की एक कंपनी के प्रस्ताव पर इस तरह की सड़क निर्माण का प्रयोग किया गया. इसमें कंप्लीट प्रीमिक्स मटेरियल में पानी मिलाकर उसे रेस्टोरेशन के स्थान पर डाला जाता है, जो 2 से 4 घंटे के अंदर कंप्लीट फिक्स हो जाता है. इस प्रकार इको फ्रेंडली सिस्टम से गड्ढे भरने का काम शहर के मधुमिलन चौराहे पर किया गया.

मधुमिलन चौराहे पर सड़क की मरम्मत : मधुमिलन चौराहे की सड़क पर मरम्मत के बाद इस तरह की सड़क से निर्माण कार्य चर्चा में है. नगर निगम अब इस तरह की सड़क को लेकर विचार कर रहा है. नगर निगम की निर्धारित दरों में यह इको फ्रेंडली सड़क अगर फिट बैठती है तो शहर की सड़कें इको फ्रेंडली तरीके से तैयार की जा सकेंगी. महापौर पुष्यमित्र भार्गव के मुताबिक इस तरह की इको फ्रेंडली सड़क में 25 किलो के मैटेरियल में ढाई लीटर लिक्विड मिलाकर मटेरियल एक ड्रम में तैयार किया जाता है. इसके बाद पॉलीमर स्टैंड वाला मिक्स गड्ढे में भरकर उसे समतल कर दिया जाता है, जिससे केमिकल की मदद से संबंधित पैच वर्क 2 घंटे में ही सूख जाता है. इस सड़क पर 2 घंटे बाद आसानी से ट्रैफिक को सुगमता पूर्वक गुजारा जा सकता है.

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ऐसे बनती है ग्रीन सड़क : दरअसल, ग्रीन सड़क बनाने के लिए एक विशेष प्रकार का सीमेंट उपयोग होता है, जिसमें केमिकल पहले से मिला होता है. इस सीमेंट की खास बात यह है कि यह 2 घंटे में ही सूख जाता है. लिहाजा सड़क का ये हिस्सा 2 घंटे में ही इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तकनीक के माध्यम से सबसे पहले गड्ढे का मटेरियल बाहर निकाला जाता है. इसके बाद जो कंकर- पत्थर निकलते हैं, उसको भी साफ करके तैयार सड़क का मटेरियल डाला जाता है. इसके लिए 25 किलो के मैटेरियल में ढाई लीटर लिक्विड मिलाकर एक कोठी में तैयार किया गया मटेरियल डाला जाता है. खास बात यह है कि इसमें पॉलीमर स्टैंड वाला सीमेंट होता है, जो इलेक्ट्रॉनिक मिक्सर से तैयार होता है. मटेरियल को गड्ढे में भरकर इसे समतल कर दिया जाता है. इस सीमेंट में तरी भी नहीं करनी पड़ती.

Last Updated : Aug 22, 2023, 1:57 PM IST
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