इंदौर। अधिकारी यदि चाहे तो 2 दिन में अस्पतालों की व्यवस्था सुधर सकती है. इन दिनों यही कहावत प्रदेश के 2 बड़े अस्पतालों में मरीजों के बीच चर्चा का विषय है. दरअसल यह पहला मौका है, जब अपनी जॉइनिंग के 2 दिन में ही इंदौर के किसी संभागायुक्त ने गरीब मरीजों को इलाज के दौरान होने वाली परेशानी और मोटी तनख्वाह पाने वाले डॉक्टरों की लापरवाही और मनमानी को बिना कुछ कहे सुने अपने निरीक्षण के जरिए ही उजागर कर दिया है.
MY अस्पताल का दौरा करने पहुंचे IAS अफसर: दरअसल 2006 बैच के डायरेक्ट आईएएस ऑफिसर मालसिंह भयड़िया की इंदौर संभाग आयुक्त पद पर 1 अगस्त को ही जॉइनिंग हुई थी. जॉइनिंग के अगले दिन सुबह 9:00 बजे संभागायुक्त मानसिंह सीधे निरीक्षण के लिए प्रदेश के सबसे बड़े MY अस्पताल पहुंच गए. जहां उन्होंने अस्पताल की ओपीडी में मरीजों के परिचय बनने से लेकर डॉक्टरों द्वारा इलाज किए जाने की व्यवस्था का आकस्मिक निरीक्षण किया. मौके पर उन्होंने पाया कि अस्पताल के कई विभागों से डॉक्टर नदारद हैं जबकि उनकी जगह उनका कामकाज उनके अधीनस्थ डॉक्टर संभाल रहे हैं. वही न तो मरीजों की पर्ची बनाने की सही व्यवस्था थी और ना ही पर्याप्त सफाई व्यवस्था नजर आई. इसके बाद उन्होंने ड्यूटी समय पर डॉक्टर और प्रभारियों के गायब रहने पर अस्पताल के अधीक्षक पीएस ठाकुर और डीन संजय दीक्षित से काफी नाराजगी जताई.
अस्पताल में मिली अव्यवस्थाएं: इस दौरान उन्होंने नेत्र रोग में कंप्यूटर खराब होने की जानकारी पर प्रभारी को डांट लगाई. इसके बाद ऑफिस पहुंचकर संभागायुक्त ने ड्यूटी समय पर उपस्थित नहीं होने वाले लापरवाह डॉक्टर डॉ अंकित मेश्राम, डॉ बीपी पांडेय, डॉ अभय पालीवाल, डॉ प्रदीप कुर्मी, डॉ पदमिनी चौहान, डॉ पीयुष कुमार पचौलिया, डॉ राजा गुलफाम शेख, डॉ जुबिन सौनाने को कारण बताओ नोटिस जारी कर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दे दिए. नतीजतन गुरुवार को एमवाय अस्पताल में ओपीडी में सारे डॉक्टर समय पर मौजूद नजर आए. बल्कि साफ-सफाई से लेकर अन्य व्यवस्थाएं भी चाक-चौबंद नजर आई. फिर दूसरे दिन संभागायुक्त सुबह 9 बजे ही एमटीएच अस्पताल पहुंच गए. सबसे पहले उन्होंने ओपीडी कक्ष का निरीक्षण किया. वहां पर डॉक्टर और स्टाफ उपलब्ध नहीं था. पैथॉलाजी लैब के इंचार्ज डॉ. अनुपमा दवे भी ड्यूटी पर उपस्थित नहीं थीं. माइक्रोबॉयोलाजी लैब का निरीक्षण करते हुए उन्होंने कई खामियां पाई गई. यहां ड्यूटी चार्ट लगाने, सिसटम सुधारने का कहा. डॉ. अंजू महोरा और डॉ. नेहा भी 10 बजे उपस्थित नहीं थीं. बायोकेमेस्रिी रजिस्टर चेक किया. सैंपल देने में हो रही देरी पर नाराजगी जताई. यहां कई घंटों मरीजों के सैंपल जांच के लिए संबंधित अस्पताल नहीं भेजे जा रहे थे. जबकि नियमानुसार हर आधे घंटे में संबंधितों तक सैंपल भेजना होता है.
कार्रवाई के दिए निर्देश: संभागायुक्त ने आयुष्मान ऑफिस के निरीक्षण के दौरान रजिस्टर और कंप्यूटर से जानकारी निकाली तो 1400 पेंडिंग होने की बात सामने आई. उन्होंने सोनोग्राफी सिस्टम की बारिकी से पूछताछ की. गलत जानकारी देने पर कंप्यूटर ऑपरेटर को डांट लगाई. पैथॉलाजी लैब में टूटी हुई कुर्सियां मिली, इसके अलावा जननी सुरक्षा योजना का डाटा पोर्टल पर अपलोड ही नहीं किया जा रहा था. वहीं मरीजों को नाश्ते और खाने की व्यवस्था भी उचित नहीं पाई गई. इतना ही नहीं यहां मौजूद स्टोर रूम प्रभारी डॉ. सुनीता द्वारा दवाइयों की जानकारी ही नहीं दे पाई और दवाइयों की उपयोगिता के बारे में और प्रभारी को भी जानकारी नहीं थी. इस दौरान पता चला की 13 जुलाई के बाद किसी भी बच्चे को दूध नहीं दिया गया. लैब में ताले ही लगे हुए हैं. परिवार नियोजन विभाग में डॉक्टर नहीं थे. निरीक्षण के दौरान अस्पताल की सफाई व्यवस्था बहुत ही खराब पाई. हर मंजिल के शौचालय गंदे थे. वहीं नल-फर्सियां टूटी हालत में थी. दीवारों और शौचालय में गंदगी पसरी हुई थी. इसके बाद संभागायुक्त ने करीब आधा दर्जन से अधिक डॉक्टरों के साथ अस्पताल की उप अधीक्षक डॉ अनुपमा दवे को तत्काल हटाने के निर्देश दे दिए. इसके अलावा आधा दर्जन से ज्यादा डॉक्टरों को ड्यूटी के दौरान गायब रहने पर नोटिस जारी किए गए हैं. जिनमें डॉ. रीया, डॉ. पारूल चौरसिया, डॉ. अनुपम डीके , डॉ. नेहा , डॉ. अंजू माहोरे, डॉ. अमित , डॉ. सुनीता देची तथा डॉ. दीपक तिवारी आदि डॉक्टर हैं.
मैं रात को भी आउंगा: संभागायुक्त ने अस्पताल प्रबंधन को स्पष्ट रूप से कहा "प्रबंधन ये न समझे की मैं आज आ गया हूं तो अब नहीं आउंगा. ध्यान रहे मैं एक-दो दिन बाद कभी भी दिन में या रात में भी अस्पताल में आ सकता हुं. जो अव्यवस्थाएं और खामियां आज मिली है. उन्हें शीघ्र दुरूस्त करें. मैनेजमेंट सुधारे अगली बार आऊं तब सुधार दिखना चाहिए, नहीं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान उन्होंने डॉक्टरों के सामने ही कहा कि डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं, लेकिन यहां डॉक्टर अपना काम किसी और को सौंप कर खुद अपने निजी क्लिनिक में इलाज कर रहे हैं. उन्होंने कहा यदि दो-तीन दिन में अस्पताल की व्यवस्था नहीं सुधरी तो कठोर कार्रवाई होगी.
अधिकारी ने कहा "मैं अस्पताल की व्यवस्थाओं के निरीक्षण के लिए दिन के अलावा अब रात में भी आऊंगा. वही संभागायुक्त माल सिंह भयडिया ने बताया कि कुछ डॉक्टरों की ड्यूटी उनके असिस्टेंट कर रहे हैं. यहां पर कर्मचारियों की ड्यूटी की व्यवस्था भी ठीक नहीं है. साथ ही एमटीएच अस्पताल की लैब में मरीजों के सैंपल समय पर नहीं पहुंच रहे हैं. जिससे मरीजों को खासी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा है. संभागायुक्त ने कहा कि अस्पताल में ओपीडी देखने वाले डॉक्टर अपने प्राइवेट क्लीनिक में मरीज देखते हैं. जिससे अस्पताल में अव्यवस्था हो रही है, वहीं संभागायुक्त ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार लोगों को अस्पताल में पर्याप्त पैरामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था करना चाहिए. यह सुविधा भी इंदौर के सबसे बड़े प्रसूति अस्पताल में नहीं दी जा रही है. जिसके सुधार करने और खामियों को दूर करने के लिए नोटिस दिए जाएंगे."
2006 बैच के ऑफिसर हैं मालसिंह भयड़िया: गौरतलब है मालसिंह भयड़िया 2006 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं. जो नर्मदापुरम संभाग के बाद भोपाल संभाग में संभाग आयुक्त रह चुके हैं. उन्हें मिजाज से काफी गंभीर अधिकारी माना जाता है. वे गरीब आम जनता के लिए काफी संवेदनशील रुख भी रखते हैं. यही वजह है कि अन्य तमाम अफसरों की तरह वह अपनी कुर्सी से आदेश देने के बजाय मौके पर पहुंचकर खुद व्यवस्थाओं का जायजा लेते हैं और जन हितेष योजनाओं को लागू कर गरीबों के हित में उनका क्रियान्वयन करने में कभी पीछे नहीं रहते.
पूर्व कमिश्नर नहीं सुधार पाए व्यवस्था: खास बात यह है कि एमवाय अस्पताल और एमटीएच जैसे अस्पतालों में तमाम तरह की सुविधाएं देने का दावा करने वाले पूर्व संभागायुक्त डॉ पवन शर्मा इन व्यवस्थाओं पर नजर ही नहीं डाल पाए. ऐसे कई मौके आए जब डॉक्टरों की लापरवाही उजागर हुई, लेकिन वह कोई भी प्रभावी कार्रवाई स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से नहीं कर पाए. यही वजह है कि उनके स्थान पर नए कमिश्नर के आने के बाद 2 दिन में ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की स्थिति बन रही है. जिसके कारण अब शहर में संभागायुक्त पद की भी अहमियत जिले के लापरवाह डॉक्टरों और संबंधित अधिकारियों को समझ आ पा रही है.