इंदौर। सरकारी स्कूलों में सिर्फ अपनी क्लास के बच्चों को पढ़ाकर ड्यूटी पूरी कर लेना ही काफी नहीं है. अपने तमाम प्रयासों की बदौलत स्कूल के साथ ही इलाके के तमाम बच्चों से जुड़कर उन्हें हर मामले में पारंगत बनाकर उनका भविष्य संवारने वाली शिक्षक को पुरस्कार से नवाजा जाएगा. इंदौर के धनवंतरी नगर माध्यमिक विद्यालय की सहायक शिक्षक नमीता दुबे ने गरीब बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जलाई. इसलिए उन्हें अब राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है.
कैंसर के बाद भी मुहिम नहीं थमी : नमीता दुबे प्रदेश की ऐसी एकमात्र शिक्षिका हैं, जिन्होंने अपनी दिव्यांगता और कैंसर जैसी भयावह बीमारी से जूझते हुए भी स्कूल के बच्चों को हरसंभव मदद करने का बीड़ा उठा रखा है. दरअसल, 1990 में धनवंतरी नगर स्थित माध्यमिक स्कूल में अपने अपॉइंटमेंट के बाद से ही सहायक शिक्षिका नमीता दुबे का सामना क्षेत्र की झुग्गी बस्ती के ऐसे बच्चों से हुआ, जिनको समाज और परिवार के लोग उपेक्षित और अपमान की नजर से देखते थे. लेकिन नमीता दुबे ने स्कूल की क्लास के बाद इन बच्चों और उनके परिवारों से जुड़कर उनकी प्रतिभाओं को खोजना शुरू किया. धीरे-धीरे धनवंतरी नगर के अलावा सूर्य देव नगर समेत अन्य इलाकों की गरीब बस्ती में नमीता दुबे इन बच्चों के अलावा उनके परिवारों से भी जुड़ गईं.
कई बच्चों का भविष्य बनाया : देखते ही देखते स्थिति यह हुई की कई परिवार बच्चों की समस्या के साथ अपनी व्यक्तिगत समस्या भी शिक्षिका से साझा करने लगे. इतना ही नहीं नमीता दुबे के क्लास में पढ़ने के तरीके और हर बच्चे पर विशेष रूप से ध्यान देने की बदौलत स्कूल में उन बच्चों की नामांकन संख्या दोगुनी हो गई, जो अब तक स्कूल ही नहीं आते थे. इसके बाद इन बच्चों की प्रतिभाओं को जानकर उन्हें निखारना शुरू किया गया. इसके फलस्वरूप बीते 30 साल में स्थिति यह है कि नमिता मैडम के कई बच्चे अब जिले की शासकीय स्कूलों की मेरिट सूची के अलावा अपना सुनहरा भविष्य तलाश चुके हैं.
बीमार हुईं तो बच्चों ने संभाला : अपनी 33 साल की सेवा के दौरान एक दौर ऐसा भी आया, जब एक पैर से दिव्यांग होने और वॉकर से ही चलने की परेशानी के साथ ही उन्हें कैंसर जैसी भयावह बीमारी ने घेर लिया. उस दौरान उनकी क्लास के बच्चे उनकी देखभाल और सेवा में जुड़ गए. स्कूल के प्रबंधन ने भी उनका मनोबल बढ़ाया. वह कीमोथेरेपी की स्थिति में भी बच्चों के लिए स्कूल पहुंच जाती थीं. आखिरकार सभी की शुभकामनाओं की बदौलत नमीता दुबे ने कैंसर की बीमारी को हराया. उसके बाद से वह लगातार गरीब बच्चों को सीमित संसाधनों के बावजूद उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कर रही हैं.
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5 सितंबर को मिलेगा राज्यपाल अवार्ड : गरीब झुग्गी बस्ती में रहने वाले बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के अपने जज्बे और हौसला के कारण अपने स्कूल में गरीब बच्चों की नामांकन संख्या लगातार बढ़ने और उनका भविष्य संभालने के लिए राज्य शासन ने उन्हें राज्यपाल अवार्ड देने का फैसला किया है. 5 सितंबर को नमीता दुबे को यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. शिक्षा के विभिन्न पैरामीटर और तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नमीता दुबे का चयन किया गया है, जो 2011 से स्कूल के बच्चों के अलावा गरीब बस्ती के बच्चों को भी शिक्षा के अभियान से जोड़ने वाली हैं.