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इंदौर: दस्तावेज के बिना जनता की सुरक्षा में डायल 100 - इंदौर पुलिस विभाग

इंदौर जिले में पुलिस विभाग के पास तकरीबन 50 डायल-100 मौजूद हैं. इसका उपयोग अपराध रोकने और घटना स्थल पर जल्दी पहुंचने में किया जाता है, लेकिन यह गाड़ियां बिना दस्तावेज के ही सड़कों पर दौड़ रही है.

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इंदौर : दस्तावेज के बिना जनता की सुरक्षा में डायल 100
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Published : Apr 17, 2021, 10:10 AM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश सरकार ने अपराध की घटनाओं को रोकने और घटना स्थल पर जल्द पहुंचने के लिए डायल 100 गाड़ी हर शहर की पुलिस को दी है. इंदौर शहर में भी तकरीबन 50 से अधिक गाड़ियां पुलिस को मिली है. इन गाड़ियों की मदद से अपराध पर प्रभावी कार्रवाई करने की कोशिश होती है. लेकिन ये गाड़ियों के जरुरी कागजात के बिना ही चल रही है. ईटीवी भारत ने शहर के एक डायल 100 गाड़ी के ड्राइवर से जब इस बारे में पूछताछ की तो उसके पास गाड़ी के कागज नहीं मिले, वहीं अधिकारियों ने राजधानी में व्यवस्था होने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया.

इंदौर : दस्तावेज के बिना जनता की सुरक्षा में डायल 100
  • इंदौर में क्राइम का ग्राफ अव्वल

इंदौर में अपराध के ग्राफ में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वहीं अपराध के ग्राफ को कम करने के लिए पुलिस कड़ी मशक्कत करती है. आपराधिक घटनाओं के समय सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति डायल 100 को ही घटना की सूचना देता है. ऐसे में यदि डायल 100 की किसी हादसे का शिकर हो जाए तो क्या होगा. क्योंकि वाहन चालकों के पास ही गाड़ियों के कागजात नहीं हैं.

डायल 100 पर मौजूद ड्राइवरों का कहना है कि गाड़ी से संबंधित पूरा डाटा हेड ऑफिस में मौजूद रहता है. और किसी तरह की कोई परेशानी होती है, तो हेड ऑफिस से संपर्क कर पूरे मामले में समस्या का समाधान निकाला जाता है.

  • भोपाल से संचालित होती है डायल 100

इंदौर शहर में तकरीबन 50 से अधिक डायल हंड्रेड गाड़ियां मौजूद हैं. लेकिन उनकी देखरेख की जिम्मेदारी भोपाल स्तर के अधिकारियों के पास है. वह समय-समय पर यहां पर आकर डायल 100 के ड्राइवरों से मुलाकात कर रवाना हो जाते हैं.

आईजी हरिनारायण चारी का कहना है कि केंद्रीय स्तर पर एक पूरा रिकॉर्ड मेंटेन किया जाता है और केंद्रीय स्तर की समिति इनकी देख रेख भी की जाती है. डायल 100 गाड़ी में थाने का एक जवान मौजूद रहता है और उसकी जवाबदारी रहती है कि वह डायल हंड्रेड में मौजूद कागजात के साथ ही अन्य तरह की समस्याओं को समय-समय पर चेक करें और यदि इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी रहती है, तो फिर आगे पत्राचार किया जाता है, लेकिन पूरी जवाबदारी केंद्रीय स्तर पर मौजूद समिति की ही रहती है.

अजब MP की गजब डायल 100, बिना बीमा सड़कों पर सरपट दौड़ रही

  • मौके पर पहुंचती है डायल 100

जानकारी के मुताबिक घटना की जानकारी डायल 100 पर मिलती है, तो शहरी क्षेत्र में पहुंचने में 5-7 मिनट लगते हैं, वहीं ग्रामीण इलाके में 15-20 मिनट पर डायल 100 मौके पर पहुंचती है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस तरह से डायल 100 के ड्राइवर और उसमें मौजूद पुलिसकर्मी अपनी जान को दांव पर लगाकर काफी कम समय पर मौके पर पहुंचते हैं. यदि इस दौरान किसी तरह का कोई घटनाक्रम होता है तो उसके जिम्मेदारी किसकी होती है. डायल 100 गाड़ियों का कम्पनी के द्वारा बीमा भी नहीं कराया जाता हैं. जिसके चलते यह बिना बीमा के ही सड़कों पर तेज रफ्तार से दौड़ रही है. ऐसे में इनकी चपेट में कोई व्यक्ति आता है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. इस तरह के कई प्रश्न हैं, जिसको लेकर जिम्मेदार मौन हैं.

इंदौर। मध्य प्रदेश सरकार ने अपराध की घटनाओं को रोकने और घटना स्थल पर जल्द पहुंचने के लिए डायल 100 गाड़ी हर शहर की पुलिस को दी है. इंदौर शहर में भी तकरीबन 50 से अधिक गाड़ियां पुलिस को मिली है. इन गाड़ियों की मदद से अपराध पर प्रभावी कार्रवाई करने की कोशिश होती है. लेकिन ये गाड़ियों के जरुरी कागजात के बिना ही चल रही है. ईटीवी भारत ने शहर के एक डायल 100 गाड़ी के ड्राइवर से जब इस बारे में पूछताछ की तो उसके पास गाड़ी के कागज नहीं मिले, वहीं अधिकारियों ने राजधानी में व्यवस्था होने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया.

इंदौर : दस्तावेज के बिना जनता की सुरक्षा में डायल 100
  • इंदौर में क्राइम का ग्राफ अव्वल

इंदौर में अपराध के ग्राफ में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वहीं अपराध के ग्राफ को कम करने के लिए पुलिस कड़ी मशक्कत करती है. आपराधिक घटनाओं के समय सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति डायल 100 को ही घटना की सूचना देता है. ऐसे में यदि डायल 100 की किसी हादसे का शिकर हो जाए तो क्या होगा. क्योंकि वाहन चालकों के पास ही गाड़ियों के कागजात नहीं हैं.

डायल 100 पर मौजूद ड्राइवरों का कहना है कि गाड़ी से संबंधित पूरा डाटा हेड ऑफिस में मौजूद रहता है. और किसी तरह की कोई परेशानी होती है, तो हेड ऑफिस से संपर्क कर पूरे मामले में समस्या का समाधान निकाला जाता है.

  • भोपाल से संचालित होती है डायल 100

इंदौर शहर में तकरीबन 50 से अधिक डायल हंड्रेड गाड़ियां मौजूद हैं. लेकिन उनकी देखरेख की जिम्मेदारी भोपाल स्तर के अधिकारियों के पास है. वह समय-समय पर यहां पर आकर डायल 100 के ड्राइवरों से मुलाकात कर रवाना हो जाते हैं.

आईजी हरिनारायण चारी का कहना है कि केंद्रीय स्तर पर एक पूरा रिकॉर्ड मेंटेन किया जाता है और केंद्रीय स्तर की समिति इनकी देख रेख भी की जाती है. डायल 100 गाड़ी में थाने का एक जवान मौजूद रहता है और उसकी जवाबदारी रहती है कि वह डायल हंड्रेड में मौजूद कागजात के साथ ही अन्य तरह की समस्याओं को समय-समय पर चेक करें और यदि इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी रहती है, तो फिर आगे पत्राचार किया जाता है, लेकिन पूरी जवाबदारी केंद्रीय स्तर पर मौजूद समिति की ही रहती है.

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  • मौके पर पहुंचती है डायल 100

जानकारी के मुताबिक घटना की जानकारी डायल 100 पर मिलती है, तो शहरी क्षेत्र में पहुंचने में 5-7 मिनट लगते हैं, वहीं ग्रामीण इलाके में 15-20 मिनट पर डायल 100 मौके पर पहुंचती है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस तरह से डायल 100 के ड्राइवर और उसमें मौजूद पुलिसकर्मी अपनी जान को दांव पर लगाकर काफी कम समय पर मौके पर पहुंचते हैं. यदि इस दौरान किसी तरह का कोई घटनाक्रम होता है तो उसके जिम्मेदारी किसकी होती है. डायल 100 गाड़ियों का कम्पनी के द्वारा बीमा भी नहीं कराया जाता हैं. जिसके चलते यह बिना बीमा के ही सड़कों पर तेज रफ्तार से दौड़ रही है. ऐसे में इनकी चपेट में कोई व्यक्ति आता है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. इस तरह के कई प्रश्न हैं, जिसको लेकर जिम्मेदार मौन हैं.

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