इंदौर। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी रहे मृतक दिलीप पाटीदार की पत्नी ने मुआवजे को लेकर याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने विभिन्न जांच एजेंसियों ने अलग-अलग तरह के तर्क रखे थे. कोर्ट ने उन्हीं तर्कों के आधार पर आरोपी मृतक दिलीप की पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया है.
आरोपी मृतक की पत्नी ने ATS पर प्रताड़ना का लगया आरोप: मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी मृतक दिलीप पाटीदार की पत्नी ने ATS पर जबरन प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए साल 2021 में एक याचिका दायर की थी. दिलीप पाटीदार की पत्नी ने एक करोड़ मुआवजे की मांग की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट के समक्ष मालेगांव ब्लास्ट मामले में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट पेश की. मामले में मुंबई ATS ने केस दर्ज किया था. जिसमें वर्तमान भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह सहित अन्य पर मुंबई ATS द्वारा दर्ज अपराध में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी. केस में आरोपी बनाए गए पाटीदार और अन्य आरोपियों को हिंदूवादी संगठनों से जुड़ा होना बता कर, हिंदू आतंकवादी प्रचारित किया गया था. (यहां पर आपको बता दें कि दिलीप पाटीदार को ATS ने मृतक बताया है, लेकिन उसके परिवार का आरोप है कि अगर वह मृत है तो उसकी डेडबॉडी उन्हें क्यों नहीं दी गई है.)
कोर्ट ने मुआवजे याचिका खारिज की: वहीं मामले में एक-एक कर सभी लोग बरी होने के बाद निर्दोष साबित हुए. वहीं पाटीदार और प्रज्ञा सिंह सहित अन्य ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को चैलेंज नही किया. जिस कारण से उन्होंने मुआवजा पाने सहित आगे की न्यायिक लड़ाई में जीत के रास्तों में ब्रेकर लगा दिए. याचिका में सीबीआई को भी पार्टी नहीं बनाया. मुबई ATS का सबइंस्पेक्टर भी 25/09/2023 को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में पेश हुए. वहीं बिना सक्षम स्वीकृति लिए कोर्ट में चालान पेश करने पर भी सवाल उठे. हाईकोर्ट जस्टिस विजय कुमार शुक्ला ने आदेश जारी करके याचिका को खारिज करने के साथ ही ATS को मुआवजा आवेदन निरस्त करने के आदेश दिए. साथ ही दस्तावेज दिलीप पाटीदार के परिजन को उनके ईमेल और पोस्टल एड्रेस पर भेजने और उसे चैलेंज करने की लिबर्टी दी. फिलहाल प्रारंभिक तौर पर कोर्ट ने सुनवाई कर मुआवजा को लेकर लगी याचिका को खारिज कर दिया है.