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100 साल पुरानी परंपरा पर छाए संकट के बादल, मिल मजदूरों ने लगाई प्रशासन से गुहार - गणेश उत्सव समिति इंदौर

अनंत चतुर्दशी के मौके पर इंदौर में निकलने वाली झांकियों की परंपरा इस बार टूटने की संभावना है, लगभग पिछले 100 सालों से यह झांकियां हर परिस्थिति में अनंत चतुर्दशी के दिन निकलती हैं, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते इंदौर शहर में झांकियों के निकलने पर संकट मंडरा रहा है.

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अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाली झांकियां
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Published : Aug 1, 2020, 1:36 PM IST

इंदौर। शहर में लगभग पिछले 100 सालों से परंपरा का हिस्सा बन चुकी अनंत चतुर्दशी की झांकियों पर इस साल कोरोना महामारी के संकट के बादल छा गए हैं, जिसके कारण इस बार अनंत चतुर्दशी के मौके पर निकलने वाले चल समारोह निरस्त माने जा रहे हैं. हालांकि इसे लेकर अब तक जिला प्रशासन ने कोई भी निर्णय नहीं लिया है. वहीं इस परंपरा के पक्ष में झांकियां निकालने वाली समितियों का कहना है कि जब जगन्नाथपुरी और उज्जैन में धार्मिक सवारियां निकल सकती हैं तो इंदौर में भी नियमों के साथ चल समारोह की परंपरा का निर्वाह किया जाना चाहिए. अनंत चतुर्दशी के दूसरे दिन इंदौर कलेक्टर के द्वारा स्थानीय अवकाश भी घोषित किया जाता है, लेकिन इस बार कलेक्टर ने आदेश जारी कर इस स्थानीय अवकाश को भी निरस्त कर दिया है.

अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाली झांकियां

हर परिस्थिति में जारी रही परंपरा

इंदौर शहर में एक समय में हर मिल की अपनी झांकी निकलती थी, मिलें बंद होने के बावजूद मजदूरों ने इस परंपरा को जिंदा रखा था और आर्थिक तंगहाली के बाद भी मजदूर शहर में झांकियां बना रहे थे, पिछले साल लगभग 28 झांकियों का सिलसिला चल समारोह में शामिल हुआ था, जिसे देखने के लिए प्रदेश ही नहीं पूरे देश के लोग इंदौर में पहुंचते थे, देर शाम से शुरू होने वाली झांकियों का सिलसिला सुबह तक जारी रहता था.

गणेश उत्सव समितियों ने रखी मांग

विभिन्न अखाड़ों द्वारा अनंत चतुर्दशी के मौके पर चल समारोह निकाली जाती है. हालांकि जिला प्रशासन ने इस चल समारोह पर कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन इस परंपरा के पक्ष में गणेश उत्सव समिति का कहना है कि जब जगन्नाथपुरी और उज्जैन में धार्मिक सवारियां निकल सकती हैं तो इंदौर में भी नियमों के साथ चल समारोह की परंपरा का निर्वाह किया जाना चाहिए.

मिल मजदूरों की गुहार

मिल मजदूरों का कहना है कि भले ही झांकिया भव्य तरीके से नहीं निकल सकती. लेकिन हर मिल की एक प्रतीकात्मक झांकी को निकालने की इजाजत दी जाए, जिससे की यह परंपरा ना टूटे, इसके लिए सभी मिल मजदूर जनप्रतिनिधियों से भी मदद की गुहार लगा रहे हैं.

गौरतलब है कि इंदौर में निकलने वाली इन झांकियों के निर्माण के लिए आठ लाख की राशि का खर्च आता है, जिसमें सहायता के तौर पर नगर निगम प्रत्येक मिल को 2 लाख और इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा प्रत्येक मिल को 1 लाख का अनुदान होता है. नुकसान में होने के बावजूद मिल मजदूर इन झांकियों को तैयार करते हैं, ताकि शहर में सालों से चली आ रही परंपरा कायम रहे.

इंदौर। शहर में लगभग पिछले 100 सालों से परंपरा का हिस्सा बन चुकी अनंत चतुर्दशी की झांकियों पर इस साल कोरोना महामारी के संकट के बादल छा गए हैं, जिसके कारण इस बार अनंत चतुर्दशी के मौके पर निकलने वाले चल समारोह निरस्त माने जा रहे हैं. हालांकि इसे लेकर अब तक जिला प्रशासन ने कोई भी निर्णय नहीं लिया है. वहीं इस परंपरा के पक्ष में झांकियां निकालने वाली समितियों का कहना है कि जब जगन्नाथपुरी और उज्जैन में धार्मिक सवारियां निकल सकती हैं तो इंदौर में भी नियमों के साथ चल समारोह की परंपरा का निर्वाह किया जाना चाहिए. अनंत चतुर्दशी के दूसरे दिन इंदौर कलेक्टर के द्वारा स्थानीय अवकाश भी घोषित किया जाता है, लेकिन इस बार कलेक्टर ने आदेश जारी कर इस स्थानीय अवकाश को भी निरस्त कर दिया है.

अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाली झांकियां

हर परिस्थिति में जारी रही परंपरा

इंदौर शहर में एक समय में हर मिल की अपनी झांकी निकलती थी, मिलें बंद होने के बावजूद मजदूरों ने इस परंपरा को जिंदा रखा था और आर्थिक तंगहाली के बाद भी मजदूर शहर में झांकियां बना रहे थे, पिछले साल लगभग 28 झांकियों का सिलसिला चल समारोह में शामिल हुआ था, जिसे देखने के लिए प्रदेश ही नहीं पूरे देश के लोग इंदौर में पहुंचते थे, देर शाम से शुरू होने वाली झांकियों का सिलसिला सुबह तक जारी रहता था.

गणेश उत्सव समितियों ने रखी मांग

विभिन्न अखाड़ों द्वारा अनंत चतुर्दशी के मौके पर चल समारोह निकाली जाती है. हालांकि जिला प्रशासन ने इस चल समारोह पर कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन इस परंपरा के पक्ष में गणेश उत्सव समिति का कहना है कि जब जगन्नाथपुरी और उज्जैन में धार्मिक सवारियां निकल सकती हैं तो इंदौर में भी नियमों के साथ चल समारोह की परंपरा का निर्वाह किया जाना चाहिए.

मिल मजदूरों की गुहार

मिल मजदूरों का कहना है कि भले ही झांकिया भव्य तरीके से नहीं निकल सकती. लेकिन हर मिल की एक प्रतीकात्मक झांकी को निकालने की इजाजत दी जाए, जिससे की यह परंपरा ना टूटे, इसके लिए सभी मिल मजदूर जनप्रतिनिधियों से भी मदद की गुहार लगा रहे हैं.

गौरतलब है कि इंदौर में निकलने वाली इन झांकियों के निर्माण के लिए आठ लाख की राशि का खर्च आता है, जिसमें सहायता के तौर पर नगर निगम प्रत्येक मिल को 2 लाख और इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा प्रत्येक मिल को 1 लाख का अनुदान होता है. नुकसान में होने के बावजूद मिल मजदूर इन झांकियों को तैयार करते हैं, ताकि शहर में सालों से चली आ रही परंपरा कायम रहे.

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