इंदौर। महाराजा यशवंत राव अस्पताल में जिन दो बच्चों की मौत ऑक्सीजन के बदले बेहोशी की दवा देने से हुई थी, हाई कोर्ट ने उनकी मौत के जिम्मेदार अस्पताल के तीन डाक्टरों सहित लोक निर्माण विभाग के दो अधिकारियों को दोषी ठहराया है. इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई के लिए कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक रामगुलाम राजदान, डॉक्टर बृजेश लाहोटी, डॉक्टर केके अरोड़ा, पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री निर्मल श्रीवास्तव और टेक्नीशियन राजेश चौहान के खिलाफ कठोर कार्रवाई के आदेश दिए हैं. वहीं, चिकित्सा शिक्षा विभाग को आगामी डेढ़ माह में एक्शन प्लान बनाकर अस्पताल में इलाज की व्यवस्था सुधारने के आदेश दिए हैं.
दरअसल, हाई कोर्ट के जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की डिवीजन बेंच में ये मामला सुनवाई के लिए आया था, जिसमें कोर्ट ने 24 जनवरी को अंतिम बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में याचिकाकर्ता मनीष यादव और प्रमोद द्विवेदी ने जिम्मेदार डॉक्टरों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कोर्ट से की थी.
शुक्रवार देर रात इस मामले में आए फैसले पर कोर्ट ने स्वीकार किया कि 2 माह के मासूम मोहम्मद हसन पिता इब्राहिम समेत 1 अन्य बच्चे की मौत अस्पताल के पीडियाट्रिक ओटी में ऑक्सीजन के स्थान पर बेहोश करने वाली गैस की सप्लाई करने से हुई थी. लिहाजा बच्चों की मौत का जिम्मेदार डॉक्टर समेत अस्पताल प्रशासन है.
29 जून 2017 को हुई इस घटना की जांच के लिए संवैधानिक समिति ने भी डॉक्टरों के खिलाफ जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी, जिसमें कोर्ट ने तीनों डॉक्टरों समेत पीडब्ल्यूडी के दो अधिकारी के खिलाफ विभागीय स्तर पर कठोर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. इसके अलावा याचिकाकर्ताओं की मांग पर अस्पताल में व्याप्त आर्थिक गड़बड़ियों को रोकने के लिए अस्पताल के ऑडिट कराने के आदेश भी स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं. वहीं दोनों मासूम बच्चों के परिजनों को दो लाख के बजाय पर्याप्त मुआवजा देने के आदेश दिये हैं.