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हाईकोर्ट का आदेश, बेटों को ही करना होगा माता-पिता का भरण-पोषण

हाईकोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए माता पिता को मिलने वाली भरण-पोषण राशि को यथावत रखने के आदेश दिए हैं.

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Published : May 17, 2019, 11:36 PM IST

हाईकोर्ट का आदेश

इंदौर। हाईकोर्ट ने इंदौर खंडपीठ के एक फैसले को बरकरार रखते हुए माता पिता को मिलने वाली भरण-पोषण राशि को यथावत रखने के आदेश दिए हैं. यही नहीं उच्च न्यायालय ने माता पिता के भरण-पोषण के लिए अदा करने वाली राशि नहीं दिए जाने पर इसे हाईकोर्ट की अवमानना माना जाने का आदेश में जारी किया है.

हाईकोर्ट का आदेश

बता दें कि तनय और शिवम कसेरा ने निचली अदालत के फैसले को पलटने के लिए याचिका लगाई थी. इंदौर खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए ही निर्देशित किया है कि वह अपनी मां पुष्पा कसेरा को हर माह साडे 15 हजार बतौर भरण-पोषण अदा करें. समय पर यह राशि अदा न किए जाने पर इसे हाईकोर्ट की अवमानना मानी जाएगी.

दरअसल पुष्पा कसेरा ने 2017 में अपने बेटों से भरण-पोषण की मांग को लेकर इंदौर की निचली अदालत में एक मुकदमा लगाया था. जिस पर निचली अदालत ने माता पिता के भरण-पोषण के लिए दोनों बेटों को साडे 15 हजार प्रतिमाह देने के लिए आदेशित किया था. इस पर दोनों बेटों ने हाईकोर्ट में आवेदन किया और उक्त राशि भरण-पोषण को रद्द करने की मांग की थी. जिस पर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा है.

इंदौर। हाईकोर्ट ने इंदौर खंडपीठ के एक फैसले को बरकरार रखते हुए माता पिता को मिलने वाली भरण-पोषण राशि को यथावत रखने के आदेश दिए हैं. यही नहीं उच्च न्यायालय ने माता पिता के भरण-पोषण के लिए अदा करने वाली राशि नहीं दिए जाने पर इसे हाईकोर्ट की अवमानना माना जाने का आदेश में जारी किया है.

हाईकोर्ट का आदेश

बता दें कि तनय और शिवम कसेरा ने निचली अदालत के फैसले को पलटने के लिए याचिका लगाई थी. इंदौर खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए ही निर्देशित किया है कि वह अपनी मां पुष्पा कसेरा को हर माह साडे 15 हजार बतौर भरण-पोषण अदा करें. समय पर यह राशि अदा न किए जाने पर इसे हाईकोर्ट की अवमानना मानी जाएगी.

दरअसल पुष्पा कसेरा ने 2017 में अपने बेटों से भरण-पोषण की मांग को लेकर इंदौर की निचली अदालत में एक मुकदमा लगाया था. जिस पर निचली अदालत ने माता पिता के भरण-पोषण के लिए दोनों बेटों को साडे 15 हजार प्रतिमाह देने के लिए आदेशित किया था. इस पर दोनों बेटों ने हाईकोर्ट में आवेदन किया और उक्त राशि भरण-पोषण को रद्द करने की मांग की थी. जिस पर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा है.

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हाईकोर्ट का आदेश, बेटों को ही करना होगा माता-पिता का भरण-पोषण

 



 



इंदौर।  हाईकोर्ट ने  इंदौर खंडपीठ के एक फैसले को बरकरार रखते हुए माता पिता को मिलने वाली भरण-पोषण राशि को यथावत रखने के आदेश दिए हैं. यही नहीं उच्च न्यायालय ने माता पिता के भरण-पोषण के लिए अदा करने वाली राशि नहीं दिए जाने पर इसे हाईकोर्ट की अवमानना माना जाने का आदेश में जारी किया है.



बता दें कि तनय और शिवम कसेरा ने निचली अदालत के फैसले को पलटने के लिए याचिका लगाई थी. इंदौर खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए ही निर्देशित किया है कि वह अपनी मां पुष्पा कसेरा को हर माह साडे 15 हजार बतौर भरण-पोषण अदा करें.  समय पर यह राशि अदा न किए जाने पर इसे हाईकोर्ट की अवमानना मानी जाएगी.



दरअसल पुष्पा कसेरा ने 2017 में अपने बेटों से भरण-पोषण की मांग को लेकर इंदौर की निचली अदालत में एक मुकदमा लगाया था. जिस पर निचली अदालत ने माता पिता के भरण-पोषण के लिए दोनों बेटों को साडे 15 हजार प्रतिमाह देने के लिए आदेशित किया था. इस पर दोनों बेटों ने हाईकोर्ट में आवेदन किया और उक्त राशि भरण-पोषण को रद्द करने की मांग की थी. जिस पर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा है.



बाइट आकाश शर्मा अधिवक्ता हाई कोर्ट



SIDDHARTH MACHHIWAL


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