ETV Bharat / state

हाईकोर्ट की रोक के बाद प्रदेश की 6 हजार कॉलोनियों नहीं हो पाएंगी वैध

ग्वालियर हाईकोर्ट ने प्रदेश की करीब 6 हजार अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.

प्रदेश की 6 हजार कॉलोनियों नहीं हो पाएंगी वैध
author img

By

Published : Jun 4, 2019, 10:54 PM IST

इंदौर| प्रदेश की करीब 6 हजार अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पर आखिरकार ग्वालियर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट के फैसले के बाद अब अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया भी रुक जाएगी. कोर्ट ने इस मामले में मध्यप्रदेश शासन को ये स्वतंत्रता दी है कि नगर निगम एक्ट की धारा 292 के प्रावधानों के तहत अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्रवाई की जा सकती है.

प्रदेश की 6 हजार कॉलोनियों नहीं हो पाएंगी वैध

याचिकाकर्ता उमेश भोरे का कहना था कि चुनाव से पहले बीजेपी सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा राजनीतिक लाभ लेने के लिए की थी. याचिकाकर्ता ने नगर निगम के कॉलोनाइजर नियम 15A की वैधता को भी कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि राज्य शासन द्वारा अवैध कॉलोनियों को वैध करने से प्रदेश में अवैध कॉलोनियां विकसित करने वालों को बढ़ावा मिलेगा. इससे लोग वैध कॉलोनियों के बजाय अवैध कॉलोनियों का विकास करेंगे और फिर उसे वैध करा लेंगे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में ऐसे सरकारी सर्वे भी पेश किए हैं, जिन्हें नियम विरुद्ध वैध कॉलोनियों में शामिल कर लिया गया है. याचिकाकर्ता के तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार द्वारा आरोपित की गई धारा 15 को खत्म कर दिया. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने ये निर्देश दिए कि अवैध कॉलोनियों को बसाने के दौरान जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ भी निगम की धारा 292 के तहत कार्रवाई की जाए.

8 मई 2018 को प्रदेश भर की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी. इसमें मध्यप्रदेश की 6 हजार अवैध कॉलोनियां वैध होना थी. इंदौर की भी 111 कॉलोनियां वैध होने की प्रक्रिया में आ गई थीं. कमलनाथ सरकार ने भी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की दिशा में फैसला लिया था. लेकिन सोमवार को ग्वालियर हाई कोर्ट में जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.

इंदौर| प्रदेश की करीब 6 हजार अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पर आखिरकार ग्वालियर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट के फैसले के बाद अब अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया भी रुक जाएगी. कोर्ट ने इस मामले में मध्यप्रदेश शासन को ये स्वतंत्रता दी है कि नगर निगम एक्ट की धारा 292 के प्रावधानों के तहत अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्रवाई की जा सकती है.

प्रदेश की 6 हजार कॉलोनियों नहीं हो पाएंगी वैध

याचिकाकर्ता उमेश भोरे का कहना था कि चुनाव से पहले बीजेपी सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा राजनीतिक लाभ लेने के लिए की थी. याचिकाकर्ता ने नगर निगम के कॉलोनाइजर नियम 15A की वैधता को भी कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि राज्य शासन द्वारा अवैध कॉलोनियों को वैध करने से प्रदेश में अवैध कॉलोनियां विकसित करने वालों को बढ़ावा मिलेगा. इससे लोग वैध कॉलोनियों के बजाय अवैध कॉलोनियों का विकास करेंगे और फिर उसे वैध करा लेंगे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में ऐसे सरकारी सर्वे भी पेश किए हैं, जिन्हें नियम विरुद्ध वैध कॉलोनियों में शामिल कर लिया गया है. याचिकाकर्ता के तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार द्वारा आरोपित की गई धारा 15 को खत्म कर दिया. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने ये निर्देश दिए कि अवैध कॉलोनियों को बसाने के दौरान जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ भी निगम की धारा 292 के तहत कार्रवाई की जाए.

8 मई 2018 को प्रदेश भर की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी. इसमें मध्यप्रदेश की 6 हजार अवैध कॉलोनियां वैध होना थी. इंदौर की भी 111 कॉलोनियां वैध होने की प्रक्रिया में आ गई थीं. कमलनाथ सरकार ने भी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की दिशा में फैसला लिया था. लेकिन सोमवार को ग्वालियर हाई कोर्ट में जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.

Intro:इंदौर सहित प्रदेश की करीब 6000 अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पर आखिरकार ग्वालियर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है कोर्ट के फैसले के बाद अब अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया भी रुक जाएगी कोर्ट ने इस मामले में मध्यप्रदेश शासन को यह स्वतंत्रता दी है कि नगर निगम एक्ट की धारा 292 ही के प्रावधानों के तहत अवैध कालोनियों को वैध करने की कार्रवाई की जा सकती है


Body:सोमवार को ग्वालियर हाई कोर्ट में जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाया दरअसल याचिकाकर्ता उमेश भोरे का कहना था कि चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी सरकार ने अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा राजनीतिक लाभ लेने के लिए की थी याचिकाकर्ता ने नगर निगम के कॉलोनाइजर नियम 15a की वैधता को भी कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि राज्य शासन द्वारा अवैध कालोनियों को वैध करने से प्रदेश में अवैध कालोनियां विकसित करने वालों को बढ़ावा मिलेगा इससे लोग वेद कॉलोनी के बजाय अवैध कालोनियों का विकास करेंगे और फिर उसे वेट करा लेंगे सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में ऐसे सरकारी सर्वे नंबर भी प्रस्तुत किए जिन्हें नियम विरुद्ध वैध कालोनियों में शामिल कर लिया गया है याचिकाकर्ता के तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार द्वारा आरोपित की गई धारा 15 को खत्म कर दिया सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यह निर्देश दिए कि अवैध कालोनियों को बसाने के दौरान जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ भी निगम की धारा 292 के तहत कार्रवाई की जाए इसके लिए दोषी सर्किल के डिप्टी कलेक्टर तहसीलदार आर आई और अवैध कालोनियों को बचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए गौरतलब है 8 मई 2018 को प्रदेश भर की अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी इसमें मध्य प्रदेश की 6000 अवैध कालोनियां वैध होना थी इंदौर की भी 111 कालोनियां वैध होने की प्रक्रिया में आ गई थी कमलनाथ सरकार ने भी अवैध कालोनियों को वैध करने की दिशा में फैसला लिया था


Conclusion:इंदौर के विजुअल
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.