इंदौर| प्रदेश की करीब 6 हजार अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पर आखिरकार ग्वालियर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट के फैसले के बाद अब अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया भी रुक जाएगी. कोर्ट ने इस मामले में मध्यप्रदेश शासन को ये स्वतंत्रता दी है कि नगर निगम एक्ट की धारा 292 के प्रावधानों के तहत अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्रवाई की जा सकती है.
याचिकाकर्ता उमेश भोरे का कहना था कि चुनाव से पहले बीजेपी सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा राजनीतिक लाभ लेने के लिए की थी. याचिकाकर्ता ने नगर निगम के कॉलोनाइजर नियम 15A की वैधता को भी कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि राज्य शासन द्वारा अवैध कॉलोनियों को वैध करने से प्रदेश में अवैध कॉलोनियां विकसित करने वालों को बढ़ावा मिलेगा. इससे लोग वैध कॉलोनियों के बजाय अवैध कॉलोनियों का विकास करेंगे और फिर उसे वैध करा लेंगे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में ऐसे सरकारी सर्वे भी पेश किए हैं, जिन्हें नियम विरुद्ध वैध कॉलोनियों में शामिल कर लिया गया है. याचिकाकर्ता के तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार द्वारा आरोपित की गई धारा 15 को खत्म कर दिया. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने ये निर्देश दिए कि अवैध कॉलोनियों को बसाने के दौरान जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ भी निगम की धारा 292 के तहत कार्रवाई की जाए.
8 मई 2018 को प्रदेश भर की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी. इसमें मध्यप्रदेश की 6 हजार अवैध कॉलोनियां वैध होना थी. इंदौर की भी 111 कॉलोनियां वैध होने की प्रक्रिया में आ गई थीं. कमलनाथ सरकार ने भी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की दिशा में फैसला लिया था. लेकिन सोमवार को ग्वालियर हाई कोर्ट में जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.