इंदौर। हाल ही में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इंदौर को पीथमपुर से सीधे जोड़ते हुए लॉजिस्टिक हब की औद्योगिक क्षेत्र से कनेक्टिविटी के लिए रिंग रोड की स्वीकृति दी है. इसे जल्द से जल्द बनाए जाने के लिए राज्य शासन ने गडकरी से अनुरोध किया था. लिहाजा नेशनल हाईवे द्वारा तेजी से काम शुरू हो सके, इसके लिए जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है. गौरतलब है रिंग रोड के पूरे रूट के दौरान करीब 80 गांव आ रहे हैं. ज्यादातर की कृषि भूमि है.
किसान अपनी जमीन को लेकर चिंतित : फिलहाल 75 मीटर की सड़क के अलावा दोनों तरफ करीब दो-दो सौ मीटर जमीन लेने की बात हो रही है. किसान अपनी जमीनों को बचाने को लेकर खासे चिंतित हैं. किसानों का आरोप है कि आमतौर पर 60 मीटर चौड़ी सड़क बनती है, लेकिन नए रिंग रोड को अधिकारी 75 मीटर चौड़ा बता रहे हैं, जिससे कई किसानों की जमीन जा रही है. फिलहाल अधिग्रहण एजेंसी इंदौर विकास प्राधिकरण है, जिसका किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा है.किसानों का आरोप यह भी है कि पूर्व में उनकी जमीन पर जो हाईटेंशन लाइनें डाली गई, उसका भी मुआवजा नहीं मिला है, जबकि इंदौर विकास प्राधिकरण की अन्य योजनाओं को लेकर भी स्थिति यही है.
किसी भी हालत में नहीं देंगे जमीन : किसान किसी भी कीमत पर अपनी जमीन रिंग रोड के लिए देने तैयार नहीं हैं. इस मामले को लेकर किसानों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए इंदौर कलेक्टर को ज्ञापन दिया था. इस बीच किसान लगातार क्षेत्र के विधायक एवं जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से भी मामले में हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. इधर, इंदौर के सुपर कॉरिडोर को जोड़ने वाले ओवरब्रिज का शुभारंभ करने मुख्यमंत्री शुक्रवार को इंदौर पहुंच रहे हैं. किसानों ने मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी समस्या उन्हें बताने का ऐलान किया है. इधर, इस मामले में इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने किसानों को आश्वासन देते हुए कहा है कि ये सरकार किसानों की है और उनके अच्छे के लिए ही काम करेगी.