इंदौर। देशभर में कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण एल्कोहल और शराब की खपत भले कम हुई हो, लेकिन कोरोना से बचने के लिए सेनिटाइजर की मांग अधिक बढ़ गई है. वहीं सेनिटाइजर बनाने के लिए एल्कोहल की जरूरत होती है, जिसके लिए सेनिटाइजर निर्माताओं को आबकारी विभाग से लाइसेंस लेना होता है. इंदौर जिले में आबकारी विभाग ने अप्रैल से लेकर अब तक सेनिटाइजर निर्माताओं के लिए 45 लाइसेंस जारी किए हैं.
कोरोना के खिलाफ जंग में सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे सेनिटाइजर में आइसोप्रोपिल एल्कोहल और एथेनॉल का उपयोग किया जाता है, ये दोनों एल्कोहलिक तत्व आबकारी अधिनियम के दायरे में आते हैं.
सेनिटाइजर बनाने और इसकी आपूर्ति के लिए आबकारी विभाग से लाइसेंस जरूरी हैं. इंदौर जिले में बड़े पैमाने पर फार्मा कंपनियां सेनिटाइजर बनाने के काम में जुटी हुई हैं. जिससे तमाम कंपनियों के लिए आबकारी विभाग ने rs2 श्रेणी के लाइसेंस दान किए हैं. अप्रैल से अब तक सेनिटाइजर के निर्माण में करीब 100 गुना बढ़ोतरी हुई है, जिसके चलते सेनिटाइजर निर्माताओं को अब तक 45 लाइसेंस दिए जा चुके हैं.
ये भी पढ़े- बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा नकली सैनिटाइजर, स्वास्थ्य के लिए है बेहद खतरनाक
ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत निर्माण
एल्कोहल के मिश्रित रूपों से सेनिटाइजर बनाने के लिए अलग-अलग फॉर्मूला हैं. आबकारी विभाग द्वारा जारी किए गए लाइसेंस से आइसोप्रोफाइल एल्कोहल और एथेनॉल की आपूर्ति दवा निर्माताओं को ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत की जाती है. इसके बाद ड्रग कंट्रोलर की निगरानी में सेनिटाइजर तैयार किया जाता है.