इंदौर। मध्य प्रदेश में रिश्वतखोरी घर करके बैठ गई है. आलम यह हो गया है कि बिना घूस के प्रदेश में अब एक पत्ता भी नहीं हिल सकता. काली कमाई से सरकारी महकमे के अफसर अब कुबेर बन गए हैं. हालांकि इन काले कुबेरों पर समय-समय पर कार्रवाई होती रही है, लेकिन धरातल पर अभी भी हाल वही है. हाल ही में ईओडब्ल्यू (Economic Offensive Wing) देवास में पदस्थ एक इंजीनियर के घर इंदौर में छापेमारी कार्रवाई की, जिसमें टीम इंजीनियर के घर को देखकर हैरान रह गई. घर किसी आलीशान बंगले से कम नहीं था. अधिकतम 50,000 रुपये की कमाई करने वाला इंजीनियर करोड़ों रुपये के महल में रह रहा है. अब इस मामले में ईओडब्ल्यू जांच (EOW Investigation) पड़ताल में जुट गई है. एमपी में पिछले सात वर्षों में 1658 केस सामने आए हैं.
19 लाख रुपये की नगदी समेत तीन लग्जरी गाड़ी जब्त
EOW उज्जैन ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए देवास टीएनसीपी विभाग (TNCP Department) में पदस्थ मानचित्रकार विजय दरियानी के ठिकानों पर छापे मार कार्रवाई की. विजय दरियानी के इंदौर में आशीष नगर स्थित घर के अलावा गुरुकृपा रिजेंसी, कल्पना लोक में फ्लैट और माउंटबर्ग कॉलोनी के घर पर भी छापा मारा (EOW Raid) गया. अब तक की जांच में तीन लग्जरी कार, 19 लाख रुपये नगदी समेत कई अहम दस्तावेजों की फाइलें मिलीं हैं.
दरियानी ने अवैध तरीके से संपत्ति का किया अर्जन
बता दें कि विजय दरियानी पहले इंदौर में पदस्थ थे, लेकिन पिछले पांच सालों से देवास टीएनसीपी विभाग में ट्रेसर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. विजय दरियानी का अधिकतम वेतन 50 हजार रुपये है, लेकिन दरियानी के पास आय से कहीं ज्यादा संपत्ति है, जिसकी जांच की जा रही है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक ऐसे कई साक्ष्य मिले हैं, जिससे साबित होता है कि विजय ने अवैध तरीके से संपत्ति कमाई है. इंदौर के ठिकानों के अलावा देवास में भी टीम ने टीएनसीपी दफ्तर से कई अहम दस्तावेज जब्त किये हैं.
मुर्दगल और गोयल के ऑफिस से लेते थे नक्शे
मानचित्र अधिकारी के बारे में यह भी जानकारी सामने आ रही है कि मधुमिलन चौराहे पर एक गोयल व मुदगल आर्किटेक्चर का ऑफिस था, जहां पर मानचित्र अधिकारी का रोजाना आना जाना था. गोयल के ऑफिस में ही प्रदेश भर के टाउन एंड कंट्री से संबंधित नक्शे मौजूद रहते थे. यहीं से मानचित्र अधिकारी विभिन्न तरह की अपनी फीस लेते थे. उसके बाद टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में मौजूद अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से संबंधित कॉलोनी का नक्शा पास कर देते थे. इस तरह से दरियानी ने लाखों करोड़ों रुपए बनाए और उसके बाद उसने इंदौर के साथ ही प्रदेश के अन्य जगहों पर भी संपत्तियों को खरीदा.
एक बेटा विदेश में कर रहा पढ़ाई
दरियानी ने अपनी नौकरी में इंदौर के साथ ही अन्य जगहों पर भी नौकरी की, लेकिन इंदौर में जिस तरह से उसने इंदौर के कई आर्किटेक्चर के साथ ही बिल्डर व अन्य लोगों से संपर्क स्थापित किए, उसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक के बाद एक वह सीढ़ियां चढ़ते गया. परिवार में उसके दो बेटे हैं. एक बेटा इंदौर से ही एमबीए कर रहा है, तो दूसरा बेटा विदेश में पढ़ाई कर रहा है. वहीं खुद दरियानी भी कई बार विदेश यात्रा कर चुका है.
आलीशान बंगले में रहता है दरियानी
ईओडब्ल्यू की टीम ने आशीष नगर के बंगले पर जब छापा मारा तो घर को देखकर ईओडब्ल्यू के अधिकारियों की भी आंखें फटी की फटी रह गई. मानचित्र अधिकारी दरियानी ने करोड़ों रुपए खर्च कर बंगले को तैयार किया था. जिस तरह से एक फाइव स्टार होटल में व्यवस्थाएं मौजूद रहती थीं, वह सारी व्यवस्था दरयानी ने अपने बंगले में ही कर रखी थीं.
मकान के टॉप फ्लोर पर लगाया था गजीबो
दरयानी शराब का भी शौकीन था. उसके वहां पर अलग-अलग ब्रांड की कई शराब की बोतलें भी मिली हैं. शराब को सर्व करने के लिए ट्रॉली का प्रयोग होता था. यही नहीं दरियानी ने बंगले के टॉप फ्लोर पर होटलों की तरह गजीबो बनाया हुआ था.
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अधिकारी और बिल्डरों के खंगाले जा रहे नाम
दरियानी के वहां पर छापामार कार्रवाई के दौरान कई तरह की डायरियां मिली हैं. दरियानी जिस तरह से एकाएक करोड़पति बना है, उसमें कई बिल्डरों से भी उसके संपर्क हैं. इसके बारे में eow पड़ताल करने में जुटी है. वहीं जिस तरह से दरियानी टाउन एंड कंट्री में मात्रा मानचित्र अधिकारी के पद पर पदस्थ था, किसी भी कॉलोनी के नक्शे को पास करवाने के लिए अधिकारियों की साइन की अत्यंत आवश्यकता रहती थी. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इंदौर के साथ ही टाउन एंड कंट्री के कई वरिष्ठ अधिकारी भी इस पूरे मामले में दरियानी साथ मिले हैं.
कमीशनखोरों ने रिश्वत का बना रखा है मैन्यू कार्ड
एमपी में आलम यह है कि रिश्वतखोरों ने 50 रुपये के काम के लिए 500 रुपये की रिश्वत मांग ली. वहीं कुछ रिश्वतखोरों ने तो रिश्वत के लिए अपना कमीशन फिक्स कर रखा है. 10%, 15% और 20% के हिसाब से रिश्वत का क्राइटेरिया बना रखा है. हाल ही में 30 लाख रुपये के भुगतान के लिए एमपी में 10 फीसदी कमीशन के हिसाब से 3 लाख रुपये लिए गए. अगर कहें कि रिश्वतखोरों ने घूस का मैन्यू बना रखा है, तो यह कहना गलत नहीं होगा.
20 महीनों में 30 घूस लेने वाले पकड़े
बीते 20 महीनों में भोपाल में 30 रिश्वतखोर पकड़े जा चुके हैं. इनमें राजस्व विभाग से जुड़े छह, नगर निगम के पांच, पुलिस के दो, स्वास्थ्य के तीन, फाइनेंस, फाॅरेस्ट, शिक्षा, होमगार्ड, आरटीओ, एमपीईबी, श्रम विभाग, पीडब्ल्यूडी आदि के एक-एक अधिकारी एवं कर्मचारी सामने आए. इससे पता चलता है कि डिपार्टमेंट काेई भी हो, बिना रिश्वत पत्ता नहीं हिलता. आलम यह है कि रिश्वत के नाम पर पुलिस कांस्टेबल ने केले तक लिए हैं.
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रिश्वतखोरों में ये विभाग शीर्ष पर
रिश्वरखोरों में पटवारी, क्लर्क, डॉक्टर, डीएसपी, डायरेक्टर, इंजीनियर, नायब तहसीलदार, रेंजर, सीईओ, एसडीओ, रेवेन्यू इंस्पेक्टर तक शामिल हैं. सबसे ज्यादा मामले राजस्व, पंचायत और पुलिस के रहे हैं. रिश्वत के बल पर काले कारनामे और अवैध धंधे भी जोरों पर रहते हैं. ऐसे में क्राइम फ्री एमपी होने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
भोपाल में 12 अफसरों के घर छापा
अगर देखा जाए तो रिश्वत लेने के मामले में सबसे ज्यादा बदनाम राजस्व विभाग (Revenue Department mp) है. यहां जमीन सीमांकन, नामांतरण, रजिस्ट्री हो या दूसरा कोई भी काम बिना रिश्वत के संभव ही नहीं है. पिछले पांच साल में भोपाल लोकायुक्त पुलिस की टीम ने 180 लोगों को रिश्वत लेते गिरफ्तार कर डेढ़ करोड़ रुपये जब्त किए हैं. इसी दौरान 12 अफसरों के घर छापे में 15 करोड़ से ज्यादा जब्त हुए हैं.
रिश्वतखोरी में सागर टॉप पर
पिछले 20 महीने में लोकायुक्त ने रिश्वत के 232 मामले पकड़े हैं. इन्होंने 232 कामों के लिए 38 लाख घूस ली है. सबसे ज्यादा 40 घूसखोर सागर में पकड़े गए. उज्जैन कलेक्टर कार्यालय में सेक्शन रायटर शशि त्यागी ने फरवरी 2021 में 500 रुपेय की घूस ली थी, जबकि इस काम की फीस सिर्फ 50 रुपये है. वहीं सबसे बड़ी रिश्वत 3 लाख रुपये की है. जिसे ग्रामीण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ऋषभ कुमार जैन ने 30 लाख रुपये के बिल के भुगतान के लिए मांगी थी.