इंदौर| लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन को लेकर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह खुद अपनी ही राजनीति में फंसते नजर आ रहे हैं. अभी तक पार्टी मैं दूसरों को टिकट दिलाने की पैरवी करने वाले, दिग्विजय सिंह को लेकर पार्टी में यह मांग उठ रही है कि दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेता को प्रदेश की सबसे कठिन सीट पर लाया जाए. इनमें इंदौर और भोपाल भी शुमार हैं. हालांकि दिग्विजय सिंह का कहना है की पार्टी हाईकमान जहां से उन्हें टिकट देगी, वे वहां से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.
कांग्रेस में दिग्विजय सिंह की चुनावी दावेदारी और अटकलों को लेकर मचे घमासान की वजह इंदौर का वो घटनाक्रम है, जिसमें दिग्विजय सिंह अपने मोबाइल का स्पीकर ऑन करके पार्टी के अन्य नेताओं को टिकट दिलाने की कमलनाथ के सामने पैरवी कर रहे थे. उस दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी नहीं पता था कि उनसे दिग्विजय सिंह द्वारा की जा रही चर्चा अन्य नेताओं को भी सुनवाई जा रही है. इस दौरान जब कमलनाथ को बताया गया कि इंदौर के नेता को वह लोकसभा टिकट के लिए अयोग्य करार दे रहे थे, वह उन्हीं के खेमे का शहर कांग्रेस अध्यक्ष है. मोबाइल का स्पीकर ऑन होने का पता चलने के बाद कमलनाथ को बाद में कहना पड़ा था कि वह अच्छा कैंडिडेट है. इस घटना के बाद पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी. इस घटना के बाद भोपाल में कमल नाथ ने दिग्विजय सिंह को किसी कठिन सीट से चुनाव लड़ाने संबंधी बयान दिया था.
भारतीय जनता पार्टी से भोपाल लोकसभा टिकट की दावेदारी कर रहे बाबूलाल गौर ने भी दिग्विजय सिंह को भोपाल से चुनाव न लड़ने की सलाह दे डाली. गौर का कहना है कि यहां से सुरेश पचौरी और नवाब पटौदी जैसे कांग्रेस के चर्चित प्रत्याशी पहले ही हार चुके हैं. इसलिए दिग्विजय यहां आने की भूल ना करें. इधर उनके इंदौर से चुनाव लड़ने को लेकर भी लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं.