इंदौर। नगर निगम द्वारा 22 साल पहले मनोरमा गंज में बहुमंजिला इमारत को डायनामाइट से उड़ाया गया था. अब जिला कोर्ट ने जमीन मालिक को सवा करोड़ रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए हैं. इंदौर के इतिहास में तोड़फोड़ का संभवतः यह पहला मामला होगा, जिसमें किसी निजी जमीन पर तनी इमारत को नेस्तनाबूद करने पर प्रशासन को इतनी बड़ी रकम की भरपाई करनी होगी.
अतिक्रमण की शिकायत पर किया था जमींदोज : 22 साल पहले बिल्डर विनोद लालवानी के कब्जे वाली बहुमंजिला इमारत के बारे में किसी ने शिकायत की थी कि उक्त इमारत अतिक्रमण करके खड़ी की गई है. शिकायत के आधार पर प्रशासन का अमला 23 जून 2000 को अलसुबह मनोरमा गंज पहुंचा और डायनामाइट लगाकर इमारत को ध्वस्त कर दिया था. उनके परिवार के लोग चीखते ही रह गए कि यह उनका मालिकाना हक है, लेकिन प्रशासनिक अमले के साथ आए लोगों का कहना था कि वह सुरेश सहारा का भवन तोड़ने आए हैं. भार्गव परिवार व अन्य लोगों की बात अनसुनी कर दी. जबकि भार्गव परिवार के लोग पहले ही कोर्ट से स्टे लेकर बैठे हुए थे.
पीड़ित पक्ष ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया : नगर निगम प्रशासन ने नियम कायदों को ताक पर रखकर इमारत को जमींदोज कर दिया था. इस मामले में सुरेश चंद भार्गव उनके पुत्र चेतन भार्गव व पुत्री रचना भार्गव ने करीब 22 साल पहले जिला कोर्ट में दीवानी दावा लगाकर प्रशासन से एक करोड़ 26लाख रुपए का मुआवजा दिलाने की मांग की थी. उनका कहना था कि उनकी इमारत नगर निगम द्वारा मंजूर थी. जिसका उन्होंने जैमिनी कंस्ट्रक्शन से करीब सवा करोड़ रुपए में निर्माण कार्य करवाया था. इस इमारत से समय-समय पर समस्त प्रकार के करों की अदायगी भी होती रहती थी, लेकिन प्रशासन ने बलपूर्वक निजी जमीन पर बनी इमारत को चरागाह की सरकारी जमीन पर हुआ अतिक्रमण बताकर तोड़ दिया.
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कोर्ट में सही तथ्य पेश नहीं कर सका प्रशासन : इस मामले में जज विजय डांगी ने कलेक्टर व तहसीलदार नजूल के खिलाफ आदेश पारित करते हुए आदेश दिए कि भार्गव परिवार को एक करोड़ 26लाख रुपये की नुकसान की भरपाई करें और इस राशि पर इमारत तोड़ने की तारीख से 6% की दर से ब्याज यानी करीब पौने दो करोड़ भी अदा करें. परिजनों ने कोर्ट के समक्ष मुख्य रूप से तर्क दिया था कि प्रशासन ने उनकी इमारत की जगह का बकायदा स्थाई प्लान पास किया था, जहां साइट प्लान पास होती है, वह निजी जमीन होती है. इस पर प्रशासन संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. (Declaring building illegal demolished Indore) (Court decision after 22 years) (victim get about three and a half crore)