इंदौर। Cyber Crime के बढ़ते मामलों को लेकर पुलिस के सामने बड़ा चैलेंच है. इन मामलों से निपटने के लिए पुलिस ने अपनी एक बड़ी फौज तैयार कर ली है. साइबर धोखाधड़ी से बचाव के लिए लोगों को जागरूकता करते करते इंदौर पुलिस के पास लगभग 4000 से अधिक वॉरियर्स तैयार हो गए हैं. ये साइबर सिक्योरिटी को लेकर लोगों को बचाने का काम कर रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि यह 4000 वॉरियर्स स्कूली बच्चे हैं. जिन्होंने साइबर जागरूकता अभियान में हिस्सा लिया और अब अपने घर के बड़ों को साइबर सिक्योरिटी के बारे में जानकारी दे रहे हैं. जबकि अब केंद्रीय गृह मंत्रालय भी एक पोर्टल के माध्यम से लोगों को साथ में जोड़ने जा रहा है.
क्राइम वॉरियर्स कर रहे हैं लोगों को जागरुक
इंदौर सहित मध्यप्रदेश में साइबर पुलिस अब आत्मनिर्भर अभियान चला रही है. इस आत्मनिर्भर अभियान के तहत लोगों को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक किया जा रहा है. इस जागरूकता अभियान का असर यह हुआ है कि साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए खुद पुलिस के पास 4000 वॉरियर्स तैयार हो गए हैं. पांचवी से बारहवीं तक के छात्रों को ट्रेनिंग देने के बाद इसके लिए टेस्ट भी लिया जाने लगा है. ट्रेनिंग में बच्चों को फेसबुक हैकिंग, खातों से रुपए निकालने जैसी धोखाधड़ी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों के उदाहरण देकर साइबर क्राइम के बारे में समझाया जा रहा है. इसके साथ ही समय समय पर दी जाने वाली ट्रेनिंग के कारण छात्र इतने ट्रेंड हो गए हैं कि वो अपने आस पास के लोगों को जागरूक कर रहे हैं. हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण यह अभियान बंद है लेकिन इसके लिए अब ऑनलाइन सेमिनार किया जा रहा है.
3 साल में दो हजार से ज्यादा मामले
इंदौर शहर में जिस गति से टेक्नोलॉजी का विस्तार हुआ है. उससे दुगनी गति से साइबर क्राइम के मामले भी सामने आ रहे हैं. अकेले इंदौर शहर की बात की जाए तो...
- शहर में पिछले 3 साल में शहर में 2173 मामले सामने आए है. जिनमें से 161 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई.
- साल 2017 में 1156 शिकायतें पुलिस के पास पहुंची थी जिसमें से 25 में एफआईआर दर्ज की गई, तो वहीं...
- 2018 में 517 शिकायतें पुलिस के पास पहुंची थी जिसमें से 66 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई. जबकि...
- मई 2019 में 500 शिकायतें पुलिस के पास पहुंची थी जिसमें से 70 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई थी.
5वीं से 12वीं तक के छात्रों को ट्रेनिंग
साइबर जागरूकता के लिए पुलिस ने स्कूलों में पांचवी से बारहवीं तक के बच्चों को चयनित किया. उनके बीच जाकर उन्हें साइबर सिक्योरिटी के बारे में जानकारी दी. शुरू की चाइल्ड पोर्नोग्राफी, लिंक भेज कर मोबाइल से धोखाधड़ी करना और फेसबुक हैकिंग जैसे मामलों में बच्चों को जागरूक किया गया. इसका असर यह हुआ कि छात्रों ने अपने घर सहित आसपास के लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स और डेबिट कार्ड के सिक्योरिटी सिस्टम को अपडेट करना लोगों को सिखाया. नए-नए साइबर अपराधों की जानकारी मिलने से छात्र नए तरीके ईजाद कर ठगी और धोखाधड़ी का शिकार होने अपने परिजन और दोस्तों को बचाया.
गृह मंत्रालय की साइबर गाइड लाइन, एमपी में जुड़े हैं 152 लोग
साइबर क्राइम को लेकर जागरूकता के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी पहल की है. इसके लिए मंत्रालय की ओर से एक राष्ट्रीय स्तर का पोर्टल तैयार किया है. www.cyber crime.gov.in पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करके फरियाद या लोग सीधे नोटिफिकेशन एजेंसियों से संपर्क कर सकते हैं. अपने साथ हुए किसी भी तरह की फ्रॉड की शिकायत कर सकते हैं. एमपी में इस पोर्टल पर 152 लोगों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है. जबकि तीन श्रेणियों में सरकार के साथ मिलकर लोग इसमें काम कर सकते हैं.
जागरुकता से थमेगा साइबर क्राइम
फिलहाल जागरूकता अभियान पुलिस के द्वारा ऑनलाइन चलाया जा रहा है. लेकिन बच्चों के साथ ही अब बड़ों को भी जागरूक करने के लिए पुलिस लगातार लोगों के बीच में साइबर धोखाधड़ी से जुड़े संदेश पहुंचा रही है. जिस तरह से देश में ऑनलाइन क्लासेस और वर्क फ्रॉम होम का प्रचलन बढ़ा है, उससे साइबर धोखाधड़ी के मामलों में भी इजाफा हुआ है. लेकिन जागरूक करने से बच्चे लगातार घरों में साइबर सिक्योरिटी का ध्यान रख रहे हैं.