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कैटरिंग व्यवसाय की कोरोना ने तोड़ी कमर, सामान बेचने को मजबूर हैं कारोबारी

कैटरिंग जिनके लिए आन बान शान का सबब था अब वही सिर पर पड़े किसी बोझ से कम नहीं लग रहा. कोरोना काल ने खान पान के लिए मशहूर इंदौरियों को सिसकने को मजबूर कर दिया है. हालात ये है कि कारोबार से किनारा करने में लोग जुट गए हैं.

catering se kinara
कैटरिंग से किनारा
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Published : Jul 3, 2021, 9:48 AM IST

इंदौर। कोरोना काल ने कैटरिंग बिजनेस की ऐसाी कमर तोड़ी कि खान पान और मेजबानी के लिए मशहूर इंदौर में लोग इस बिजनेस से किनारा करने को मजबूर हो रहें हैं. एक अनुमान के मुताबिक अब तक 50 से 60 करोड़ का नुकसान इस इंडस्ट्री को लॉकडाउन की वजह से हो चुका है.

कैटरिंग से किनारा

अनलॉक होने के बाद उम्मीद जगी लेकिन गाइडलाइन का पालन भी जरूरी है. जरूरत बड़ी है लेकिन जान भी तो. इसी असमंजस की जद में अटका पड़ा है कैटरिंग का बिजनेस. हालात ऐसे हैं कि इस व्यवसाय से जुड़े लोग अब गुजर बसर के लिए दूसरे विकल्प तलाशने लगे हैं.
कैटरिंग इंडस्ट्री से जुड़े है कई व्यवसाय-
इंदौर शहर में कैटरिंग इंडस्ट्रीज में कई लोग जुड़े हुए हैं जिसमें गार्डन, टेंटहाउस और हलवाई भी शामिल हैं. एक दूसरे का सभी से व्यवसायिक रूप से जुड़ाव है यदि किसी एक व्यक्ति को नुकसा न होता है तो उसका असर सभी व्यवसाय करने वालों पर भी होता है. इंदौर में कैटरिंग इंडस्ट्री से तकरीबन 500 लोग जुड़े हुए हैं और 500 लोगों के साथ उनसे तकरीबन 5000 लोग इस पूरे व्यवसाय से जुड़े हुए हैं लेकिन पिछले 2 सालों से लगातार विभिन्न तरह की परेशानियों के चलते अब यह व्यापार पूरी तरीके से खत्म होने की कगार पर है.
अप्रैल और मई में भी मंदा रहा धंधा
कैटरिंग का काम करने वाले लोगों का कहना है कि इस बार लगन के समय भी मंदी छाई रही. अप्रैल और मई में विभिन्न तरह के कार्यक्रम रहते हैं, लेकिन पिछले 2 वर्षों से कोरोना महामारी के कारण दोनों ही महीनों में किसी तरह का कोई रोजगार कैटरर्स व्यापारियों का नहीं हुआ. सो करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया. अब कैटरिंग एसोसिएशन भी लगभग हार मान चुका है. पदाधिकारियों का कहना है कि इस फील्ड को छोड़कर दूसरा व्यवसाय शुरू करना पड़ेगा क्योंकि आने वाले दिनों में भी स्थिति सुधरने की स्थिति नहीं है.
अब तक 50 से 60 करोड़ का बड़ा नुकसान
कैटरिंग के व्यवसाय से जुड़े व्यवसायियों का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण 50 से 60 करोड़ का नुकसान हुआ है. और इसकी भरपाई करना असंभव है. अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि कोरोना गाइडलाइन और इस महामारी की वजह से पिछले 2 सालों में ही तकरीबन 10 से 15 हजार शादी व अन्य तरह के कार्यक्रम निरस्त हुए.
औपचारिकता ही तो रह गई है
कैटरिंग व्यापारियों का कहना है कि आमतौर पर इंदौर शहर में शादी व अन्य कार्यक्रमों में कैटरिंग का भरपूर प्रयोग किया जाता था. लेकिन कोरोना महामारी के कारण आज शहरवासियों ने मात्र शादी भी औपचारिकता के रूप में करनी पड़ रही है और अन्य तरह के कार्यक्रम जिसमें बर्थडे, किटी पार्टी व अन्य तरह की पार्टी जो समय-समय पर शहर वासियों के द्वारा आयोजित की जाती थी उन पर पूरी तरीके से रोक लग चुकी है.और अब शादी पर ही कैटरिंग व्यवसाय पूरी तरीके से आश्रित है.
50 लोगो की अनुमति से नही हो सकती भरपाई
हालात बद से बदतर हो गए हैं. सो आसरा सिर्फ शासन प्रशासन का है. डिमांड है कि 50 लोगों की तय सीमा को बढ़ाया जाए. प्लेट के हिसाब से मेनू सेट तो हो रहा है लेकिन उसमें लगने वाले सामान के अनुपात से नुकसान ज्यादा हो रहा है. क्योंकि आमतौर पर यदि किसी शादी समारोह में कोरोना से पहले भव्य तरीके से शादी समारोह का आयोजन किया जाता था तो प्रॉफिट कैटरिंग व्यवसायियों को मिलता था, लेकिन लेकिन आज कोरोना महामारी के कारण नुकसान का व्यवसाय हो चुका है।
अपने 'हाथ' बेचने को मजबूर
कैटरिंग व्यवसाय से जहां अलग-अलग व्यवसायी जुड़े हुए हैं तो वहीं हलवाई भी इस व्यवसाय का अभिन्न अंग हैं. लेकिन आज इनकी हालत किसी मजदूर से कम नहीं रही. क्योंकि कई हलवाइयों का तो रोजगार पूरी तरीके से बंद हो चुका है और पिछले 2 सालों से वह अपनी लेबर का खर्चा भी खुद ही निकाल रहे हैं और आज स्थिति इन हलवाइयो की इस तरह हो गई है कि उनके पास जो सामान हैं उनमें से कई सामान का उपयोग तो वह पिछले 2 वर्षों से नहीं कर पाए हैं. जिनमें कई बड़ी भट्टियां भी शामिल है क्योंकि छोटे आयोजन होने के कारण छोटी भट्टियां होती हैं. इनमें ये छोटे सामान का उपयोग कर जैसे तैसे कार्यक्रमों को कर रहे थे लेकिन 8 से 10 लोगों की टीम का खर्चा भी तो चलाना है. सो, अलग-अलग तरह से जुगाड़ भी कर रहे हैं कई हलवाई तो अपने पास मौजूद सामान को गिरवी रखकर या बाजार में बेचकर लेबर्स का खर्चा उठा रहे हैं.
हजारों के जीवन पर संकट के बादल
इंदौर शहर में कैटरिंग व्यवसाय से 500 लोग जुड़े हुए हैं. वहीं इन 500 लोग से 5000 लोग अलग-अलग व्यवसाय के कारण जुड़े हुए हैं कैटरिंग व्यवसाय में कई और व्यवसायी भी शामिल हैं- जिसमें हलवाई, टेंट, साउंड, गार्डन बर्तन व सजावट का काम करने वाले भी शामिल हैं. सो पिछले 2 सालों से इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं व्यवसायियों की हालत पतली है और उम्मीद प्रशासन की उस अनुमति से जुड़ी है. जिसमें 50 लोगों की सीमा में बढोत्तरी कर उसे 200 से 250 के आसपास पहुंचाया जाए.

इंदौर। कोरोना काल ने कैटरिंग बिजनेस की ऐसाी कमर तोड़ी कि खान पान और मेजबानी के लिए मशहूर इंदौर में लोग इस बिजनेस से किनारा करने को मजबूर हो रहें हैं. एक अनुमान के मुताबिक अब तक 50 से 60 करोड़ का नुकसान इस इंडस्ट्री को लॉकडाउन की वजह से हो चुका है.

कैटरिंग से किनारा

अनलॉक होने के बाद उम्मीद जगी लेकिन गाइडलाइन का पालन भी जरूरी है. जरूरत बड़ी है लेकिन जान भी तो. इसी असमंजस की जद में अटका पड़ा है कैटरिंग का बिजनेस. हालात ऐसे हैं कि इस व्यवसाय से जुड़े लोग अब गुजर बसर के लिए दूसरे विकल्प तलाशने लगे हैं.
कैटरिंग इंडस्ट्री से जुड़े है कई व्यवसाय-
इंदौर शहर में कैटरिंग इंडस्ट्रीज में कई लोग जुड़े हुए हैं जिसमें गार्डन, टेंटहाउस और हलवाई भी शामिल हैं. एक दूसरे का सभी से व्यवसायिक रूप से जुड़ाव है यदि किसी एक व्यक्ति को नुकसा न होता है तो उसका असर सभी व्यवसाय करने वालों पर भी होता है. इंदौर में कैटरिंग इंडस्ट्री से तकरीबन 500 लोग जुड़े हुए हैं और 500 लोगों के साथ उनसे तकरीबन 5000 लोग इस पूरे व्यवसाय से जुड़े हुए हैं लेकिन पिछले 2 सालों से लगातार विभिन्न तरह की परेशानियों के चलते अब यह व्यापार पूरी तरीके से खत्म होने की कगार पर है.
अप्रैल और मई में भी मंदा रहा धंधा
कैटरिंग का काम करने वाले लोगों का कहना है कि इस बार लगन के समय भी मंदी छाई रही. अप्रैल और मई में विभिन्न तरह के कार्यक्रम रहते हैं, लेकिन पिछले 2 वर्षों से कोरोना महामारी के कारण दोनों ही महीनों में किसी तरह का कोई रोजगार कैटरर्स व्यापारियों का नहीं हुआ. सो करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया. अब कैटरिंग एसोसिएशन भी लगभग हार मान चुका है. पदाधिकारियों का कहना है कि इस फील्ड को छोड़कर दूसरा व्यवसाय शुरू करना पड़ेगा क्योंकि आने वाले दिनों में भी स्थिति सुधरने की स्थिति नहीं है.
अब तक 50 से 60 करोड़ का बड़ा नुकसान
कैटरिंग के व्यवसाय से जुड़े व्यवसायियों का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण 50 से 60 करोड़ का नुकसान हुआ है. और इसकी भरपाई करना असंभव है. अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि कोरोना गाइडलाइन और इस महामारी की वजह से पिछले 2 सालों में ही तकरीबन 10 से 15 हजार शादी व अन्य तरह के कार्यक्रम निरस्त हुए.
औपचारिकता ही तो रह गई है
कैटरिंग व्यापारियों का कहना है कि आमतौर पर इंदौर शहर में शादी व अन्य कार्यक्रमों में कैटरिंग का भरपूर प्रयोग किया जाता था. लेकिन कोरोना महामारी के कारण आज शहरवासियों ने मात्र शादी भी औपचारिकता के रूप में करनी पड़ रही है और अन्य तरह के कार्यक्रम जिसमें बर्थडे, किटी पार्टी व अन्य तरह की पार्टी जो समय-समय पर शहर वासियों के द्वारा आयोजित की जाती थी उन पर पूरी तरीके से रोक लग चुकी है.और अब शादी पर ही कैटरिंग व्यवसाय पूरी तरीके से आश्रित है.
50 लोगो की अनुमति से नही हो सकती भरपाई
हालात बद से बदतर हो गए हैं. सो आसरा सिर्फ शासन प्रशासन का है. डिमांड है कि 50 लोगों की तय सीमा को बढ़ाया जाए. प्लेट के हिसाब से मेनू सेट तो हो रहा है लेकिन उसमें लगने वाले सामान के अनुपात से नुकसान ज्यादा हो रहा है. क्योंकि आमतौर पर यदि किसी शादी समारोह में कोरोना से पहले भव्य तरीके से शादी समारोह का आयोजन किया जाता था तो प्रॉफिट कैटरिंग व्यवसायियों को मिलता था, लेकिन लेकिन आज कोरोना महामारी के कारण नुकसान का व्यवसाय हो चुका है।
अपने 'हाथ' बेचने को मजबूर
कैटरिंग व्यवसाय से जहां अलग-अलग व्यवसायी जुड़े हुए हैं तो वहीं हलवाई भी इस व्यवसाय का अभिन्न अंग हैं. लेकिन आज इनकी हालत किसी मजदूर से कम नहीं रही. क्योंकि कई हलवाइयों का तो रोजगार पूरी तरीके से बंद हो चुका है और पिछले 2 सालों से वह अपनी लेबर का खर्चा भी खुद ही निकाल रहे हैं और आज स्थिति इन हलवाइयो की इस तरह हो गई है कि उनके पास जो सामान हैं उनमें से कई सामान का उपयोग तो वह पिछले 2 वर्षों से नहीं कर पाए हैं. जिनमें कई बड़ी भट्टियां भी शामिल है क्योंकि छोटे आयोजन होने के कारण छोटी भट्टियां होती हैं. इनमें ये छोटे सामान का उपयोग कर जैसे तैसे कार्यक्रमों को कर रहे थे लेकिन 8 से 10 लोगों की टीम का खर्चा भी तो चलाना है. सो, अलग-अलग तरह से जुगाड़ भी कर रहे हैं कई हलवाई तो अपने पास मौजूद सामान को गिरवी रखकर या बाजार में बेचकर लेबर्स का खर्चा उठा रहे हैं.
हजारों के जीवन पर संकट के बादल
इंदौर शहर में कैटरिंग व्यवसाय से 500 लोग जुड़े हुए हैं. वहीं इन 500 लोग से 5000 लोग अलग-अलग व्यवसाय के कारण जुड़े हुए हैं कैटरिंग व्यवसाय में कई और व्यवसायी भी शामिल हैं- जिसमें हलवाई, टेंट, साउंड, गार्डन बर्तन व सजावट का काम करने वाले भी शामिल हैं. सो पिछले 2 सालों से इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं व्यवसायियों की हालत पतली है और उम्मीद प्रशासन की उस अनुमति से जुड़ी है. जिसमें 50 लोगों की सीमा में बढोत्तरी कर उसे 200 से 250 के आसपास पहुंचाया जाए.

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