ETV Bharat / state

निजी संपत्ति को वक्फ बोर्ड ने घोषित कर दिया वक्फ प्रॉपर्टी, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - JABALPUR HIGH COURT

याचिकाकर्ता ने निजी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने के वक्फ बोर्ड के फैसले को निरस्त किए जाने की मांग की है.

JABALPUR HIGH COURT
जबलपुर हाईकोर्ट (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 19, 2025, 9:09 AM IST

Updated : Jan 19, 2025, 10:16 AM IST

जबलपुर: निजी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति दर्ज किए जाने के एक मामले में कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को यथास्थिति बनाए रखने के अंतरिम आदेश दिए हैं. जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब देने के निर्देश दिए हैं.

याचिकाकर्ता को सूचना दिए बगैर उनकी निजी संपत्ति को वक्फ संपति घोषित कर दिया

रीवा निवासी हाजी मोहम्मद अली ने वक्फ बोर्ड के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उनकी ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि लगभग 100 साल पहले उनके बाबा स्व. अब्दुल मन्नान ने अपने पूर्वज हाजी सैयद जहूर अली शाह के नाम की दरगाह अपने मालिकाना हक की अमहिया रीवा स्थित प्रश्नाधीन भूमि पर बनाई थी. जिसे याचिकाकर्ता एवं उसके किसी भी पूर्वज ने वक्फ बोर्ड को कभी भी दान या समर्पित नहीं किया.

इसके बावजूद वक्फ बोर्ड ने याचिकाकर्ता एवं उनके किसी भी पूर्वज को बिना सूचना एवं सुनवाई का अवसर दिए प्रश्नाधीन संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया. उनकी ओर से अधिवक्ता शीतला प्रसाद त्रिपाठी व सुशील त्रिपाठी ने पक्ष रखा.

यह है पूरा मामला-
दरअसल 1924-25 से पहले याचिकाकर्ता के बाबा स्व. अब्दुल मन्नान ने अपने मालिकाना हक की 400 वर्ग फीट भूमि पर अपने पूर्वज हाजी सैयद जहूर अली शाह के नाम की दरगाह बनाई. 800 वर्ग फीट भूमि को खाली रखकर उसका उपयोग करते रहे जो याचिका की प्रश्नाधीन संपत्ति है. 1977 में उनकी मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता के पिता स्व. अनवरूल हक इस संपत्ति की देखभाल करते रहे.

याचिकाकर्ता ने कहा, उसने या उसके किसी पूर्वज ने संपत्ति को वक्फ बोर्ड को नहीं किया दान

उन्होंने 19 सितंबर, 2016 को पंजीकृत वसीयतनामा द्वारा याचिकाकर्ता को इस संपत्ति की देखभाल के लिए मुतवल्ली बनाया. 30 नवंबर, 2020 को पिता की मृत्यु के बाद से संपत्ति पर काबिज रहकर उसकी देखभाल कर रहा है. याचिकाकर्ता एवं उसके किसी भी पूर्वज ने कभी भी इस संपत्ति को वक्फ बोर्ड को दान नहीं किया. लेकिन वक्फ बोर्ड ने याचिकाकर्ता एवं उसके पूर्वजों को सूचना दिए बिना वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर राजपत्र में प्रकाशित कर दिया. इसकी जानकारी होने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली. याचिकाकर्ता ने अपनी निजी संपत्ति को वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्ति दर्ज करने की संपूर्ण कार्यवाही को निरस्त किए जाने की मांग की है.

जबलपुर: निजी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति दर्ज किए जाने के एक मामले में कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को यथास्थिति बनाए रखने के अंतरिम आदेश दिए हैं. जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब देने के निर्देश दिए हैं.

याचिकाकर्ता को सूचना दिए बगैर उनकी निजी संपत्ति को वक्फ संपति घोषित कर दिया

रीवा निवासी हाजी मोहम्मद अली ने वक्फ बोर्ड के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उनकी ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि लगभग 100 साल पहले उनके बाबा स्व. अब्दुल मन्नान ने अपने पूर्वज हाजी सैयद जहूर अली शाह के नाम की दरगाह अपने मालिकाना हक की अमहिया रीवा स्थित प्रश्नाधीन भूमि पर बनाई थी. जिसे याचिकाकर्ता एवं उसके किसी भी पूर्वज ने वक्फ बोर्ड को कभी भी दान या समर्पित नहीं किया.

इसके बावजूद वक्फ बोर्ड ने याचिकाकर्ता एवं उनके किसी भी पूर्वज को बिना सूचना एवं सुनवाई का अवसर दिए प्रश्नाधीन संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया. उनकी ओर से अधिवक्ता शीतला प्रसाद त्रिपाठी व सुशील त्रिपाठी ने पक्ष रखा.

यह है पूरा मामला-
दरअसल 1924-25 से पहले याचिकाकर्ता के बाबा स्व. अब्दुल मन्नान ने अपने मालिकाना हक की 400 वर्ग फीट भूमि पर अपने पूर्वज हाजी सैयद जहूर अली शाह के नाम की दरगाह बनाई. 800 वर्ग फीट भूमि को खाली रखकर उसका उपयोग करते रहे जो याचिका की प्रश्नाधीन संपत्ति है. 1977 में उनकी मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता के पिता स्व. अनवरूल हक इस संपत्ति की देखभाल करते रहे.

याचिकाकर्ता ने कहा, उसने या उसके किसी पूर्वज ने संपत्ति को वक्फ बोर्ड को नहीं किया दान

उन्होंने 19 सितंबर, 2016 को पंजीकृत वसीयतनामा द्वारा याचिकाकर्ता को इस संपत्ति की देखभाल के लिए मुतवल्ली बनाया. 30 नवंबर, 2020 को पिता की मृत्यु के बाद से संपत्ति पर काबिज रहकर उसकी देखभाल कर रहा है. याचिकाकर्ता एवं उसके किसी भी पूर्वज ने कभी भी इस संपत्ति को वक्फ बोर्ड को दान नहीं किया. लेकिन वक्फ बोर्ड ने याचिकाकर्ता एवं उसके पूर्वजों को सूचना दिए बिना वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर राजपत्र में प्रकाशित कर दिया. इसकी जानकारी होने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली. याचिकाकर्ता ने अपनी निजी संपत्ति को वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्ति दर्ज करने की संपूर्ण कार्यवाही को निरस्त किए जाने की मांग की है.

Last Updated : Jan 19, 2025, 10:16 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.